जामिया हिंसा पर SC सख्त, CJI बोले- कानून व्यवस्था को हाथ में नहीं ले सकते छात्र

नागरिकता संशोधन कानून 2019 के खिलाफ जामिया मिल्लिया इस्‍लामिया विश्वविद्यालय और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में हुए कथित हिंसक प्रदर्शनों का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। सुप्रीम कोर्ट ने वकील इंदिरा जयसिंह की याचिका पर कहा कि वह हिंसा समाप्‍त होने के बाद कल यानी मंगलवार को मामले की सुनवाई कर सकता है। शीर्ष आदलत ने कहा कि हम शांतिपूर्ण प्रदर्शनों के खिलाफ नहीं हैं लेकिन हम कानून व्‍यवस्‍था को हाथ में लेने की इजाजत नहीं दे सकते हैं।

इंदिरा जयसिंह ने शीर्ष अदालत से कहा कि वह इस मसले पर संज्ञान ले क्‍योंकि यह मानवाधिकार का उल्लंघन है। इस पर मुख्‍य न्‍यायाधीश एसए बोबड़े ने कहा कि वह चाहते हैं कि हिंसा रुके। हम अधिकारों का निर्धारण करेंगे लेकिन दंगे की हालातों में यह नहीं हो सकता है। पहले यह सब शांत हो जाए इस के बाद हम पूरे मामले पर विचार करेंगे। हम अधिकारों और शातिंपूर्ण प्रदर्शनों के खिलाफ नहीं हैं।

बता दें कि देश में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध के नाम पर असम और बंगाल से शुरू हुई हिंसा की लपटों ने रविवार को राजधानी दिल्ली और उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ को अपनी चपेट में ले लिया था। दिल्ली के जामिया मिल्लिया विश्‍वविद्यालय और अलीगढ़ के एएमयू में उपद्रवियों ने सबसे ज्यादा बवाल किया। दिल्ली में कई बसें और पुलिस चौकियां फूंक दी गईं। यहां छात्रों, पुलिसकर्मियों और दमकलकर्मियों समेत करीब 40 लोग घायल हो गए थे।

रिपोर्टों के मुताबिक, दिल्ली में Citizenship Amendment Act 2019 के खिलाफ जामिया मिल्लिया इस्लामिया में तीन दिन से विरोध प्रदर्शन चल रहा था लेकिन रविवार को इसमें उपद्रवी भी शामिल हो गए जिसके बाद स्थिति ब‍िगड़ गई। उत्पातियों ने पूरे दिन दिल्ली-नोएडा रोड और मथुरा रोड को ठप कर दिया। शाम करीब पांच बजे मथुरा रोड पर सूर्या होटल के सामने चार बसों और बटला हाउस मेन चौक पर बनी पुलिस चौकियों को फूंक दिया।

मंगलवार को SC में सुनवाई

सीनियर एडवोकेट इंदिरा जयसिंह ने जामिया और AMU छात्रों पर पुलिस द्वारा किए गए लाठीचार्ज को मानव अधिकारों का उल्लंघन बताते हुए चीफ जस्टिस (CJI) एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली बेंच के सामने इस मुद्दे को संज्ञान में लेने की मांग उठाई है। इस पर CJI बोबडे ने कहा कि ‘हम अधिकारों का निर्धारण करेंगे, लेकिन दंगों के माहौल में नहीं।’ उनका कहना है कि ‘जब तक दंगों की स्थिति बनी रहेगी, तब तक हम मामले को संज्ञान में नहीं लेंगे।’

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