विश्व स्तनपान दिवस पर खास” :  माँ के स्तनपान से निरोग रहते है बच्चे

आहार विहार का भी पालन करे आयुर्वेद ही संपूर्ण चिकित्सा पद्धति है
बहराइच। आयुर्वेद एक सम्पूर्ण चिकित्सा पद्धति है पूरी दुनिया अगर इसके नियम-संयम व आहार-विहार का पालन करे तो व्यक्त्ति बिमार पड़ ही नही सकता हैऔर 16 संस्कारो बताये है जिसमें हर संस्कार की अपनी उपयोगिता है आज विश्व स्तनपान दिवस है स्तनपान शिशुओं के लिए संपूर्ण पोषण का काम करता है, पोषण के अलावा स्तनपान के ज़रिये बच्चे के शरीर में आवश्यक खनिज और विटामिन भी पहुचते हैं।
उनकी पाचन शक्ति मजबूत बनती है। मां के दूध में  बहुत सारे उपयोगी तत्व पाये जाते है जो बच्चे के पोषण के लिये बहुत उपयोगी है एंटी ऑक्सीडेंट्स होते हैं जो शिशु को कई तरह के रोगों से बचाने का काम करते हैं माता की सेहत से ही बच्चे की सेहत है अगर माँ की सेहत अच्छी रहेगी तो बच्चे का स्वास्थ्य भी अच्छा होगा। इसलिये मां की सेहत का विशेष ध्यान घर के हर सदस्य को रखना बहुत जरूरी है अगर शिशु को कई तरह की समस्याओं से बचाना चुनौती भरा होता है इसलिये शुरु से जैसे बक्ष्हा पेट मे आये तभी से साफ सफाई से संतुलित आहार विहार की व्यवस्था कर सकती है , प्राकृतिक तरीकों के बारे में, जिन्हें अपनाकर मांएं अपना और अपने शिशु दोनों का ख्याल रख सकती हैं-
मां के दूध की गुणवत्ता उसके खान-पान पर निर्भर करती है साबुत अनाज, दालें, सूखे फल, ताजे फल, हरीसब्जियां आदि मां के सेवन करने से बच्चे के लिए पोषण मिलता है। इसलिए माँ के लिये संतुलित आहार बहुत जरूरी है ठंडा, बासी, और बहुत अधिक रुखा-सूखा खुला खाना खाने से बचें, उन खाद्य पदार्थों को खाने से बचें जो बहुत मसालेदार, कड़वे और तीखे हों।
खाना चबा चबा कर खाए और जब भूख लगे तब थोड़ी थोड़ी मात्रा में खायें
भोजन में गोभी, सेम, मटर, हरी सब्जियां पका हुआ और अच्छी तरह उबला हुआ खाना खाना बनवाकर खायें
अपने शरीर को हाइड्रेटेड रखने के लिए धीरे धीरे कम से कम 4 लीटर पानी एक दिन में पिएं, अगर  एसिडिटी डकार अधिक होती है तो डेयरी उत्पादों, अचार और मसालेदार सलाद, भोजन की जगह फलो का रस या फल का सेवन करें
इस तरह का भोजन करने से मां को और बच्चे को दस्त, पेट की ऐंठन, संक्रमण जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
गर्मियों में मां को धूप में बाहर निकलने पर सूरज की तेज़ रौशनी से बचना चाहिए। अगर बाहर से लौट रही हैं, तो तुरंत शिशु को स्तनपान नहीं करवाना चाहिए। बल्कि पहले एक आरामदायक बाथ लेकर शरीर का पूरा पसीना साफ करने के बाद ही शिशु को दूध पिलाएं।
शिशु 6 महीने का या उससे अधिक बड़ा है तो उबले पानी को ठंडा कर एक बोतल में भरें और एक–डेढ़ घंटे बाद थोड़ा-थोड़ा पिलाती रहें।
अगर मां को कफ की समस्या है, तो आहार में मिठाई और अत्यधिक नमकीन चीजों का सेवन कम करना चाहिए। फैट बढ़ाने वाला खाना, स्टार्च वाले फूड से भी बचा जा सकता है। इससे बच्चे को कफ जमने की आशंका कम होती है।
गर्मियों में दूध पिलाने वाली मां के शरीर में पानी की तेज़ी से कमी हो जाती है, इसलिये फलों का ताज़ा जूस घर पर बनाकर लेती रहें, तो फायदा हो सकता है। नारियल का पानी, नींबू पानी और लस्सी पीना भी फायदेमंद है।
गर्मियों में बच्चे के शरीर पर रैशेज हो जाना एक आम समस्या है। ऐसे में बच्चे को किसी आयुर्वेदिक तेल की मालिश की जानी चाहिए। तिल का तेल और बादाम तेल इसके लिये अच्छा साबित हो सकता है। चंदन के पाउडर का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। यह शिशु को कूल रखने में मददगार होता है।
बच्चे को ज्यादा तंग व मोटे कपड़े न पहनाएं
हमेशा सूती कपड़ों का इस्तेमाल करें, जो काफी खुले या थोड़े बड़े आकार के हों।
पैरों में हवा लगने दें, जूते या मौजे पहनाने से बच सकती हैं।
अगर शिशु को बाहर धूप में लेकर जा रही हैं तो उसके शरीर पर नरम मुलायम फैब्रिक के कपड़े पहना सकती हैं, जिससे उसके शरीर में हवा जाती रहे। सिर पर टोपी पहनाना न भूलें।
महिलाएं भी सूती कपड़े पहनेंगी, तो न तो गर्मी अधिक लगेगी और न ही पसीने की चिपचिपाहट होगी।
सिंथेटिक या अन्य फैब्रिक गर्मियों में रैशेज का कारण बन सकते हैं।
क्रॉस ओवर टॉप, वी नेक शेप का कुर्ता या रैप ड्रैस पहनने से स्तनपान करवाने में आसानी रहती है।
नर्सिंग स्लीपवियर, नर्सिंग टैंक टॉप का चुनाव कर सकती हैं।
इनरवियर में महिलाएं नर्सिंग ब्रा और शर्ट पहन सकती हैं।
थोडे बड़े बच्चो को मिक्स्ड सब्जियों टमाटर व दलिया चावल डाल कर खिछडी बना कर दे सभी विटामिन्स मिनिरल मिल जाता है इसमे

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