बिना विश्वास व श्रद्धा का मिलन हुयें जीवन में भक्ति की धारा कदापि प्रवाहित नहीं हो सकती : राजन जी महाराज

गाजीपुर-जो मनुष्य जीवन में सदैव अपने सामने वाले को स्वयं से श्रेष्ठ समझें वहीं संसार में सर्वश्रेष्ठ होता है, उक्त बातें गाजीपुर शहर के लंका मैदान में चल रहे नौ दिवसीय श्रीराम कथा के दूसरे दिन श्रीराम जन्मोत्सव प्रसंग पर श्रोताओं को कथा श्रवण कराते हुए कथा सम्राट मानस मर्मज्ञ पूज्य राजन जी महाराज ने कही, कथा को आगे बढ़ाते हुए पूज्य महाराज ने बताया कि बिना विश्वास व श्रद्धा का मिलन हुयें जीवन में भक्ति की धारा कदापि प्रवाहित नहीं हो सकती, इसलिए श्रीराम कथा सुनने का व प्रभु की भक्ति करने का वही अधिकारी है जिसे सत्संग से प्रेम और प्रभु के प्रति मन में अटूट श्रृद्धा व विश्वास हो।

श्रीराम कथा में आज के मुख्य सपत्नीक यजमान रविशंकर वर्मा द्वारा व्यासपीठ, पवित्र रामचरितमानस एवं कथा मंडप की आरती उपरांत आरम्भ हुयें कथा को दैनिक विश्राम देते हुए पूज्य श्री ने प्रभु के प्रति धन्यवाद ज्ञापित करते हुए बताया कि जीव को लगता है कि कथा हम गा रहे हैं पर यह तो उसका भ्रम मात्र है क्योंकि गाने और गवाने वाला तो कोई और है वास्तव में जीवन में हम जो कुछ भी कर पाते हैं उसे करने और कराने वाला तो कोई और है इसलिए व्यक्ति को जीवन में सदैव अहंकार से मुक्त होकर सहज भाव से जीवन व्यतीत करना चाहिए, क्योंकि जीवन में जिसको सहज रहना आ गया उसकी समस्त समस्यायें वहीं समाप्त हो जाती है।पूज्य राजन जी के द्वारा गाये गये भजन बता तेरे मुख को कौन खोलता है।

पर उपस्थित श्रद्धालु कथा पंडाल में झूम उठे।इस अवसर पर कथा पंडाल में कथा समिति के सदस्य श्री आलोक सिंह, सुधीर श्रीवास्तव,प्रभाकर त्रिपाठी. शशिकांत वर्मा, संजीव त्रिपाठी, राकेश जायसवाल, आकाशमणि त्रिपाठी, दुर्गेश श्रीवास्तव, मंजीत चौरसिया, अनिल वर्मा,अमित वर्मा, सुजीत तिवारी, राघवेंद्र यादव, कमलेश वर्मा, मीडिया प्रभारी पूर्व छात्र संघ उपाध्यक्ष दीपक उपाध्याय सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु श्रोता उपस्थित रहे।

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