मायावती का स्मारक घोटाला, ED फिर खोलेगी बोतल में बंद 8 साल पुराना जिन्न..

मीरजापुर । बसपा सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट वर्ष 2007 से वर्ष 2011 के मध्य हुए स्मारक घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय की लखनऊ शाखा ने नए सिरे से जांच शुरू कर दी है। ईडी ने स्मारक निर्माण के लिए पत्थर आपूर्ति करने वाले अहरौरा के 24 खनन व्यवसायियों को नोटिस जारी की है। साथ ही सात दिनों में ईडी के क्षेत्रीय कार्यालय में उपस्थित होकर जवाब देने के निर्देश दिए हैं।

ईडी के नोटिस से आठ साल पहले बोतल में बंद जिन्न बाहर निकलकर फुफकारने लगा है। बसपा सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट के लिए वर्ष 2011 में महापुरुषों के नाम पर कुल 42 अरब की लागत से स्मारकों का निर्माण लखनऊ व नोएडा में कराया गया। बसपा के बाद सूबे की बागडोर संभालने वाली सपा की अखिलेश सरकार ने वर्ष 2012 में स्मारक निर्माण की लोकायुक्त से जांच कराई। लोकायुक्त की जांच में कुल 14 अरब 50,00000 रुपये के सरकारी धन के दुरुपयोग का मामला सामने आया। जांच रिपोर्ट के आधार पर तत्कालीन लोकायुक्त न्यायमूर्ति एनके मेहरोत्रा ने तीन आईएएस अधिकारियों समेत 199 फर्मों व इंजीनियरों को दोषी करार दिया और नवम्बर 2013 में लोकायुक्त ने अपनी रिपोर्ट शासन को सौंप दी।

वर्ष 2014 में शासन ने सतर्कता अधिष्ठान को जांच सौंपते हुए विस्तृत जांच पड़ताल के आदेश दिए, जो अभी जारी है। इस बीच ईडी के जांच में कूद जाने से पूरे मामले में धन-शोधन का मामला प्रकाश में आया है। अहरौरा इलाके से कुल 61 पत्थर आपूर्तिकर्ताओं ने लखनऊ से लेकर नोएडा में चमकते गुलाबी पत्थरों से निर्मित स्मारकों के लिए पत्थर की आपूर्ति की है।

ईडी ने फिलहाल 61 आपूर्तिकर्ताओं में 24 पत्थर आपूर्तिकर्ताओं को नोटिस जारी की है। साथ ही सात दिन के अंदर ईडी के लखनऊ कार्यालय में उपस्थित होकर समस्त बैंक खातों, धन निवेश की जानकारी देने के निर्देश दिए हैं। ईडी के सूत्रों ने प्रारंभिक संकेत दिए हैं कि अहरौरा इलाके के पत्थर आपूर्तिकर्ताओं ने बड़े पैमाने पर सरकारी धन का दुरुपयोग करके देश के विभिन्न हिस्सों में अवैध धन का निवेश कर रखा है। प्रवर्तन निदेशालय के इस कदम से क्षेत्र के पत्थर व्यवसायियों में हड़कम्प मच गया है।

मुख्य बिंदु
1. 14 अरब,50,000 रुपये की लागत से हुआ कार्य
2. तीन आईएस,199 फर्म जांच के दायरे में
3. लखनऊ से लेकर नोएड तक बने हैं स्मारक

इस अधिनियम के तहत दिया गया नोटिस
प्रवर्तन निदेशालय के अधिनियम की धारा-50 की उप-धारा (2) और (तीन) के अंतर्गत दिए गए अधिकारों का प्रयोग करते हुए सम्मन जारी किया गया।

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