
दक्षिण भारत के राज्यों के बीच नदियों के पानी के बंटवारे का मुद्दा दशकों से चर्चा का विषय बना हुआ है। आप चाहे कृष्णा नदी विवाद के बारे में बात करें या फिर कावेरी नदी विवाद के बारे में। भारत सरकार से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक ने कई ऐसे प्रयास किए जिससे इस मामले को सुलझाया जा सके लेकिन अभी तक इस मामले का कोई अंतिम निष्कर्ष नहीं निकल सका है। इसी कड़ी में कर्नाटक ने कावेरी नदी पर अपनी मेकेदातु बांध परियोजना को फिर से बनाने की कवायद शुरू कर दी है, इस पर तमिलनाडु ने आपत्ति जताते हुए कहा, इस परियोजना से तमिलनाडु को नुकसान उठाना पड़ सकता है।
तो आखिर क्या है, मेकेदातु परियोजना। 9,000 करोड़ रुपये की जलाशय परियोजना कर्नाटक के रामानगरम् जिले के ओंटिगोंडलू में कावेरी नदी और उसकी सहायक नदी अर्कावती के संगम पर स्थित एक गहरी खाई पर बनाए जाने का प्रस्ताव है। मेकेदातु परियोजना की प्रस्तावित क्षमता 48 TMC (thousand million cubic feet) है। इसका प्राथमिक उद्देश्य बेंगलुरू को पेयजल की आपूर्ति करना और इस क्षेत्र में भूजल पटल का पुनर्भरण (recharge) करना है।
कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने मंगलवार को एक बार फिर कहा कि कावेरी नदी पर मेकेदातु परियोजना को लागू करने का राज्य को पूरा हक है और पड़ोसी तमिलनाडु की आपत्ति के बावजूद हम काम शुरू करेंगे।
उन्होंने कहा, “निश्चित तौर पर आने वाले दिनों में हम सभी परियोजनाओं को पूरा करने जा रहे हैं और वह (केंद्रीय मंत्री) केंद्र से हर तरह से मदद देंगे। उन्होंने हमें परियोजनाओं के कार्यान्वयन के लिये केंद्र से मंजूरी प्रदान करने के संदर्भ में सभी मुद्दों के समाधान का आश्वासन दिया है।”
इस मसले पर केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कर्नाटक सरकार को आश्वासन देते हुए कहा, “मैंने कर्नाटक के मुख्यमंत्री को यह भरोसा दिया है कि नदी से जुड़ी हर परियोजना के ऊपर हम ध्यान केंद्रित करेंगे, जिसमें मेकेदातु परियोजना भी शामिल है। मैंने मुख्यमंत्री को यह आश्वासन दिया कर्नाटक को न्याय ज़रूर मिलेगा।”
Union Jal Shakti Minister Gajendra Singh Shekhawat holds meeting with Karnataka CM BS Yediyurappa and other Ministers over Jal Jeevan Mission.
— ANI (@ANI) July 13, 2021
"I've reassured CM that I'll look into pending projects, like Mekedatu project. I assured that justice will be given to K'taka," he says pic.twitter.com/CT7WLYXFSd
इससे पहले कर्नाटक के मुख्यमंत्री ने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टेलिन को पत्र लिखकर मेकेदातु परियोजना में अड़चन ना डालने का अनुरोध किया था।
येदियुरप्पा ने लिखा, ‘हम कावेरी बेसिन में कर्नाटक के अधिकारों के लिए लड़ते रहे हैं और उसमें कामयाब रहे हैं। ये मामला भी सुप्रीम कोर्ट के समक्ष है, जहां हम अपने पक्ष रख रहे हैं। उन्होंने आगे कहा, ‘हम अपने अधिकारों की क़ानूनी लड़ाई जारी रखेंगे। हमें विश्वास है कि हम उसे जीतेंगे और मेकेदातु परियोजना को पूरा करेंगे’।
स्टालिन ने रविवार को इसका जवाब देते हुए कहा कि कर्नाटक सरकार को मेकेदातु परियोजना को आगे नहीं बढ़ाना चाहिए क्योंकि जलाशय तमिलनाडु में जाने वाले कावेरी जल के मुक्त प्रवाह को ज़ब्त कर लेगा।
आपको बता दें, मेकेदातु बांध परियोजना को लेकर तमिलनाडु सरकार ने सुप्रीम कोर्ट की और रुख किया था। तमिलनाडु सरकार का तर्क यह है था कि मेकेदातु परियोजना कावेरी नदी जल प्राधिकरण के अंतिम निर्णय का उल्लंघन करती है और दो जलाशयों के निर्माण के परिणामस्वरुप कृष्णाराज सागर और कबीनी जलाशयों में जलग्रहण के साथ-साथ कर्नाटक और तमिलनाडु की सामूहिक सीमा बिलिगुंडुलू में भी जल-प्रवाह प्रभावित होगा।
वहीँ, कर्नाटक सरकार ने अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि मेकेदातु परियोजना तमिलनाडु को निर्धारित मात्रा में पानी जारी करने के रास्ते में नहीं आएगी और न ही इसका इस्तेमाल सिंचाई उद्देश्यों के लिये किया जाएगा।