क्या आप भी है तनाव से परेशान, तो आज से शुरू करे सुदर्शन क्रिया

आजकल की भागती दौड़ती जिंदगी में अपने ने लिए थोड़ा सा वक्‍त निकाल पाना बेहद मुशिकल काम हो गया है। खासकर महिलाओं के लिए और भी मुश्किल है क्‍योंकि वह दोहरी जिम्‍मेदारी के बोझ से दबी हुई हैं। उन्‍हें घर और बाहर दोनों ही जगह की जिम्‍मेदारियों को निभाना पड़ता है। ऐसे में कई बार खुद के लिए वक्‍त न मिल पाने के कारण उन्‍हें नकारात्‍मक घेर लेती है। इन स्थिति में वह कई तरह की शारीरिक और मानसिक परेशानियों से घिर जाती हैं। ऐसा आपके साथ न हो इसके लिए बहुत जरूरी है कि आप योग का सहारा लें। आज हम आपको सुदर्शन क्रीया के बारे में बताएंगे, जो निगेटिविटी को आपसे कोसो दूर ले जाएगी।

क्‍या है सुदर्शन क्रिया

सुदर्शन क्रिया योगा का ही एक रूप है। इसमें सु का अर्थ उचित और दर्शन का मतलब देखना होता है। यानी इस योग क्रीया के माध्‍यम से आप चीजों के नकारात्‍मक पहलू की जगह सकारात्‍मक पहलू की ओर ज्‍यादा ध्‍यान दे सकेंगी। इस क्रीया में सांस लेने के अलग-अलग तरीके होते हैं। कभी सांस धीमी ली जाती है तो कभी तेज तो कभी सांस लेने के तरीके में उत्‍तेजना आ जाती है। बेस्‍ट बात तो यह है कि इस क्रिया को करने से शरीर पर बहुत अच्‍छा प्रभाव पड़ता है।

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सुदर्शन क्रिया करने की तकनीक

सुदर्शन क्रिया को तीन प्रकार से किया जाता है।

उज्जयी

इसे, दूसरे शब्दों में, विजयी सांस कहते हैं। इस प्रक्रिया में सांसों को धीमी गति से लेना होता है। इस प्रक्रिया में आपको आराम से सांस लेनी होती हैं और आराम से छोड़नी होती है। इस प्रक्रिया में आपको इस बात का ध्‍यान रखना होता है कि सांस लेने और निकालने में बराबर का समय लगे। इस तरह की प्रक्रिया में आप सांस को महसूस कर सकती हैं। इस तकनीक में आपको प्रति मिनट 2-4 बार सांस लेनी होती है। यह तकनीक दिमाग को शांत करती हैं और आपकी सतर्कता को बढ़ाती है।

भस्त्रिका

दूसरे शब्दों में, भस्त्रिका तकनीक को धौंकनी सांस लेना कहते हैं। भस्त्रिका तकनीक में शरीर को पहले शांत किया जाता है और बाद में उत्तेजित किया जाता है। इसका शरीर पर अनूठा प्रभाव पड़ता है। इस प्रक्रिया में मुख्य रूप से श्वास लेने की शैली छोटी और त्वरित होती है। भस्त्रिका में सांस को तेजी से व बलपूर्वक अंदर खींचना और निकालना होता है। इस प्रक्रिया में कम से कम 30 बार प्रति मिनट की रफतार से सांस को लेना और निकालना होता है। इसमें सांस निकालने की अवधि सांस लेने की अवधि से दोगुनी होनी चाहिए।

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ओम का जाप करना 

यह तो वैज्ञानिको ने भी माना है कि ओम एक मैजिकल वर्ड है। ओम’ शब्द को तीन हिस्सों में विभाजित किया जाए तो, ए-यू-एम होता है। जब इसे जोर से सुनाया जाता है तो ओम की ध्‍वनी निकलती है। ओम का जप आपको ब्रह्मांड की उत्पत्ति से जोड़ता है। यह आपको जीवन के उद्देश्य को प्राप्त करने में भी मदद करता है। ओम आपकी सांस में डूब जाता है और जीवन को बनाए रखता है। दो बार ओम का जाप करने के बाद कुछ देर के लिए शांत बैठ जाना चाहिए। इससे आपको बेहद आंदन मिलेगा।

क्रिया

इस योग का सबसे महत्‍वपूर्ण हिस्‍सा है क्रिया है। यहसांस लेने का एक एडवांस तरीका है। इसमें आपको धीरे, फिर थोड़ा तेज और बाद में काफी तेज सांस लेनी होती है। यह स्टेप आपकी दृष्टि को साफ करने में मदद करता है।

सेहत को कया होते हैं फायदे

  • सुदर्श क्रिया के जरिए कोई भी अपने संबंधों में सुधार ला सकता है और सुदर्शन क्रिया के माध्यम से अपने आस-पास खुशी, सद्भाव और प्यार का बंधन बना सकता है।
  • इस क्रिया को नियमित करने से स्वास्थ्य में सुधार होता है। यह क्रिया, ऊर्जा के स्तर को बढ़ाती है और प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में मदद करती है।
  • अगर आपका कोलेस्ट्रॉल बढ़ा हुआ है तो यह उसके स्तर को कम करती है। चुनौतीपूर्ण स्थितियों से आपको बेहतर ढंग से निपटने की सीख देती है।
  • यह नींद की गुणवत्ता में सुधार करती है। इस क्रिया के साथ ही मस्तिष्क कार्य को बढ़ावा मिलता है, जिससे आपकी रचनात्मकता बढ़ जाती है। यह क्रिया चिंता और तनाव को आपसे कोसो दूर ले जाती है।
  • सुदर्शन क्रिया आपके दिल के लिए सुरक्षा कवच की तरह काम करती है। इससे हृदय गति से संबंधित समस्या जैसे- तनाव, विकार और अवसाद सब दूर हो जाते हैं।
  • यह आपको अपने आत्मविश्वास के निर्माण में मदद करता है जिससे आप जीवन में अधिक धीरज रख सकते हैं।

 

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