पोषण पाठशाला मे माताएँ सीख रहीं पोषण का ककहरा

जमीनी कार्यकर्ता बदल रहे हैं जिले के पोषण की तस्वीर

क़ुतुब अन्सारी

बहराइच l उसे काम पर भी जाना था, लेकिन जाने से पहले वह लाडली का ख्याल रखना नहीं भूली । उसकी बड़ी बिटिया अभी छोटी थी इसलिए कटोरी-चम्मच से अपनी छोटी बहन को खाना खिलाना उसके बस में नहीं था । ऐसे में उसने अपने दुपट्टे को कमर से बाँधा और गाढ़ी दाल के साथ उबले आलू मसल कर अपनी लाडली  को खिलाने लगी। तभी काम पर जाने वाली महिलाओं ने दरवाजे पर दस्तक दी, सभी लोग जा रहे हैं तुम नहीं जाओगी …। उसने मुस्कराते हुये एक नज़र अपनी लाडली को देखा और काम पर निकल पड़ी।


यह कहानी है महसी ब्लॉक के मुकेरिया ग्राम पंचायत के पचपेड़वा गाँव के महिलाओं की, यहाँ की महिलाएं ज्यादा पढ़ी लिखी तो नहीं हैं लेकिन गाँव की आशा राधिका देवी और आंगनवाड़ी मंजू देवी के प्रयास से उन्हे बच्चों का पालन पोषण करना बखूबी आता है। छः माह तक बच्चों को सिर्फ माँ का दूध और छह माह बाद माँ के दूध के साथ कटोरी- चम्मच से ऊपरी आहार देना इनकी आदत में शुमार है।


यह सब संभव हुआ है स्वास्थ्य विभाग और बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग के आपसी समन्वय से। इस अभियान मे  यूनिसेफ , पिरामिल फाउंडेशन, टाटा ट्रस्ट और यूपी टीएसयू ने भी सहयोग किया। जिसके चलते जिले के तमाम गांवों में ऐसा ही नजारा देखने को मिल सकता है। इन संस्थाओं के सहयोग से आंगनवाड़ी केन्द्रों मे गोदभराई और अन्नप्राशन जैसे कार्यक्रमों का आयोजन किया गया | जिसमे बच्चों के पालन पोषण के आधुनिक तरीके माताओं को सिखाये गए। जिसके चलते वर्ष 2018-19 में पोषण अभियान कार्यक्रम के तहत जिले को प्रदेश में पहला स्थान मिला था। जिस पर केंद्र सरकार ने डीएम, सीडीओ, सीएमओ और डीपीओ को सम्मानित किया था। नई दिल्ली में आयोजित एक समारोह में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने इन चारों अधिकारियों को प्रमाण पत्र, मेडल और स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया था।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ—

मेडिकल कालेज बहराइच के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ असद अली की माने तो बचपन मे खिलाने पिलाने मे कमियों की वजह से बच्चों की लंबाई और वजन दोनों उम्र के हिसाब से कम हो जाती है | वह कुपोषण के शिकार हो जाते हैं |
चिकित्सा अधीक्षक डॉ ममता बसंत बताती हैं कि 6 माह तक नवजात को सिर्फ मां का दूध ही देना चाहिए इसके बाद शिशु को पूरक आहार देना चाहिए। पूरक आहार से बच्चे का शारीरिक एवं मानसिक विकास होता है तथा बच्चा कुपोषण जनित कई तरह की बीमारियों से बचा रहता है।

छः माह की आयु पूरी कर चुके बच्चे को क्या खिलाएँ –

◆ बच्चा जितनी बार चाहे उसे स्तनपान कराएं |
◆ बच्चे को दिन में तीन से पाँच बार कटोरी-चम्मच से आहार दें |
◆ बिना पानी मिले मीठे दूध अथवा दाल में रोटी, या चावल मसलकर दें |
◆ खिचड़ी में घी /तेल और पकी हुई सब्जियाँ मिलाकर दें।
◆ खीर, सिवैंया, हलवा, दलिया दूध मे बनाया हुआ अन्य किसी अनाज को दूध मे पका कर दें|
◆ उबले, तले हुए आलू, केला, चीकू, आम, पपीता मसलकर दें |
◆ परिवार मे स्वीकार्य हो तो अंडा अच्छे नाश्ते का काम कर सकता है |

खबरें और भी हैं...

अपना शहर चुनें