लालजी टंडन का पार्षद से राज्यपाल तक का सियासी सफर

लखनऊ । मध्य प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन का मंगलवार को लखनऊ के मेदांता अस्पताल में निधन हो गया। राजधानी लखनऊ में ही 12 अप्रैल, 1935 को जन्मे लालजी टंडन का सियासी सफर वर्ष 1960 से शुरू हुआ। इन छह दशकों में तमाम उतार चढ़ाव के साथ लखनऊ नगर निगम के पार्षद से लेकर देश की सबसे बड़ी पंचायत संसद और बाद में राज्यपाल की कुर्सी तक उन्होंने यात्रा की।

सियासी जीवन में लालजी टंडन देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के बेहद प्रिय थे। वह खुद कहते थे कि राजनीति में अटल जी उनके साथी, भाई और पिता तीनों की भूमिका में थे। वर्ष 2009 में अटल बिहारी वाजपेयी ने जब राजनीति से संन्यास लिया तो उनकी खाली हुई लखनऊ लोकसभा सीट को भारतीय जनता पार्टी ने लालजी टंडन को ही सौंपी और वह निर्वाचित होकर संसद पहुंचे।

राजधानी स्थित कालीचरण इंटर कॉलेज और बाद में लखनऊ विश्वविद्यालय से स्नातक की पढ़ाई के बाद लालजी टंडन 26 फरवरी 1958 को कृष्णा टंडन के साथ परिणय सूत्र में बंधे। उनके तीन बेटों में आशुतोष टंडन इस समय योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं। विद्यार्थी जीवन में ही लालजी टंडन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़ गये थे। इसी दौरान उनकी पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से मुलाकात हुई और धीरे-धीरे वह उनके काफी करीब हो गये।

राजनैतिक जीवन

  • लालजी टंडन का राजनीतिक जीवन शादी के दो साल बाद वर्ष 1960 में शुरू हुआ। इस दौरान वह दो बार लखनऊ नगर निगम के पार्षद चुने गए।
  • वर्ष 1978 से 1984 तक इसके बाद वर्ष 1990 से 96 तक वह दो बार उत्तर प्रदेश विधानपरिषद के सदस्य रहे। इस दौरान 1991-92 में वह उप्र सरकार में वित्त मंत्री भी रहे।
  • वर्ष 1996 से 2009 तक लगातार तीन बार वह लखनऊ से ही उप्र विधानसभा के सदस्य चुने गये। इस दौरान 1997 से 2002 तक भाजपा शासन काल में वह प्रदेश के नगर विकास मंत्री रहे। बाद में वह विधानसभा में विपक्ष के नेता भी रहे।
  • वर्ष 2009 में जब पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने राजनीति से संन्यास लेने की घोषणा की तो भाजपा ने लालजी टंडन को ही वाजपेयी की लखनऊ लोकसभा सीट सौंप दी, जहां से वह बड़ी आसानी से चुनाव जीतकर संसद पहुंचे।
  • वर्ष 2018 में लालजी टंडन को बिहार का राज्यपाल बनाया गया। इसके बाद वह मध्यप्रेदश के राज्यपाल बनाए गये।
  • बसपा सुप्रीमो मायावती से भी लालजी टंडन के रिश्ते काफी नजदीकी के रहे। मायावती उन्हें राखी भी बांधती थीं। बताया जाता है कि 90 के दशक में उत्तर प्रदेश में भाजपा और बसपा की सरकार बनाने में उनकी बड़ी ही महत्वपूर्ण भूमिका थी।
  • इमरजेंसी के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के खिलाफ जेपी आंदोलन में भी लालजी टंडन ने बहुत बढ़-चढकर हिस्सा लिया था। यहीं से उनके राजनीतिक सफर को उड़ान मिली थी।
  • दो वर्ष पहले लालजी टंडन ने ‘अनकहा लखनऊ’ पुस्तक भी लिखी, जिसका लोकार्पण उप राष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने किया था। इस पुस्तक के माध्यम से उन्होंने कई खुलासे किये हैं। साथ ही इसमें उन्होंने अपने जीवन के अनुभवों और अनुभूतियों को उड़ेला है।

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