इस्लामाबाद (हि.स.)। आर्थिक तंगी से जूझ रही पाकिस्तान सरकार का मंगलवार को एक और फैसला जनता की कमर तोड़ने की तैयारी के तौर पर देखा जा रहा है। शरीफ सरकार ने यह सब अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से वित्तीय सहायता पाने के लिए किया है। जो लंबे समय से सरकार की नीतियों के कारण रुकी है।
पाकिस्तान की सरकार ने आईएमएफ की वित्तीय सहायता हासिल करने के लिए मंगलवार को प्राकृतिक गैस पर करों में बेतहाशा बढ़ोतरी की है। इस बढ़ोतरी से औद्योगिक और घरेलू दोनों तरह के उपभोक्ताओं की मुश्किलें बढ़ेंगी।
पाकिस्तान को आर्थिक सहायता देने के बदले आईएमएफ ने कड़ी शर्तें लगाई है। आईएमएफ का कहना है कि सहायता के लिए पाकिस्तान को अपने कर ढांचे में सुधार लाना होगा, सब्सिडियां बंद करनी होगी और सेना एवं सरकार के खर्चे घटाने होंगे। इन शर्तों को पूरी करने की दिशा में कदम उठाते हुए पाकिस्तान ने घरेलू और औद्योगिक उपभोक्ताओं के लिए प्राकृतिक गैस पर कर 16 प्रतिशत से बढ़ाकर 112 प्रतिशत कर दिया है। इसके साथ ही इसी सप्ताह बिजली की कीमतों में भी बढ़ोतरी की घोषणा की जा सकती है।
इससे पहले, आईएमएफ ने 2019 में बेलआउट पैकेज के लिए पाकिस्तान सरकार से बातचीत शुरू की थी। हालांकि, बाद में सरकार द्वारा आर्थिक सुधारों के लिए अपेक्षित कदम नहीं उठाए जाने के कारण यह कार्यक्रम बीच में ही रोक दिया गया था।सरकार को आईएमएफ की सहायता से देश में बेहतरी आने की उम्मीद है, लेकिन आम जनता करों और महंगाई के बोझ से परेशान है। पाकिस्तान फिलहाल आर्थिक संकट, पिछली गर्मियों में आई विनाशकारी बाढ़ और कट्टरपंथी इस्लामी समूहों की हिंसा से जूझ रहा है। प्राकृतिक गैस पर कर वृद्धि से उत्पादन की लागत और महंगाई बढ़ने की संभावना है।
अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि नए करों के कारण पाकिस्तान की मुद्रास्फीति की दर 26 प्रतिशत बढ़कर 40 प्रतिशत हो सकती है। हालांकि उन्हें यह भी आशंका है कि अगर पाकिस्तान को आईएमएफ से ऋण नहीं मिलता है तो मुद्रास्फीति 60 प्रतिशत से ऊपर जाएगी। बता दें कि पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार फिलहाल तीन अरब अमेरिकी डालर से भी कम है।