नई दिल्ली । ईवीएम का वीवीपीएटी से शत-प्रतिशत मिलान के मामले पर सुप्रीम कोर्ट कल यानि 26 अप्रैल को फैसला सुनाएगा। कोर्ट में दायर याचिकाओं में मांग की गई है कि ईवीएम के जरिये डाले गए वोटों का वीवीपीएटी की पर्चियों से शत प्रतिशत मिलान किया जाए या फिर बैलेट पेपर से चुनाव हो। निर्वाचन आयोग ने इस मांग को अव्यवहारिक बताया है।
सुप्रीम कोर्ट ने 24 अप्रैल को निर्वाचन आयोग ईवीएम की कार्यप्रणाली पर स्पष्टीकरण मांगे थे, जिसके बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। निर्वाचन आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि माइक्रो कंट्रोलर तीनों (कंट्रोल यूनिट, बटन यूनिट और वीवीपीएटी) में होता है। सबको बस एक ही बार प्रोग्राम किया जा सकता है। कंट्रोलर को बाहर से प्रभावित नहीं कर सकते हैं।
निर्वाचन आयोग ने कहा था कि आंकड़ा 45 दिन सुरक्षित रखा जाता है। सिंबल लोडिंग के सवाल पर निर्वाचन आयोग ने कहा था कि सिंबल लोडिंग के लिए निर्वाचन आयोग और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स ही दो निर्माता हैं। तब जस्टिस संजीव खन्ना ने पूछा था कि क्या आप और अधिक निर्माताओं से अधिक सिंबल लोडिंग यूनिट ले सकते हैं। तब निर्वाचन आयोग ने कहा था कि सामान की उपलब्धता के लिए ज्यादा समय नहीं लगेगा लेकिन इन मशीनों को बनाने में एक महीने का वक्त लग जाएगा।
कोर्ट की ओर से ईवीएम को सील करने के स्पष्टीकरण पर निर्वाचन आयोग ने बताया था कि जब नियंत्रण इकाई मतदान का डेटा संग्रहीत कर लेती है तो इसे सील कर दिया जाता है। वीवीपीएटी को भी सील कर दिया जाता है और उसके बाद सभी मतदान एजेंटों से हस्ताक्षर लिए जाते हैं। सुनवाई के दौरान वकील प्रशांत भूषण ने कहा था कि हर माइक्रो कंट्रोलर में एक फ़्लैश मेमोरी होती है। यह कहना ठीक नहीं होगा कि फ़्लैश मेमोरी में कोई दूसरा प्रोगाम फीड नहीं किया जा सकता। तब जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा था कि हमें निर्वाचन आयोग ने बताया कि फ्लैश मेमोरी में कोई दूसरा प्रोग्राम फीड नहीं किया जा सकता। उनका कहना है कि वो फ्लैश मेमोरी में कोई प्रोगाम अपलोड नहीं करते, बल्कि चुनाव चिह्न अपलोड करते हैं, जो कि इमेज के रूप में होता है। जब हमने निर्वाचन आयोग से ये सब सवाल पूछा है तो हमें तकनीकी चीजों के लिए आयोग पर यकीन करना ही होगा। तब प्रशांत भूषण ने कहा था कि वो भी तो चुनाव चिह्न के साथ साथ कोई गलत प्रोगाम तो अपलोड कर सकते हैं। मेरा अंदेशा उस बात को लेकर है। इस पर कोर्ट ने कहा था कि हम आपकी दलील को समझ गए। हम अपने फैसले में इसका ध्यान रखेंगे।
जस्टिस दीपांकर दत्ता ने प्रशांत भूषण से कहा था कि क्या हम संदेह के आधार पर कोई आदेश जारी कर सकते हैं। जिस रिपोर्ट पर आप भरोसा कर रहे हैं उसमें कहा गया है कि अभी तक हैकिंग की कोई घटना नहीं हुई है। हम किसी दूसरे संवैधानिक अथॉरिटी को नियंत्रित नहीं करते है। हम चुनावों को नियंत्रित नहीं कर सकते।