सरकारी अस्पताल में प्रेग्नंत मुस्लिम महिला को भर्ती करने से किया मना, नवजात ने तोड़ा दम

भरतपुर. मैं अपनी पत्नी को लेकर सुबह भरतपुर के जनाना हॉस्पिटल पहुंचा। उसे रात से दर्द हो रहा था। ब्लीडिंग भी हो रही थी। सुबह एक महिला डॉक्टर आई उन्होंने मुझसे मेरा नाम पूछा- मैंने कहा इरफान है। उन्होंने कहा आप मुस्लिम हो। इसके बाद वह चौकन्ना हो गई। उन्होंने कहा कि तुम्हारा इलाज यहां नहीं होगा। मैं रोता हुआ अस्पताल से निकल गया। भरतपुर से निकलते ही रास्ते में मेरी पत्नी की डिलिवरी हो गई। थोड़ी देर बाद बच्चा खत्म हो गया। अगर अस्पताल वाले मेरी पत्नी की देखभाल कर लेते तो मेरा बच्चा सुरक्षित होता। यह आरोप है कि भरतपुर के रहने वाले इरफान का। इरफान की पत्नी परवीना गर्भवती थी। भरतपुर की डॉक्टर ने उसे जयुपर के लिए रेफर कर दिया था। रास्ते में डिलीवरी हुई और बच्चे की मौत हो गई। इरफान का वीडियो राज्य सरकार में पर्यटन मंत्री विश्वेंद्र सिंह ने ट्वीट किया है।

मंत्री के ट्वीट के बाद मचा हड़कंप:

https://twitter.com/vishvendrabtp/status/1246358471236136961

इस मामले को विश्वेंद्र सिंह ने कई ट्वीट किए। इसमें उन्होंने लिखा-भरतपुर के जनाना अस्पताल में एक मुस्लिम गर्भवती महिला का इलाज करने से मना करते हुए डॉक्टर द्वारा कहा गया कि आप मुस्लिम हैं जयपुर जाकर इलाज करवायें। इस दौरान अस्पताल के कॉरिडोर में प्रसव के दौरान बच्चे ने दम तोड़ दिया। ये बेहद शर्मनाक घटना है। किसी धर्म के चंद सिरफिरो की जमात ने पूरे भारत में तांडव मचाया है लेकिन इसका मतलब यह कतई नहीं हो सकता कि धर्म के नाम पर किसी महिला को ऐसी भयानक पीड़ा और तिरस्कार का सामना करना पड़े। एक मां को उसके बच्चे के खोने से ज्यादा बड़ी पीड़ा कोई हो नहीं सकती… यह कतई स्वीकार्य नहीं है।

सरकार की सफाई, कहा- तीन मुस्लिम महिलाओं का हॉस्पिटल में चल रहा इलाज

मंत्री के ट्वीट के बाद सरकार और प्रशासन दोनों में हड़कंप मच गया। मुख्यमंत्री गहलोत और चिकित्सा राज्यमंत्री डॉ. सुभाष गर्ग के निर्देश पर जिला प्रशासन ने पूरे मामले की जांच कराई। चिकित्सा राज्यमंत्री ने भी मामले में मीडिया से बात की। उन्होंने बताया कि पीड़िता की 7वीं डिलीवरी थी। उसे साढ़े छह महीने का गर्भ था। लेबर पेन और ब्लीडिंग शुरू होने के कारण सुबह 6 बजे नगर सीएचसी से रेफर किया गया था। महिला सुबह 8.30 बजे भरतपुर के जनाना अस्पताल में पहुंची। यहां दो महिला डॉक्टरों ने उसकी जांच की थी। चूंकि यह मामला क्रिटिकल था। इसमें मां और बच्चे की जान संकट में थी। इसलिए जयपुर के लिए रेफर किया गया। डिलीवरी के बाद पता चला कि प्री-मेच्योर होने के कारण बच्चे का वजन भी 900 ग्राम ही था। मुस्लिम होने के आधार पर इलाज नहीं करने की बात निराधार है। पिछले पांच दिन में जनाना अस्पताल में ही तीन मुस्लिम महिलाएं भर्ती हो चुकी हैं, जिनका इलाज हुआ है। जिला अस्पताल आरबीएम के आइसोलेशन और क्वारेंटाइन में भी इन दिनों करीब 165 कोरोना संदिग्ध भर्ती हैं। ये लोग तब्लीगी जमात से संबंधित हैं।

फिर मंत्री ने पीड़िता की भाभी का वीडियो भी ट्वीट किया:

https://twitter.com/vishvendrabtp/status/1246440393601765380

मंत्री विश्वेंद्र सिंह ने इसके बाद पीड़ित महिला की भाभी का फातिमा का एक वीडियो ट्वीट किया। इसमें वह कह रही है कि पुलिस आई और उन्होंने कहा कि तुमने क्या घमासान मचा रखा है। ये क्या हो रहा है। जिसके बाद हमने घबराकर पता नहीं कैसे-कैसे बयान दे दिए।

एक यह भी बात आई सामने
उधर, हॉस्पिटल सूत्रों का कहना है कि महिला की सोनोग्राफी रिपोर्ट देखी गई थी और इंजेक्शन भी लगाया था। जयपुर जाने के दौरान एंबुलेंस में चढ़ने में महिला को डिलीवरी हुई थी। इसके बाद परिजन वापस उसे जनाना अस्पताल में लेकर आए। जहां डॉक्टरों ने पीड़िता को भर्ती करके उसका इलाज शुरू कर दिया। बच्चे की मौत हो चुकी थी। महिला का पति इरफान भाजपा का कार्यकर्ता बताया जा रहा है।

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