UK ऊर्जा निगम के एक निर्णय ने उसके वाणिज्यिक दृष्टिकोण पर खड़े कर दिए ये सवाल…..

उत्तराखंड ऊर्जा निगम के एक निर्णय ने उसके वाणिज्यिक दृष्टिकोण पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं। निगम ने पहले तो 50 करोड़ रुपये लोन के रूप में एक बैंक से ओवरड्राफ्ट (ओडी) कर लिए, जबकि दूसरी तरफ उसका सदुपयोग करने की जगह अन्य बैंक में उसकी एफडी करा ली। इस अटपटे निर्णय को लेकर जब आरटीआइ क्लब ने लोन व एफडी के ब्याज का अंतर और ऊर्जा निगम को हो रहे नुकसान को जानना चाहा तो निगम ने इसकी जानकारी से भी इन्कार कर दिया। सूचना आयोग पहुंचे इस मामले में मुख्य सूचना आयुक्त शत्रुघ्न सिंह ने निगम के प्रबंध निदेशक व शासन (ऊर्जा निगम) के अधिकारियों को जांच करने के निर्देश जारी किए।

सूचना आयोग में पहुंचे प्रकरण के अनुसार ऊर्जा निगम ने पंजाब नेशनल बैंक की एस्लेहॉल स्थित शाखा से 50 करोड़ रुपये की राशि ओवरड्राफ्ट के रूप में प्राप्त की। इसके दो-तीन दिन के भीतर इस राशि की एफडी बैंक ऑफ बड़ौदा (बीओबी) की किशन नगर शाखा में करा दी।

इसके बाद निगम प्रबंधन ने बीओबी से भी 50 करोड़ रुपये ओवरड्राफ्ट कर लिए और उसे पीएनबी में जमा करा दिया। इस तरह अब निगम को बीओबी से जितना ब्याज एफडी पर मिल रहा है, उससे अधिक राशि का ब्याज ओडी की राशि पर चुकाया जा रहा है। इसी अंतर को जानने के लिए आरटीआइ क्लब के महासचिव एएस धुन्ता ने ऊर्जा निगम मुख्यालय से आरटीआइ में जानकारी मांगी थी। जब निगम स्तर से जानकारी नहीं मिली तो उन्होंने सूचना आयोग में इसकी अपील दायर कर दी।

प्रकरण की सुनवाई करते हुए मुख्य सूचना आयुक्त शत्रुघ्न सिंह ने जब वित्त निदेशक को प्रकरण की जांच कर दोनों ब्याज का अंतर पता करने को कहा तो उनकी तरफ से जवाब दिया गया कि ऐसा कोई प्रावधान ही नहीं है। अपनी टिप्पणी में मुख्य सूचना आयुक्त ने कहा कि इस तरह 50 करोड़ रुपये एक बैंक से ओडी के रूप में प्राप्त कर उसकी एफडी कराना वाणिज्यिक दृष्टिकोण से उचित प्रतीत नहीं होता।

चूंकि सूचना का अधिकार अधिनियम में धारित सूचना ही दी जा सकती है, मगर जिस तरह की बातें सामने आ रही हैं, उससे नजरें भी नहीं फेरी जा सकती। ऐसे में प्रबंध निदेशक, निदेशक मंडल व शासन का दायित्व है कि वह प्रकरण की परीक्षण कराकर उचित कार्रवाई कर लें।

बिजली कंपनियों को भुगतान के लिए है ओडी अकाउंट

ऊर्जा निगम में ओडी अकाउंट की व्यवस्था बिजली कंपनियों को समय के भीतर भुगतान करने के लिए की गई है। क्योंकि समय पर बिजली खरीद का भुगतान करने पर निगम को दो फीसद की छूट प्राप्त होती है। वहीं, दूसरी तरफ भुगतान में विलंब पर प्रतिमाह सरचार्ज के रूप में 1.25 फीसद का जुर्माना अदा करना पड़ा जाता है। पिछले कुछ समय में ही ऊर्जा निगम लेट सरचार्ज के रूप में अकेले यूजेवीएनएल को करीब 40 करोड़ रुपये का भुगतान कर चुका है।

अभी तक नहीं मिला आदेश 

ऊर्जा निगम के प्रबंध निदेशक बीसीके मिश्रा के मुताबिक, सूचना आयोग का आदेश अभी तक नहीं मिला है। जैसे ही आदेश प्राप्त होगा, उसके अनुरूप आगे की कार्रवाई की जाएगी। यह भी देखा जाएगा कि ओडी अकाउंट से धनराशि निकालकर उसकी एफडी किन कारणों से कराई गई।

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