पीएम मोदी के बाद ट्रम्प दे सकते हैं जिनपिंग को 440 वॉल्ट का झटका!

चीन में इतिहास का सबसे बड़ा सोना घोटाला सामने आया है। दरअसल, चीन की एक कंपनी ने अपने 83 टन “सोने” को अलग-अलग ऋणदाताओं के पास गिरवी रख करीब 16 बिलियन युआन का कर्ज़ उठाया और अब जांच होने के बाद यह सामने आया है कि वह 83 टन सोना असल में सोना नहीं, बल्कि कॉपर था, जिसपर सोने की परत चढ़ाई गयी थी। इस फर्जीवाड़े में शामिल चीनी कंपनी Kingold अमेरिका के Nasdaq स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्टिड है, जिसके शेयरों में कल देखते ही देखते 40 प्रतिशत की गिरावट देखने को मिली। स्पष्ट है कि चीनी कंपनियों के फर्जीवाड़े के कारण अमेरिकी निवेशकों का पैदा लगातार डूब रहा है। ऐसे में अपने निवेशकों को भविष्य में ऐसी किसी धांधली से बचाने के लिए अमेरिकी सरकार अपने स्टॉक एक्सचेंज से पूर्णतः चीनी कंपनियों पर बैन भी लगा सकती है।

रअसल, चीनी कंपनियों का और धांधली का चोली-दामन का साथ रहता है। इससे पहले चीन की ही एक अन्य अमेरिकी कंपनी Luckin coffee को 300 मिलियन डॉलर का फर्जीवाड़ा करते हुए पाया गया था, क्योंकि उस कंपनी ने अप्रैल से लेकर दिसंबर 2019 तक अपने राजस्व को 300 मिलियन डॉलर बढ़ाकर दिखाया था, ताकि अमेरिकी निवेशक कंपनी में ज़्यादा निवेश कर सके। पकड़े जाने पर अमेरिकी सरकार ने उस चीनी कंपनी को अमेरिकी स्टॉक एक्सचेंज से बाहर का रास्ता दिखा दिया था। इतना ही नहीं, अमेरिकी सीनेट ने तब एक बिल पास करते हुए चीनी कंपनियों पर अमेरिका में Audit कराने का नियम भी लागू करने का प्रावधान किया था।

अमेरिका के इस बिल के तहत किसी भी चीनी कंपनी को अमेरिकी स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्टिड होने के लिए दो बड़ी शर्तों का पालन करना होगा। पहली शर्त तो यह है कि उन कंपनियों का किसी भी प्रकार से चीन की कम्युनिस्ट पार्टी से कोई संबंध नहीं होना चाहिए। दूसरी शर्त यह थी कि उन चीनी कंपनियों को अमेरिका की Auditing बॉडी Public Company Accounting Oversight Board से ही अपने खाते चेक कराने होंगे। हालांकि, जिस प्रकार चीन की तथाकथित प्राइवेट कंपनियों के CCP के साथ लिंक सामने आ रहे हैं, और जिस प्रकार ये कंपनियाँ फर्जीवाड़े में लिप्त पाई जा रही हैं, उससे लगातार अमेरिकी निवेशकों के निवेश पर खतरा मंडरा रहा है, जिसके बाद ट्रम्प प्रशासन चीनी कंपनियों पर पूर्णतः पाबंदी लगाने का कदम भी उठा सकता है। 

अभी चीन में जिस Kingold कंपनी को “सोना घोटाले” में लिप्त पाया गया है, उस कंपनी के भी CCP और PLA के साथ बेहद करीबी संबंध हैं। इसके कारण Kingold को चीन में कुछ भी करने की छूट मिली हुई है। Bank इस कंपनी को लोन देने से मना नहीं कर सकते और इस घोटाले के सामने आने के बाद भी शायद ही इस कंपनी के खिलाफ कोई कार्रवाई की जाये। ऐसी कंपनियां अमेरिका से बड़े पैमाने पर निवेश लेकर चीन में fraud करती हैं और चीन इनकी जवाबदेही तय करने में विफल साबित हुआ है।  कम्युनिस्ट पार्टी और PLA के साथ संबंध होने के कारण ये कंपनियां बड़े ही आराम से चीनी प्रशासन की कार्रवाई से बच निकलती हैं और इस प्रकार अमेरिकी निवेशकों के पैसों पर CCP अपनी अवैध गतिविधियों को अंजाम देती है।

चीनी कंपनियां किसी भी देश के सामने बड़ी सुरक्षा चुनौती पेश कर सकती हैं। दुनिया का सबसे बड़ा लोकतान्त्रिक देश भारत पहले ही 59 चीनी एप्स को प्रतिबंधित कर चुका है। ऐसे में अमेरिका को भी बड़ा कदम उठाते हुए अपने स्टॉक एक्सचेंज से चीनी कंपनियों को प्रतिबंधित कर देना चाहिए। ट्रम्प प्रशासन के रवैये को देखते हुए अमेरिका ऐसा कदम किसी भी वक्त उठा सकता है।

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