निराश्रित बच्चों का “आसरा”

ग़ाज़ियाबाद : कहते हैं कि बच्चे भगवान का रूप होते हैं, और ये सच भी है, जब हम छोटे छोटे बच्चों के निश्छल चेहरे पर मुस्कान देखते हैं तो अनायास ही हमें उनमें भगवान का स्वरूप नजर आता है | ये कहना है अर्चना माथुर का जो विशेष रूप से नेहरू नगर स्थित आसरा अनाथ आश्रम में रह रहे इन बच्चों से मिलने रुड़की से यहाँ आई थीं | अर्चना पेशे से अध्यापक रही हैं लेकिन रिटायर होने के बाद उन्होंने अपना बाकी का जीवन अनाथ बच्चों के लिए समर्पित कर काम करने का फैसला किया है | उनकी कोशिश रहती है कि किसी तरह से इन अनाथ बच्चों के जीवन में खुशियां ला सकें | अपनी इसी भावना के तहत वे आसरा अनाथ आश्रम पहुंचीं और वहां रह रहे बच्चों से मुलाकात की | छोटे छोटे बच्चे भी उन्हें अपने बीच पाकर बहुत खुश हुए |

उन्होंने आश्रम की संचालिका से भी बच्चों के बारे में जानकारी ली | अर्चना ने बताया की रुड़की के अलावा जहाँ भी उन्हें इस तरह के आश्रम की जानकारी मिलती है वहां वे जरूर जाती हैं | उनकी लगातार कोशिस रहती है किकिसी भी तरह से अपने मन बाप से बिछड़े बच्चों को उनसे मिलाया जाए | उन्हें इन बच्चों का साथ बहुत अच्छा लगता है | उनकी तीन बेटियां और एक बेटा है जिनकी शादी हो चुकी है | उनकी बड़ी बेटी रोमी माथुर भी समाज सेवा के छेत्र से जुडी हैं | उनके साथ मनीषा यादव और उनकी बड़ी बेटी रोमी माथुर ने भी बच्चों के साथ समय बिताया और सभी को फल,मिठाइयां और खिलौने बांटे |

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