निर्भया के दोषी अक्षय ने फांसी टालने को चला एक और पैंतरा, पत्नी ने मांगा तलाक

पटना/औरंगाबाद )। निर्भया कांड के चार में से एक दोषी अक्षय ठाकुर की पत्नी ने औरंगाबाद फेमिली कोर्ट में पति से तलाक की अर्जी लगायी है। उसकी याचिका पर न्यायाधीश रामलाल शर्मा ने सुनवाई की तारीख 19 मार्च तय की है यानि दोषियों की फांसी से एक दिन पहले।

एक बच्चे के मां पुनीता देवी के वकील मुकेश कुमार सिंह ने फेमिली कोर्ट मे अर्जी लगाते हुए दलील दी है कि महिला को तलाक दिलाया जाये क्योंकि वह विधवा बनकर शेष जीवन बसर करना नहीं चाहती। इस याचिका को तलाक के लिए नहीं बल्कि अक्षय ठाकुर को फांसी के फंदे से दूर करने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है।

कहा जा रहा है कि सारे कानूनी पैंतरे चलकर फांसी की तारीख तीन बार बढ़वा चुके इन दोषियों के वकील ने यह नयी चाल चली है ताकि इस बहाने एक बार फिर से मौत की तारीख बढ़वायी जा सके। तलाक की अर्जी पर 19 मर्च को सुनवाई होनी है लेकिन यह सुनवाई केवल एक पक्ष को लेकर नहीं हो सकती। इसमें कोर्ट को अक्षय ठाकुर का पक्ष भी लेना होगा होगा। अभी की स्थिति में यह संभव नहीं लग रहा क्योंकि अक्षय समेत चारों दोषियों को 20 मार्च की सुबह 5.30 तिहाड़ जेल मे फांसी दी जानी है।

दक्षिण बिहार के औरंगाबाद जिला के लहंग कर्मा गांव में अक्षय ठाकुर का घर है जिसमें उसके माता-पिता, दो भाई, पत्नी और बच्चे रहते हैं। वर्षों से चल रही अदालती लड़ाई में यह परिवार क़र्ज़ में डूबा हुआ है। साथ ही गांव के लोगों ने इस परिवार से दूरी बना ली है। अक्षय ठाकुर की पत्नी पुनीता देवी अपनी ससुराल लहंग कर्मा गांव में 9 वर्षीय बेटे के साथ रह रही है। उसका कहना है कि उसके पति की फांसी तय है लेकिन वह विधवा के रूप में जीना नहीं चाहती।

इसलिए वह तलाक लेना चाहती है। उसके वकील मुकेश कुमार सिंह का कहना है कि महिला को विधिक अधिकार है कि वह हिंदू विवाह अधिनियम 13(2)(II) के तहत कुछ खास मामलों में तलाक ले सकती है। अगर बलात्कार के मामले में किसी महिला के पति को दोषी ठहरा दिया जाता है तो पत्नी को तलाक लेने का अधिकार है लेकिन उनके पास इस बात का कोई उत्तर नहीं था कि जब फांसी की सजा में केवल तीन दिन बचे हैं, तब ही क्यों तलाक की अर्जी डाली गयी है।

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