योगी की कार्यशैली से राजनीति की दिशा बदली

  • आपदा को अवसर बदलने का दिखाया हुनर  
  • -दूसरे राज्यों के मुख्यमंत्रियों के लिए बने नजीर
  •  -मोदी से मनवाया अपने काम का लोहा 

योगेश श्रीवास्तव 

लखनऊ। इसे महज संयोग की कहेंगें जब अयोध्या में विवािदत ढांचा ढहाया गया उस समय प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी सत्तारूढ़ थी। जिस समय अयोध्या में विवादित ढांचा ढहाया गया उस समय भाजपा पूर्णबहुमत में थी और आज जब मंदिर निर्माण का शिलान्यास होने जा रहा तब भी भाजपा प्रचंड बहुमत के साथ सत्तारूढ़ है। योगी आदित्यनाथ के सत्तारूढ़ होने से पहले यूपी में सपा और बसपा दोनेां की ही पूर्णबहुंमत कीसरकारें रही लेकिन दोनों ही सरकारें अपने जातिवादी एजेंडे से ऊपर नहीं उठ सकी। जिसका खामियाजा उन्हे पिछले विधानसभा चुनाव और उसके बाद २०१९ में हुए लोकसभा चुनाव में भुगतना पड़ा।

यूपी में कल्याण सिंह के बाद भाजपा नेतृत्व के पास ऐसा कोई करिश्माई नेता नहंी था जो भाजपा की डूबती नैया को उबार देता। ऐसे नेतृत्व के  सामने आशा की किरण के रूप मेें योगी आदित्यनाथ दिखाई दिए। योगी आदित्यनाथ के रूप मे ऐसा पार्टी को ऐसा नेता मिला जिसने न सिर्फ पार्टी के तेजी से गिरतेग्राफ को रोका बल्कि प्रदेश से क्षेत्रवादी और जातिवादी राजनीति का अंत किया। अब तक के कार्यकाल में योगी आदित्यनाथ की छवि एक कड़क और निर्विवाद शासक के रूप में स्थापित हुई है। आपदा से निपटना हो या फिर कानून व्यवस्था दोनों ही मोर्चो पर उनके द्वारा किए जा रहे प्रयास दूसरे राज्यों के मुख्यमंत्रियों की नजीर बन रहे है।

इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पीएम नरेन्द्र मोदी स्वयं उनकी मुक्त कंठ से सराहना कर रहे है। भाजपा शासित राज्यों में योगी आदित्यनाथ ऐसे मुख्यमंत्री है जिनका शुमार पार्टी के फायरबं्रंाड नेताओं के साथ कट्टïरहिन्दुवादी नेता के रूप में  है। प्रदेश में २०१७ में हुए विधानसभा चुनाव में वह भले चुनाव न लड़े हो लेकिन चुनावों के दौरान पार्टी के ज्यादा से ज्यादा उम्मीदवारों की मांग रहती थी कि पूर्वाचल में होने वाली चुनावी सभाओं में योगी आदित्यनाथ की सभाएं जरूर हो। उनकी कट्टïरहिन्दुत्वादी और भगवाधारी छवि का ऐसा असर हुआ कि पार्टी को उम्मीद से ज्यादा यानि प्रचंड बहुंमत मिल गया। २०१७ के विधानसभा चुनाव में योगी की डिमांड का ऐसा असर हुआ कि बाकी जिन राज्यों में भी विधानसभा चुनाव हुए वहां भी योगी आदित्यनाथ की मांग होने लगी। देखते-देखते वह पार्टी के स्टार प्रचारक बन गए। उनकी सभाओं का ऐसा असर रहा कि त्रिपुरा,हिमांचल प्रदेश सहित कई राज्यों में भाजपा को सत्तारूढ़ होने का मौका मिला।

विधानसभा चुनाव में योगी की सभाओं से मिली सफलता से प्रेरणा लेकर भाजपा नेतृत्व ने लोकसभा चुनाव में भी उनपर दांव आजमाया जो कामयाब रहा। योगी आदित्यनाथ भले ही यूपी में पहली बार मुख्यमंत्री बने हो लेकिन उनकी कार्यशैली इतनी प्रभावी रही कि प्रधानमंत्री नरेन्द्रमोदी तक उनके कायल हो गए। पिछले दिनो एक कार्यक्रम में सार्वजनिक रूप से इस बात के लिए उनकी पीठ थपथपाई कि कोरोना से निपटने में योगी आदित्यनाथ की रणनीति कारगर रही।

यह पहला मौका नहीं था कि कोरोना से निपटने में उनका प्रयोग सफल रहा हो इससे पहले बीते साल ९ नवंबर को जब अयोध्या प्रकरण पर सर्वोच्च न्यायालय का फैसला आया था तब भी किसी भी स्थिति से निपटने के लिए उन्होंने सुरक्षा के जो चाकचौबंद इंतजाम किए कि प्रदेश में कहीं भी पत्ता नहीं फड़का। हालांकि सुप्रीमकोर्ट के निर्णय को लेकर सभी आशंकित थे कि कहीं स्थिति नियंत्रण से बाहर न हो जाए लेकिन निर्णय आने से पहले उच्चाधिकारियों के साथ बैठके करके सारी रणनीति तय की उसी का परिणाम रहा कि कहीं कोई घटना नहीं घटी।  

खबरें और भी हैं...

अपना शहर चुनें