जानिए किस दिन से आरंभ हो रहा है पितृ पक्ष श्राद्ध , इन बातो का जरुर रखे ध्यान

श्राद्ध का अर्थ है कि अपने देवों, परिवार, वंश परंपरा, संस्कृति और इष्ट के प्रति श्रद्धा रखना। हिन्दू शास्त्रों में कहा गया है कि जो स्वजन अपने शरीर को छोड़कर चले गए हैं चाहे वे किसी भी रूप में अथवा किसी भी लोक में हों, उनकी तृप्ति और उन्नति के लिए श्रद्धा के साथ जो शुभ संकल्प और तर्पण किया जाता है, वह श्राद्ध है।

माना जाता है कि सावन की पूर्णिमा से ही पितर मृत्यु लोक में आ जाते हैं और नवांकुरित कुशा की नोकों पर विराजमान हो जाते हैं। ऐसी मान्यता है कि पितृ पक्ष में हम जो भी पितरों के नाम का निकालते हैं, उसे वे सूक्ष्म रूप में आकर ग्रहण करते हैं। ज्योतिषाचार्य पं. सतीश सोनी के अनुसार श्री गजानन की विदाई के बाद श्राद्धपक्ष शुरू हो जाएगा। इस बार श्राद्ध पक्ष 16 दिन का होगा।

ज्योतिषाचार्य के अनुसार श्राद्ध पक्ष 13 सितंबर से शुरू होकर 28 सितंबर तक रहेगा। इस समय पितृ पक्ष और पित्तरों की मुक्ति के लिए कार्य किए जाते हैं। मान्यता के अनुसार पितृ पक्ष में श्राद्ध नहीं किए जाने से घर की तरक्की में बाधा उत्पन्न होने लगती है। इस कारण पितृ पक्ष में पित्तरों को खुश करना अनिवार्य होता है।

पितृ पक्ष के दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। इस समय पित्तरों के लिए तर्पण एवं पिण्ड दान करने से पित्तरों की आत्मा को मुक्ति व शांति मिलती है।

पितृपक्ष की श्राद्ध तिथि 2019

  • 13 सितम्बर -पूर्णिमा श्राद्ध
  • 14 सितम्बर-प्रतिपदा तिथि का श्राद्ध
  • 15 सितम्बर-द्वितीया तिथि का श्राद्ध
  • 17 सितम्बर-तृतीया तिथि का श्राद्ध
  • 18 सितम्बर-चतुर्थी तिथि का श्राद्ध
  • 19 सितम्बर-पंचमी तिथि का श्राद्ध
  • 20 सितम्बर-ख़ष्ठी तिथि का श्राद्ध
  • 21 सितम्बर-सप्तमी तिथि का श्राद्ध
  • 22 सितम्बर-अष्टमी तिथि का श्राद्ध
  • 23 सितम्बर-नवमी तिथि का श्राद्ध
  • 24 सितम्बर-दशमी तिथि का श्राद्ध
  • 25 सितम्बर-एकादशी तथा द्वादशी तिथि का श्राद्ध। संतों तथा महात्माओं का श्राद्ध
  • 26 सितम्बर-त्रयोदशी तिथि का श्राद्ध
  • 27 सितम्बर-चतुर्थी का श्राद्ध
  • 28 सितम्बर-अमावस्या, सर्व पितृ श्राद्ध रहेगा।

पितृ पक्ष में रखें इन खास बातों का ध्‍यान

  1.  पितृपक्ष में कभी भी अपने घर से किसी को पानी पीए बिना न जानें दें। यदि कोई पानी मांग रहा तो उसे पानी के साथ मीठा भी दें। ऐसा माना जाता है कि पितृ किसी भी रूप में आपसे अन्न और जल पाने के लिए आते हैं।
  2. गाय, कुत्ता, बिल्ली, कौआ इन सब को श्राद्ध में खाना जरूर दें। ये पितृ का रूप होते हैं।
  3.  पितृ पक्ष में बिलकुल सादा खाना खाएं। मांसाहार या तामसी चीजों का सेवन न करें। शराब और नशीली चीजों को बिलकुल हाथ न लगाए। घर में कलह न होने दें।
  4. श्राद्ध पक्ष में कभी शारीरिक संबंध न बनाएं। यह समय ब्रह्मचर्य का पालन का होता है।
  5. नाखून, बाल एवं दाढ़ी मूंछ बनवाना इस दिन वर्जित है। यह सारे काम श्राद्ध करने के बाद ही करने चाहिए। पितरों के लिए शोक व्यक्त करने का ये तरीका होता है।
  6. पितृपक्ष में जब भी आप कुछ खाना बनाए उसका एक हिस्सा पितरों के लिए जरूर निकालें। फिर इसे आप गाय, कुत्ता या कौए को खिला दें।
  7. श्राद्ध के समय कभी भी कोई शुभ काम नहीं करना चाहिए। विवाह, घर खरीदना या सोने चांदी जैसे आभूषण या कार आदि खरीदने से बचें। यहां तक कि शुभ काम की चर्चा के लिए भी इस माह को बीतने देना चाहिए।

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