VIDEO चीन के खिलाफ जंग में उतरे 3 Idiots के असली हीरो वांगचुक, कहा- सारी दुनिया साथ आए और…

फिल्म थ्री इडियट्स के असली हीरो सोनम वांगचुक ने चीन के खिलाफ एक अभियान छेड़ा है। सोनम वांगचुक वही शख्स हैं, जिनसे प्रेरित होकर फिल्म थ्री इडियट्स बनाई गई थी। रैमन मैग्सेसे अवॉर्ड विजेता सोनम वांगचुक ने चीनी सेना के आक्रामक रुख का जवाब देने के लिए वीडियो जारी किया है।

इस वीडियो में उन्होंने बताया है कि कैसे दो मोर्चे पर चीन से युद्ध जीता जाए- पहला, सेना के माध्यम से और दूसरा, चीनी सामानों का बहिष्कार करके। उन्होंने लोगों से चीनी कंपनियों में बने सामानों के बहिष्कार करने की अपील की है। वांगचुक ने कहा, “एक सप्‍ताह में चीन के सभी सॉफ्टवेयर को छोड़ें और एक साल में चीन के सभी हार्डवेयर को।”

वीडियो में उन्होंने अपना परिचय देते हुए कहा, “मैं लद्दाख में हूँ और आप देख रहे हैं सिंधु नदी को बहते हुए देख रहे हैं यहाँ, और वो जो पहाड़ियाँ हैं। उनके पीछे नुब्रा और चांगतांग के वो इलाके हैं, जहाँ पर यह तनाव बढ़ता जा रहा है। हजारों सैनिक वहाँ ले जाए जा चुके हैं। सुनने में आया है कि चीनी वायु सेना के जहाज भी वहाँ तैनात किए गए हैं और एक घंटे पहले भारतीय वायु सेना के जहाज भी मेरे ऊपर मंडरा रहे थे।”

उन्होंने आगे कहा, “सामान्यता जब सीमा पर तनाव होता है तो हम आप जैसे नागरिक यह सोचकर सो जाते हैं कि रात को सैनिक इसका जवाब दे देंगे। मगर मैं आज आप लोगों को यह जरूरी बात बताना चाहता हूँ कि इस बार सिर्फ सैनिक जवाब नहीं, दो तरफा जवाब हो और उसमें नागरिक जवाब भी हो।”

वांगचुक आगे कहते हैं, “आपने देखा होगा कि यह सिर्फ भारत के साथ नहीं हो रहा है, बल्कि पिछले कई हफ्तों से चीन यह दक्षिणी चीन सागर में वियतनाम, ताइवान और अब हांगकांग के साथ भी छेड़खानी कर रहा है, और मेरा यह विश्लेषण है कि वो यह सब किसी देश के साथ दुश्मनी से ज्यादा अपने अन्दर की समस्याओं को सुलझाने के लिए कर रहा है।”

उन्होंने कहा, आज चीन को सबसे बड़ा डर है तो अपनी जनता से है, उनकी 140 करोड़ की आबादी जो कि एक बंधुआ मजदूर की तरह बिना मानवाधिकारों के चीनी तानाशाह सरकार के लिए काम करते हैं, और उसे समृद्ध बनाते हैं। जब वो नाराज हो जाए तो फिर एक क्रांति की सी परिस्थिति बन पड़ती है और इससे चीन बहुत डरता है।

वीडियो में कहा गया है कि आज कोरोना के प्रकोप के बाद चीन में फैक्ट्रियाँ बंद हैं, एक्सपोर्ट्स बंद हैं और बेरोजगारी 20 प्रतिशत तक बढ़ चुकी है, लोग बहुत नाराज हैं, क्रांति हो सकती है, तख्तापलट हो सकता है। इसीलिए चीन अपने पड़ोसियों से दुश्मनी करके अपनी जनता को अपने साथ जोड़ने में लगा हुआ है और यह पहली बार नहीं कर रहा है। 1962 में जब भारत के साथ जंग की तो वो जंग भी उसने अपनी जनता को संभालने के लिए की थी, तब चार साल का आकाल और भुखमरी हुई थी और इससे ध्यान हटाने के लिए यह जंग की थी।

चीन के लिए अपनी जीडीपी और जो खुशहाली है, उसे बढ़ाते रहना बहुत ही जरूरी है, और जिस दिन जीडीपी घट जाए वहाँ की जनता क्रांति के लिए तैयार है, मैं तो कहता हूँ कि इस बार भारत की बुलेट पॉवर से भी और वॉलेट पॉवर से भी काम करना चाहिए।

आगे सोनम वांगचुक कहते हैं कि जरा सोचिए हम आप भारतीय उद्योग को मार कर चीन से मूर्तियों से कपड़ों तक हर साल पाँच लाख करोड़ के सामान खरीदते हैं और फिर ये पैसा आगे जाकर हमारे सीमा पर हथियार और बन्दूक बनकर हमारे सैनिकों के मौत का कारण बन सकते हैं, तो इसलिए अगर हमारे देश के 130 करोड़ लोग और तीन करोड़ भारतीय जो बाहर के देशों में हैं, सब मिलकर भारत में और बल्कि दुनिया भर में एक बायकॉट मेड इन चाइना मूवमेंट या अभियान शुरू करते हैं तो आज दुनिया भर में चीन के प्रति रोष है।

उनका कहना है कि हो सकता है कि सारी दुनिया साथ आए और इतने बड़े स्तर पर चीनी व्यापार का बायकॉट हो, कि चीन को जिसका सबसे बड़ा डर था वही हो, यानी कि उसकी अर्थव्यवस्था डगमगाए और उसकी जनता रोष में आए, विरोध और तख्तापलट और अगर हम ऐसा नहीं करते हैं तो कितनी बदनसीबी की बात होगी भारत के लिए।

सोनम ने कहा, “एक तरफ हमारे सैनिक उनके खिलाफ लड़ रहे हैं और दूसरी तरफ, हम चीनी हार्डवेयर खरीदते हैं और टिकटॉक जैसे सॉफ़्टवेयर का उपयोग करते हैं, हम उन्हें करोड़ों रुपए का बिजनेस देते है ता‍कि वे हमारे खिलाफ लड़ने के लिए अपने सैनिकों को सौंप सकें।”

उन्होंने लोगों को पीएम मोदी के ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ के लिए प्रेरित करते हुए बताया कि वो एक हफ्ते में अपने फोन से सारे चीनी सॉफ्टवेयर को हटा रहे हैं, साथ ही अपने चीनी फोन को भी एक हफ्ते के अंदर अपनी जिंदगी से हटा रहे हैं। इतना ही नहीं, एक साल के अंदर अपनी जिंदगी से हर उस चीज को निकालने जा रहे हैं, जिस पर मेड इन चाइना लिखा हुआ है।

उन्होंने कहा, “हमें चीन से या चीनी लोगों से कोई समस्या नहीं है। हमें चीनी सरकार और उसके रवैये से समस्या है। जब तक चीन में परिवर्तन न हो, हमें ऐसा करना होगा और आप लोगों से मैं अपील करता हूँ कि अपने शहर, मुहल्ले में ऐसे इवेंट्स करें, जहाँ लोग प्रतिज्ञा करें कि वो चीनी सामान का बहिष्कार करेंगे। 21वीं सदी में देश के लिए जान देने की नहीं, बल्कि जिंदगी देने की जरूरत है।

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