मध्यप्रदेश में सियासी घमासान जारी, सरकार बचाने में जुटी कांग्रेस

मध्यप्रदेश में बीते एक सप्ताह से चल रहा सियासी घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा है। पूर्व केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में शामिल होने के बाद उनके समर्थकों ने भी कांग्रेस का साथ छोड़ दिया है। अब तक छह मंत्रियों समेत कुल 22 विधायकों के अलावा सैकड़ों सिंधिया समर्थक अपने पदों से इस्तीफा दे चुके हैं। ऐसे में कांग्रेस अपनी सरकार बचाने में जुट गई है।

मुख्यमंत्री कमनलाथ ने शुक्रवार को राज्यपाल लालजी टण्डन से मुलाकात कर बेंगलुरु पहुंचे कांग्रेस के 19 विधायकों को वापस लाने की मांग की थी। इस दौरान उन्होंने आरोप लगाया था कि भाजपा द्वारा उन विधायकों को बेंगलुरु में बंधक बनाकर रखा है। वहीं, उन्होंने दो मंत्रियों जीतू पटवारी और लाखन सिंह यादव को अपने विधायकों को मनाने के लिए बेंगलुरु भेजा था, लेकिन सिंधिया समर्थक विधायकों से बात करने के लिए बेंगलुरु गए मंत्री जीतू पटवारी और लाखन सिंह यादव नाकाम होकर लौट आए हैं। मंत्री जीतू पटवारी ने वापस आकर कहा है कि बेंगलुरु में सभी विधायकों को बंदी बनाकर रखा गया है। वे कांग्रेस के सदस्य हैं और वापस आने के बाद वे सरकार का ही साथ देंगे। बताया जा रहा है कि आज (शनिवार) शाम तक बेंगलुरु से सभी विधायक भोपाल पहुंचने वाले हैं।

इधर, निर्दलीय विधायक सुरेन्द्र सिंह शेरा को सीएम कमनलाथ ने मंत्री बनाने का आश्वासन दिया है। इसके बाद से वे कमलनाथ सरकार का साथ देने की बात कह रहे हैं, जबकि बसपा के दो विधायक भी सरकार को समर्थन दे रहे हैं और अब तक बसपा ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं। राज्यसभा चुनाव में बसपा किसके साथ जाएगी, यह भी अभी तय नहीं हुआ है। दोनों बसपा विधायकों का कहना है कि उन्हें पार्टी सुप्रीमो मायावती के निर्देश का इंतजार है, लेकिन कमलनाथ सरकार को समर्थन दे रहे एकमात्र सपा विधायक ने कांग्रेस का साथ देने का संकेत दिया है। सपा के प्रदेश प्रभारी जगदेव यादव ने कहा है कि हम कांग्रेस के साथ हैं और आगे भी रहेंगे।

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