यूपी : मुख्यमंत्री योगी सड़कों पर मुस्तैद, मंत्री घरो में हुए कैद

-विधायक निधि देकर कर्तव्यों की इतिश्री कर रहे माननीय
-लाकडाउन के बहाने घर से नहीं निकल रहे दिनेश शर्मा
-क्षेत्र के लोगों को आशुतोष टंडन ने रामभरोसे छोड़ा
-बेमानी साबित हो रही है योगी की सारी नसीहते

योगेश श्रीवास्तव

लखनऊ। कोरोना जैसी महामारी को शिकस्त देने की दिशा में जिस तरह प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सक्रिय है। यदि इसी तरह की सक्रियता उनके उपमुख्यमंत्री डा.दिनेश शर्मा और मंत्रिमंडल के बाकी सदस्यों ने भी दिखाई होती इस दिशा में किए जा रहे प्रयास बेहतर से और बेहतर होते। इसमें कोई दोराय नहीं कि कोरोना को लेकर विभिन्न राज्यों के जितने मुख्यमंत्री उनमें योगी आदित्यनाथ ऐसे वाहिद मुख्यमंत्री है जो इस मुद्दे पर दिनरात एककरके अपने राज्य की जनता को इस महामारी से बचाने के लिए सारे उपाय कर रहे है। बेहतर होता यदि उनके बाकी सहयोगी भी इसी तरह जुटते तो छिटपुट जो भी शिकायते मिल रही है न मिलती। जिस तरह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कोरोना को लेकर लखनऊ से दिल्ली तक कोरोना से निपटने की रणनीति को अंजाम देने में लगे है तो उनके उपमुख्यंत्री डा.दिनेश शर्मा और बाकी मंत्रिमंडलीय सहयोगी केवल अपने विधायक निधि से पैसा देकर प्रेसनोट जारी कर वाहवाही लूटने में लगे है। डा.दिनेशशर्मा लखनऊ के कई टर्म मेयर रहे और पिछले तीन साल से प्रदेश के उपमुख्यमंत्री है वे कुछ ज्यादा ही लाकडाउन का पालन कर रहे है।

हालांकि दूसरे उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य लाकडाउन के दौरान प्रतिदिन आठ हजार लोगों को पका हुआ खाना मुहैया करा रहे है। अपने आचरण और व्यवहार के चलते केशव मौर्य की जनता और कार्यकर्ताओं के बीच खासी लोकप्रियता है। अपने विनम्र व सरल व्यवहार के लिए वे लखनऊ से लेकर अपने निर्वाचन क्षेत्र तक जाने जाते है। लाकडाउन को लेकर प्रदेश के कई मंत्रियों विधायकों के निधि से पैसा देने के बाद उन्होंने अपनी निधि से डेढ़ करोड़ देकर अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर ली। कुछ ऐसा ही रवैया प्रदेश के नगरविकास मंत्री आशुतोष टंडन का भी है। वे भी लखनऊ की पूर्वी विधानसभा क्षेत्र से दूसरी बार विधायक है और मौजूदा सरकार में कैबिनेट मंत्री है लेकिन उनके पास इतना वक्त नहीं है कि कोरोना को लेकर उत्पन्न स्थिति का जायजा लेने अपने क्षेत्र में जाते है। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मंत्रिमंडलीय सहयोगी बृजेश पाठक मंत्रिमंडल के अकेले ऐसे सदस्य है जो कोरोना पीडि़तों के साथ-साथ आमनागरिकों की समस्याओं से स्वयं रूबरू होकर उनका समाधान कर रहे है। यही नहीं वे अपने निर्वाचन क्षेत्र में प्रतिदिन पांच हजार लोगों को खाद्यान्न सामग्री उपलब्ध करा रहे है। बृजेश पाठक सरीखे मंत्रियों से डा.दिनेश शर्मा और आशुतोष टंडन जैसे मंत्रिमंडलीय सहयोगियों को सबक लेने की जरूरत है।

उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ संभवत: ऐसे पहले मुख्यमंत्री है आपात स्थिति में अंजाम से बेपरवाह होकर सड़कों पर उतर कर जनता के बीच पहुंचकर उनके लिए प्रदत्त सुविधााओं का भौतिक सत्यापन कर रहे है। जिस दिन से लाकडाउन हुआ है उसी दिन से वे प्रतिदिन अपने आवास पर अपरमुख्यसचिव अवनीश कुमार अवस्थी सहित शासन और पुलिस अधिकारियों के साथ प्रतिदिन बैठके करके कोरोना से निपटने के लिए रणनीति को अंजाम देने में लगे है।

वे प्रतिदिन अपने आवास पर बैठके कर रहे है। कोरोना को लेकर तबलीगी जमात के लोगों द्वारा जिस तरह डाक्टरो और नर्सो से व्यवहार किया जा रहा है उसके बाद से योगी आदित्यनाथ और सख्त हुए है। उन्होंने लाकडाउन के दौरान मेडिकल स्टाफ और पुलिस के खिलाफ हमला करने वालों से सख्ती से पेश आने की चेतावनी देते हुये कहा है कि इस तरह का कृत्य करने वालों के खिलाफ सीधे रासुका की कार्रवाई की जाएगी। योगी ने कहा कि उन्हे गाजियाबाद और कुछ अन्य क्षेत्रों से मेडिकल स्टाफ और पुलिसकर्मियों पर हमला करने की घटनाओं की सूचनाये मिली हैं। ऐसी घटनाओं को कतई बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। इन लोगों को कानून का पालन करने का पाठ जरूर पढ़ाना चाहिये। मुख्यमंत्री ने गाजियाबाद में नर्सो के साथ अशोभनीय टिप्पणी करने वाले जमात के लोगों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत मुकदमा दर्ज किए जाने के निर्देश दिए है।

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