कोविड-19 की रोकथाम के लिए स्मार्ट शहर अपना रहे हैं स्मार्ट तरीके, जानिए कैसे

नई दिल्ली । देश के स्मार्ट शहरों में कोविड से निपटने व बेहतर प्रबंधन के लिए प्रशासन स्मार्ट तरीके अपना रहे हैं। भोपाल, जबलपुर, इंदौर, बंगलुरू, कोटा, चेन्नई, गांधीनगर जैसे कई स्मार्ट शहरों में टेलीमेडिसिन के माध्यम से लोग डॉक्टरों से चिकित्सीय सलाह ले रहे हैं। कई शहरों में आधुनिक एप के माध्यम से कोविड के मरीजों की निगरानी की जा रही है। शहरी विकास मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार मंत्रालय टेलिमेडिसिन को स्मार्ट शहरों में उपयोगी और कारगर बनाने के लिए अस्पतालों और डॉक्टरों के साथ समन्वय स्थापित कर रहा है। कोविड के मरीजों व संदिग्ध लोगों पर रखी जा रही है नजर स्मार्ट शहरों में, जियो फेन्सिग तकनीक के इस्तेमाल से कोविड के संदिग्ध लोगों और मरीजों पर नजर रखी जा रही है।

कोविड वैश्विक महामारी से लड़ने के लिए सामाजिक दूरी बनाए रखना बेहद आवश्यक है। इसलिए लोगों को ऑनलाइन चिकित्सा परामर्श सुविधाएं मुहैया कराई जा रही है। बता दें कि नीति आयोग तथा भारतीय चिकित्सा परिषद के सहयोग से स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी दिशा-निर्देश, लॉकडाउन अवधि के दौरान दूरस्थ चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध कराने की अनुमति दी जा रही है। इन दिशा-निर्देशों के अनुसार डॉक्टर टेलीफ़ोन पर बात करके या वीडियो के माध्यम से, चित्रसंदेश, ई-मेल, फैक्स और ऐसे ही सोशल मीडिया के अन्य माध्यमों के जरिए मरीजों के लिए नुस्खे लिख सकते हैं। भोपाल स्मार्ट शहर में एकीकृत कंट्रोल रूम का उपयोग नागरिकों के लिए एक हेल्पलाइन और टेली-परामर्श केंद्र के रूप में किया जा रहा है। केन्द्र के साथ एकीकृत टोल फ्री नंबर 104 की सार्वजनिक सूचना दी गई है। उज्जैन में कंट्रोल रूम के माध्यम से डॉक्टरों द्वारा पर्चे के आधार पर लोगों को दवाइयां वितरित करने के लिए 40 मेडिकल मोबाइल यूनिट्स का संचालन किया गया है। जबलपुर में रैपिड रिस्पांस टीम (आरआरटी) और मोबाइल एक्शन यूनिट (एमएयू) लोगों की स्क्रीनिंग, एम्बुलेंस और क्वारंटाइन आदि के बारे में आईसीसीसी में मौजूद अधिकारियों के साथ समन्वय कर रही है।

नागपुर नगर निगम ने खांसी, बुखार और सांस लेने में कठिनाई वाले नागरिकों की मदद के लिए कोरोना वायरस एप्लिकेशन लॉन्च किया है। नागरिकों को केवल इसपर अपने लक्षणों के बारे में जानकारी देनी होगी जिसके आधार पर यह मोबाइल एप्लिकेशन यह पता लगा लेगा कि उनमें कोरोना संक्रमण के लक्षण हैं या नहीं। यदि ऐसे कोई लक्षण पाए गए तो मोबाइल एप्लिकेशन एनएमसी डॉक्टरों की टीम को आगे की निगरानी और कार्रवाई के लिए सूचित करेगा। इसी तरह से चेन्नई में, 25 डॉक्टर आईसीसीसी में तैनात किए गए हैं। उनमें से प्रत्येक को क्वारंटाइन में रह रहे 250 लोगों की जिम्मेदारी दी गई है। डाक्टरों को इन लोगों की नैतिक और मनोवैज्ञानिक रूप से मदद करने को कहा गया यदि आवश्यक हो, तो वे इन लोगों को आवश्यक दवाएं लेने की भी सलाह दे सकते हैं।

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