
देश में कोरोना वायरस के खिलाफ वैक्सीनेशन अभियान को पूरा होने में एक साल या इससे अधिक समय लग सकता है। मंगलवार को इस संबंध में बयान जारी करते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि इस अभियान के पांच मुख्य सिद्धांत होंगे और ये एक साल से अधिक चल सकता है। मंत्रालय ने ये भी कहा कि वैक्सीनों की उपलब्धता तो देखते हुए इनका क्रमबद्ध तरीके से वितरण किया जाएगा।
ये हैं वैक्सीनेशन अभियान के पांच मुख्य सिद्धांत
वैक्सीनेशन अभियान के पांच सिद्धांतों के बारे में बताते हुए स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा, “पहला सिद्धांत जन भागीदारी सुनिश्चित करना है। दूसरा सिद्धांत चुनावी और यूनिवर्सल वैक्सीनेशन प्रोग्राम के अनुभवों का उपयोग करना है। इसके अलावा मौजूदा स्वास्थ्य सेवाओं के साथ कोई भी समझौता न करने, वैज्ञानिक और नियामक नियमों के साथ कोई समझौता न करने और तकनीक की मदद से बिना किसी बाधा के और व्यवस्थित वैक्सीनेशन करने पर जोर रहेगा।”रणनीति
वैक्सीनेशन के लिए किसी अन्य स्वास्थ्य सेवा को नहीं किया जाएगा बंद- भूषण
भूषण ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी की शुरूआत में गैर-कोविड स्वास्थ्य सेवाओं पर बहुत असर पड़ा था और सरकार नहीं चाहती कि ऐसा दोबारा हो।
उन्होंने कहा, “वैक्सीनेशन अभियान के दौरान कुछ सेवाओं में थोड़ी सी देरी हो सकती है, लेकिन भविष्य में किसी भी सेवा को बंद नहीं किया जाएगा।”
उन्होंने ये भी कहा कि सरकार उम्मीद करती है कि देश में वैक्सीनेशन अभियान के दौरान भी सभी लोग कड़ाई से नियमों का पालन जारी रखेंगे। स्पष्टीकरण
भूषण बोले- अभी लाभार्थियों को नहीं मिलेगा वैक्सीन चुनने का विकल्प
एक सवाल का जबाव देते हुए भूषण ने कहा कि अभी के लिए लाभार्थियों को भारत की दो वैक्सीनों में से एक चुनने का विकल्प नहीं मिलेगा।
उन्होंने कहा, “दुनिया की कई जगहों पर एक से अधिक वैक्सीनें लगाई जा रही हैं, लेकिन अभी किसी भी देश में लाभार्थियों के पास वैक्सीन चुनने का विकल्प नहीं है।”
उन्होंने बताया कि वैक्सीनों की दो खुराकों में 28 दिन का अंतर होगा और इसके 14 दिन बाद इनका प्रभाव दिखेगा।