जानें, फिल्म पानीपत का राजस्थान में क्यों हो रहा है विरोध, लोगो ने तोड़े सिनेमा हॉल के शीशे

आशुतोष गोवारीकर की फिल्म पानीपत के दृश्यों और संवादों को लेकर राजस्थान में छिड़े विरोध के बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा है कि फिल्म बनाने से पहले किसी को भी किसी के व्यक्तित्व को सही परिप्रेक्ष्य में दिखाना सुनिश्चित करना चाहिए, ताकि विवाद की नौबत नहीं आए।

मुख्यमंत्री गहलोत ने सोमवार को एक ट्विट जारी कर कहा कि फिल्म में महाराजा सूरजमल के चित्रण को लेकर जो प्रतिक्रियाएं आ रही हैं, ऐसी स्थिति पैदा नहीं होनी चाहिए थी। सेंसर बोर्ड हस्तक्षेप करे और संज्ञान ले। डिस्ट्रीब्यूटर्स को चाहिए कि फिल्म के प्रदर्शन को लेकर जाट समाज के लोगों से अविलम्ब संवाद करें। मुख्यमंत्री ने कहा कि फिल्म बनाने से पहले किसी को भी किसी के व्यक्तित्व को सही परिप्रेक्ष्य में दिखाना सुनिश्चित करना चाहिए, ताकि विवाद की नौबत नहीं आए। मेरा मानना है कि कला का सम्मान होना चाहिए, कलाकार का सम्मान हो परंतु यह भी ध्यान रखना चाहिए कि किसी भी जाति, धर्म या वर्ग के महापुरुषों का और देवताओं का अपमान नहीं होना चाहिए।

जयपुर में प्रदर्शन के दौरान सिनेमा हॉल के शीशे तोड़े
फिल्म पानीपत में महाराजा सूरजमल के चरित्र को गलत तरीके से फिल्माए जाने का विरोध सोमवार को भी जारी रहा। इस दौरान बीकानेर, भरतपुर समेत राजस्थान में कई जगह फिल्म के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है। लोगों का कहना है कि फिल्म के दृश्यों को वायरल किया जा रहा है, जिसमें महाराजा सूरजमल को गलत तरीके से दिखाया जा रहा है। जयपुर में सोमवार को वैशाली नगर स्थित एक सिनेमा हॉल में तोडफ़ोड़ की गई। फिल्म के विरोध में सोमवार सुबह से भरतपुर बंद रखा गया। इस दौरान बड़ी संख्या में लोग सडक़ों पर उतरे। जहां फिल्म के खिलाफ नारे लगाए गए। साथ ही फिल्म को बैन करने की मांग की गई। बीकानेर में फिल्म के प्रदर्शन के दौरान बड़ी संख्या में लोग एक सिनेमा घर के बाहर पहुंचे। जिन्होंने सिनेमाघर का दरवाजा बंद कर दिया।

इसलिए हो रहा विरोध
फिल्म में भरतपुर के संस्थापक महाराजा सूरजमल को लालची शासक के रूप में दर्शाने का लोग विरोध कर रहे है। हाल ही में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, महाराजा सूरजमल के वंशज व पर्यटन मंत्री विश्वेंद्र सिंह, नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल, राज्यसभा सांसद डॉ. किरोड़ी लाल मीणा सहित कई लोगों ने फिल्म के प्रसारण पर रोक लगाने की मांग की है।

गौरतलब है कि दो साल पहले भी प्रदेश में पद्मावत पर विवाद हुआ था, तब पिछली वसुंधरा सरकार ने इसके प्रसारण पर रोक लगा दी थी। फिल्म में महाराजा सूरजमल को मराठा पेशवा सदाशिव राव से संवाद के दौरान इमाद को दिल्ली का वजीर बनाने व आगरा का किला उन्हें सौंपे जाने की मांग करते दिखाया गया है। इस पर पेशवा सदाशिव आपत्ति जताते हैं। सूरजमल ने भी अहमदशाह अब्दाली के खिलाफ युद्ध में साथ देने से इनकार कर देते हैं। सूरजमल को हरियाणवी व राजस्थानी भाषा के टच में भी दिखाया है।

पर्यटन मंत्री विश्वेंद्र सिंह ने सीएम अशोक गहलोत को पत्र लिखकर मांग की है कि प्रदेश में पर्यटन विभाग को स्क्रिप्ट दिखाए बिना फिल्मों की शूटिंग न होने दी जाए। ऐतिहासिक पृष्ठभूमि की फिल्मों के लिए पहले अनुमति लेनी होगी। उन्होंने विवादित फिल्मों की जांच के लिए कमेटी बनाने की मांग भी की। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने कहा था कि स्वाभिमानी, निष्ठावान व हृदय सम्राट महाराजा सूरजमल का गलत चित्रण निंदनीय है। जबकि, हनुमान बेनीवाल का कहना था कि इतिहास को गलत तथ्यों के साथ प्रस्तुत करने से समाज में रोष है। उन्होंने फिल्म से विवादित दृश्य हटाए जाएं।

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