मुरादनगर हादसा : जब सभासद जब घूमेंगे शिमला टूर तो श्मशान में होगा भष्ट्राचार


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.-.- डॉ राहुल चतुर्वेदी
गाजियाबाद मुरादनगर के श्मशान घाट के गलियारे के लेन्टर निरने से मरे 25 लोगो की मौत के लिए न केवल पालिका अधिकारी और कर्मचारी जिम्मेदार है बल्कि  नगर पालिका से जुडे दर्जनो सभासद भी अपनी नैतिक जिम्मेदारी से नही बच सकते । पीडित परिवारो का कहना है कि विभिन्न वार्डो से हमने इन सभासदो को इसलिए नगर पालिका बोर्ड में चुनकर भेजा था ताकि वे नगर पालिका के द्वारा कराये जा रहे कार्यो की गुणवत्ता पर नजर रखें लेकिन ये सभासद भी अपने उत्तरदायित्व केा भूलकर भ्रष्टाचार के इस खेल में शामिल हो गये।

पडताल के दौरान यह तथ्य भी उभरकर सामने आया है कि कुछ सभासदो को पिछले दिनों नगर पालिका के खर्चे पर शिमला व अन्य रमणीक स्थानो पर जमकर सैर सपाटा कराया गया था। इस खर्चे का ब्यौरा भी नगर पालिका के लेखा विभाग में दर्ज है। सूत्रो का कहना है कि कुछ खुददार और स्वाभिमानी सभासदो ने इस सैरसपाटे का विरोध भी किया था लेकिन उनकी संख्या कम होने के कारण मुरादनगर के श्मशान घाट में दबकर रह गयी। सूत्रो का कहना है कि जब श्मशान धाट के गलियारे में प्रयोग की जा रही घटिया सामग्री पर इन जनप्रतिनिधियो ने आवाज उठायी तो नगर पालिका प्रशासन ने इनकी जुबान बन्द करने के लिए शिमला और अन्य स्थानो का जमकर सैर सपाटा गया।बडे बुजुर्गो की  एक कहावत है कि नींव कच्ची तो भवन कब गिर जाए पता नहीं है। ऐसा ही नगरपालिका परिषद के सभासद भी नगरपालिका परिषद की नींव होते है। जब वे लालची व कमशीनखोर  हो तो आप कैसे कह सकते है कि वहां पर भष्ट्राचार नहीं होगा। ऐसा नहीं है  कि सभासदों को भवन व निर्माण कार्यों की जानकारी नहीं होती है।

इस संबंध में पीडित परिवारो के सदस्यो से इस संवाददाता ने बातचीत की तो उन्होने बताया कि ऐसा नही है कि सभासदों को भ्रष्टाचार की जानकारी नही होती यद्यपि सभी जानकारी उन्हे होती है क्योंकि सभी कार्य के प्रस्ताव उनकी सहमति से होते हैं। उनका कहना है कि यदि मुरादनगर नगरपालिका परिषद के सभासद जागरूक व ईमानदार होते तो शायद यह हादसा नहीं होता ए क्योंकि जिस सभासद के वार्ड में निर्माण कार्य होता है उसकी जिम्मेदारी होती है कि वह उसकी निगरानी करे तथा निर्माण कार्य गलत हो रहा हो तो उसकी शिकायत उच्चाधिकारियों से करे। शिकायत की सुनवाई नहीं होने पर वार्ड की जनता को जानकारी दे। क्योंकि वार्ड के लोगों  ने वोट देकर उसे प्रतिनिधि बनाया है। वार्ड के लोगों के साथ धरना व प्रदर्शन करे। ये उसका व जनता का अधिकार है। लेकिन मुरादनगर नगरपालिका परिषद के सभासदों का विरोध मात्र दिखावा होता है। क्योंकि जब सभासद विरोध करते है तो नगरपालिका परिषद अध्यक्ष उन्हें शिमला घूमने टूर पर भेजते हैं । सभासद विरोध बंद कर देते हैं। सभासद विरोध करते है तो नगरपालिका परिषद अध्यक्ष मानहानि का नोट भेज देते है ।

वहीं सभासद डर से विरोध बंद कर नगरपालिका परिषद के अध्यक्ष को शपथ पत्र देकर समझौता कर लेते हैं या सभासद अखबारों में खबर बनवाने के लिए विरोध करते हैं। नगरपालिका अध्यक्ष के विरोध में सभासद डीएम को सभासद पद से इस्तीफा देने की बात कहकर अखबार में खबर छपवाते हैं लेकिन इस्तीफा नहीं देते हैं। इन सभी नाटकों  को वे विरोध कहते हैं। इतना ही नहीं सभासद वार्ड के निर्माण कार्यों में ठेकेदार से कमीशन लेते हैं। वह सभासद अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह नहीं करते हैं तथा वार्ड के मतदाताओं के साथ धोखा करते हैं।  लेखक दैनिक भास्कर के संपादकीय सलाहकार हैं

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