दुनिया के मुस्लिमों और ईसाइयों के बीच छिड़ी जुबानी जंग, हागिया सोफिया मामले पर ईसाई देशों ने तुर्की को लताड़ा

हाल ही में तुर्की ने दमनकारी ओटोमन एंपायर की शान को प्रदर्शित करने के लिए एक म्यूज़ियम हागिया सोफिया को इस्लामिस्ट मस्जिद में बदलने का फैसला लिया है, जो कि दुनियाभर के मुस्लिमों और ईसाइयों के बीच बड़े टकराव का कारण बनता दिखाई दे रहा है। तुर्की के तानाशाह एर्दोगन के दबाव में हाल ही में वहाँ के कोर्ट ने यह फैसला सुनाया था कि हागिया सोफिया को एक मस्जिद में बदल दिया जाये। बता दें कि तुर्की के संस्थापक मुस्तफ़ा केमल अतातुर्क के फैसले के अनुसार UNESCO के निर्देशों के तहत हागिया सोफिया को एक म्यूज़ियम के तौर पर संरक्षित किया गया था। इस फैसले को अब एर्दोगन द्वारा पलट दिया गया है।

हालांकि, दुनिया को तुर्की का यह फैसला पसंद नहीं आया है। तुर्की में बढ़ते राष्ट्रवाद, या कहिए कट्टरपंथ इस्लाम का ईसाई देशों ने स्वागत नहीं किया है। हागिया सोफिया फैसले से एर्दोगन ने स्पष्ट कर दिया है कि उनकी निगाहें मुस्लिम दुनिया का अगला Caliph बनने पर हैं।

उदाहरण के लिए ग्रीस तुर्की के इस फैसले से बिलकुल भी खुश नहीं है। बता दें कि ओटोमन एंपायर के कब्जे से पहले हागिया सोफिया ग्रीक रूढ़िवादी चर्च का मुख्य केंद्र हुआ करता था। यही कारण है किग्रीस ने तुर्की के इस फैसले पर कड़ी आपत्ति जताई है और उसके इस फैसले को “सभ्य समाज के खिलाफ खुला आक्रमण” घोषित किया है। ग्रीस के सांस्कृतिक मंत्री Lina Mendoni ने कहा “एर्दोगन का राष्ट्रवाद देश को 6 दशकों पीछे लेकर जा रहा है। यहाँ न्याय निष्पक्ष तरीके से नहीं हुआ है”। उन्होंने आगे कहा, इस कदम से पूरी तरह से पुष्टि होती है कि तुर्की में कोई स्वतंत्र न्याय नहीं है”।

रूसी रूढ़िवादी चर्च ने भी हागिया सोफिया मामले पर एर्दोगन द्वारा कोर्ट की आड़ लेकर अपनी मनमर्ज़ी थोपने के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया। रूसी रूढ़िवादी चर्च के प्रवक्ता ने एक बयान देकर कहा “लाखों ईसाइयों की भावनाओं को नज़रअंदाज़ कर दिया गया है। इस मुद्दे की संवेदनशीलता को सिरे से नकार दिया गया है”। आधिकारिक तौर पर भी रूस ने इस फैसले पर अपनी आपत्ति जताई है।

अमेरिका को भी तुर्की का यह फैसला रास नहीं आया है। अमेरिकी स्टेट डिपार्टमेन्ट की प्रवक्ता मॉर्गन ओर्टेगस (Morgan Ortagus) ने एक बयान जारी कर कहा “हागिया सोफिया मामले पर एकतरफा फैसले पर हम आपत्ति दर्ज करते हैं। हमें आशा है कि तुर्की की सरकार हागिया सोफिया को सभी दर्शकों के लिए खुला रखेगी”। इसी प्रकार यूरोपीय यूनियन भी तुर्की के इस फैसले से नाखुश दिखाई दिया। EU विदेश नीति की अध्यक्ष ने एर्दोगन के फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण बताया और कहा “हागिया सोफिया को एक कोर्ट के फैसले के द्वारा मस्जिद में बदलने के फैसले पर हम अपनी निराशा प्रकट करते हैं”।

तुर्की के कड़े विरोधी देशों में से एक साइप्रस ने भी मौका ढूंढकर तुर्की को जमकर घेरा। साइप्रस के विदेश मंत्री ने एक बयान जारी कर कहा “हम तुर्की के इस फैसले की घोर भर्त्सना करते हैं और तुर्की से अंतर्राष्ट्रीय नियमों एवं क़ानूनों का पालन करने की अपील करते हैं।”

अंतर्राष्ट्रीय संगठन UNESCO ने भी तुर्की के इस फैसले को “दुर्भाग्यपूर्ण” करार दिया है और World Heritage Committee को हागिया सोफिया के दर्जे पर पुनर्विचार करने का निर्देश दिया है। UNESCO के महानिदेशक ऑड्रे अजोले के बयान के अनुसार “यह इमारत वास्तुकला की बेजोड़ कृति है और सदियों से यूरोप व एशिया के बीच वार्ता का अनूठा प्रमाण है”। उन्होंने तुर्की के राष्ट्रपति के फैसले पर गहरा खेद जताते हुए कहा कि यह इमारत एक संग्रहालय के रूप में अपनी विरासत की सार्वभौमिक प्रकृति को दर्शाती है।

स्पष्ट है कि तुर्की के एकतरफा फैसले के बाद हागिया सोफिया का दर्जा बदलने के बाद वह दुनिया के निशाने पर आ गया है, और खासकर ईसाई देशों के निशाने पर! इस मौके पर तुर्की के दोस्तों ने भी उसका साथ छोड़ दिया है। कुल मिलाकर तुर्की के लिए आने वाले दिन बड़ी मुश्किल लेकर आ सकते हैं।

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