कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण के आदेश में दखल से सुप्रीम कोर्ट का इनकार

नई दिल्ली (हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट ने कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण के उस आदेश में दखल देने से इनकार कर दिया है, जिसके मुताबिक कर्नाटक को 28 सितंबर तक पांच हजार हजार क्यूसेक पानी हर दिन तमिलनाडु को देना था।

दरअसल, कर्नाटक सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा था कि मौजूदा जल संकट की स्थिति में उसके लिए पांच हजार क्यूसेक पानी छोड़ना संभव नहीं है, लिहाजा कोर्ट कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण को अपने इस आदेश पर पुनर्विचार करने का निर्देश दे। वहीं, दूसरी ओर तमिलनाडु सरकार ने और ज्यादा पानी की मांग की थी।

गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अभी कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण जैसी एक्सपर्ट संस्था इसे देख रही है, वो स्थिति की समीक्षा करके उपयुक्त आदेश पास करेगी। इसमें हमारे दखल की जरूरत नहीं है। इस मामले में 31 अगस्त को कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया था। हलफनामे में कहा गया था कि प्राधिकरण ने तमिलनाडु को 15 दिन के लिए पांच हजार क्यूसेक पानी देने का निर्देश दिया। प्राधिकरण ने कहा था कि कर्नाटक ने निर्देशों का पालन किया है और 26 अगस्त तक 1,49,898 क्यूसेक पानी छोड़ा। पहले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कोई भी आदेश जारी करने से फिलहाल मना किया था। कोर्ट ने प्राधिकरण को रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था।

इस मामले में कर्नाटक सरकार सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर चुकी है। कर्नाटक सरकार ने अपने हलफनामे में तमिलनाडु सरकार की अर्जी का विरोध करते हुए कहा है कि तमिलनाडु की मांग पूरी तरह से गलत है क्योंकि यह एक गलत धारणा पर आधारित है कि यह संकटग्रस्त साल नहीं है। बल्कि यह सामान्य बारिश का साल है। कर्नाटक सरकार का कहना है कि तमिलनाडु हमें पानी छोड़ने के लिए मजबूर नहीं कर सकता। इस साल बारिश 25 फीसदी कम हुई है। यह पानी की कमी वाला साल है। जलाशयों का प्रवाह लगभग आधा हो गया है। ऐसे में हमें पानी छोड़ने को मजबूर नहीं किया जा सकता।

तमिलनाडु सरकार ने अपनी याचिका में कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से मुताबिक कर्नाटक सरकार पानी नहीं छोड़ रही है। उल्लेखनीय है कि 16 फरवरी 2018 को कावेरी जल विवाद मामले पर फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि कोई भी राज्य कावेरी नदी पर अपना दावा नहीं कर सकता है। तत्कालीन चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने कावेरी वाटर ट्रिब्युनल के फैसले में संशोधन करते हुए आदेश दिया था कि कर्नाटक को 14.75 टीएमसी फिट पानी ज्यादा मिलेगा जबकि तमिलनाडु को 192 टीएमसी फिट की जगह 177.25 टीएमसी फिट पानी दिया जाएगा। तमिलनाडु सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के इसी फैसले को लागू करने की मांग की है।

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