तीन तेरह हो रही राहुल की यंग ब्रिगेड

  • ज्योतिरादित्य के बाद सचिन पायलट क ा भी मोहभंग-
  • मिलिद देवड़ा कई मौकों पर कर चुके है मोदी की तारीफ
  • यूपी में जितिन प्रसाद भी पायलट के समर्थन में आए-

योगेश श्रीवास्तव 

लखनऊ। अपने अस्तित्व को लेकर जूझ रही कांग्रेस के सामने इस समय सबसे बड़ी चुनौती अपने कुनबे को बचाने की है। कांग्रेस के पूर्व राष्टï्रीय अध्यक्ष सांसद राहुल गांधी की यंग ब्रिगेड का हिस्सा रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया के बाद सचिन पायलट ने अपनी उपेक्षा और अनदेखी से खिन्न होकर अपने समर्थकों के साथ मोर्चा खोल दिया है।

वहीं उत्तर प्रदेश में इसी यंगब्रिगेड के हिस्सा रहे जितिन प्रसाद के स्वर बदलने लगे है। मध्यप्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया से सबक लेते हुए ब्रिगेड के नेताओ ने एक-एक करके अपने रंग दिखाने शुरू कर दिये है।  हालांकि सचिन पायलट मध्यप्रदेश के ज्योतिरादित्य सिंधिया जैसा करिश्मा दिखाने मे विफल रहे। या यू कहे उनका दांव उल्टा पड़ गया जिसके चलते उन्हे अपनी डिप्टीसीएम के साथ प्रदेशाध्यक्ष की कुर्सी से हांथ धोना पड़ा। हालांकि इसके बाद भी वे हताश नहीं है उनका कहना है कि सत्य परेशान हो सकता है लेकिन पराजित नहीं हो सकता। राजस्स्थान एपिश्योड के शुरूआत में लगा था कि वे भी मध्यप्रदेश के ज्योतिरादित्य सिंधिया जैसा ही करिश्मा करेगे और राजस्थान की गहलौत सरकार पलटा देगे लेकिन दांव उल्टा पड़ गया। अशोक गहलौत का तख्तापलट करने चले पायलट स्वयं ही पलट गए।

फिलवक्त अशोक गहलौत को लगता है कि उनकी सरकार को जीवनदान मिल गया है लेकिन पायलट खेमे का कहना है कि पिक्चर बाकी है। पूर्व केन्द्रीय मंत्री राजेश पायलट व सांसद रमा पायलट के  पुत्र सचिन पायलट के खिलाफ कांग्रेस के नेतृत्व जो कार्रवाई हुई उसकों लेकर कांग्रेस में विद्रोह के स्वर उठने लगे है। राजस्थान कांग्रेस का एक बड़ा खेमा मानता है कि पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान  सचिन पायलट की प्रदेशाध्यक्ष थे तभी से उन्होंने कांग्रेस के पक्ष में माहौल और जनाधार तैयार किया जिसके चलते वहां कांग्रेस की सरकार बनी। यदि मुख्यमंत्री अशोक गहलौत इतने ही जनाधार वाले नेता थे तो क्यों नहीं लोकसभा चुनाव में अपने पुत्र को जितवा लिया। सचिन पायलट के खिलाफ हुई कार्रवाई को लेकर कांग्रेस में बागी स्वर मुखर होने लगे है।  राहुल गांधी की यंगब्रिगेड का हिस्सा रहे पूर्व केन्द्रीय मंत्री जितिन प्रसाद ने कहा कि सचिन पायलट न सिर्फ मेरे सहकर्मी ही नहीं बल्कि अच्छे मित्र भी है।

उन्होंने समर्पण भाव से पार्टी के लिए काम किया। कोई इस बात को नहीं नकार सकता। सचिन पायलट के  इस बयान को लेकर प्रदेश कांग्रेस की भी चिंता बढ़ी है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के करीबियों में गिने जाने वाले श्री प्रसाद के बागी नेता सचिन पायलट से हमदर्दी जताने के निहितार्थ लगाये जाने लगे हैं। पार्टी सूत्रों का कहना है कि प्रदेश की धौरहरा सीट से प्रतिनिधित्व करने वाले जितिन को उत्तर प्रदेश में पार्टी संगठन की मजबूती का जिम्मा सौंपा गया था लेेकिन पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के प्रदेश की राजनीति में दखल रखने के कारण वह खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। इसके अलावा प्रदेश कांग्रेस संगठन में जब भी नेतृत्व परिवर्तन का बात आती थी तो जितिन प्रसाद का ही नाम चलता था। पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिंहराव के सलाहकार तथा कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष जितेन्द्र प्रसाद के पुत्र जितिन अपनी उपेक्षा को लेकर आहत है। प्रियंका गांधी के प्रदेश प्रभारी बनने के बाद से उनके समर्थकों को लगता है कि यूपी में देरसबेर जितिन प्रसाद को माधव राव सिंधिया या पायलट जैसा ही निर्णय लेना पड़ सकता है।

क्षेत्र में पर्याप्त जनाधार होने के बाद भी जितिन प्रसाद को पिछले दो चुनावों से शिकस्त का सामना करना पड़ रहा है। पायलट और जितिन प्रसाद की ही तरह महाराष्टï्र कांग्रेस के युवा नेता और रांहुल यंग ब्रिगेड के नेता मिलिद देवड़ा भी कई मौकों पर कांग्रेस के केन्द्रीय नेतृत्व को खरी-खरी सुना सुना चुके है। कई मौकों पर उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के साथ ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कार्यशैली की भी सराहना की है। उनकी साफगोई पर कांग्रेस के दूसरे युवा नेता अजय माकन उनपर काफी भड़क चुके है साथ उन्हे नसीहत दी कि अधपकी जानकारी के साथ बयानबाजी ने करे मिलिद वर्ना पार्टी छोड़े दे।

मिलिंद ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के अमेरिका में आयोजित हाउडी मोदी की तारीफ की थी जिसके चलते उन्हे पार्टी में विरोध का सामना करना पड़ा था। सचिन पायलट को हटाए जाने के बाद पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुनील दत्त की पुत्री और पूर्व सांसद प्रिया दत्त ने कहा कि एक और दोस्त पार्टी छोड़कर चला गया। उन्होंने कहा कि एक और दोस्त ने पार्टी छोड़ दी। साचिन और ज्योतिरादित्य सहकर्मी और अच्छे दोस्त थे। दुर्भाग्य से हमारी पार्टी ने दो दिग्गज युवा नेताओं को खो दिया है। मैं नहीं मानती कि महत्वाकांक्षी होना गलत है। उन्होंने सबसे कठिन समय में कड़ी मेहनत की है।

खबरें और भी हैं...

अपना शहर चुनें