मुंबई : कुपोषण एक फिर बरपा कहर…दस दिनों में दो बच्चियों की मौत

मुंबई (हि.स.)। पालघर जिले में भूख और कुपोषण से आदिवासियों के बच्चों की मौतें विकास की पोल खोलने के लिए काफी है। कुपोषण मिटाने को लेकर राज्य व केंद्र सरकार के तमाम अभियान यहां के आदिवासी बाहुल्य इलाकों में लाचार नजर आ रहे हैं। कुपोषण एक फिर मोखाडा इलाके में अपना कहर बरपा रहा है। यहां 10 दिनों में कुपोषण ने 2 बच्चों की बलि ले ली है।दोनो बच्चे सावर्डे गांव के रहने वाले है और इनके नाम दुर्गा निंबारे और रेणुका मुकने है। बच्चो की मौत के बाद आरोप लग रहे है कि मृतक बच्चो को कुपोषित न दिखे इसके लिए इनके वजन अधिक लिखे गए थे। पालक मंत्री से मामले कार्यवाही की मांग की गई है। इस घटना से आक्रोशित ग्राम पंचायत उपसरपंच, सदस्यों व ग्रामीणों ने गहन जांच कर दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है। मिली जानकारी के अनुसार दुर्गा कल्पेश निंबारे (11 माह) की तबीयत खराब रहती थी. इसलिए, उसके माता-पिता ने दिसंबर में उसे इलाज के लिए खोडाला प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया। तबियत बिगड़ने के बाद उसे उसे

के इलाज के लिए जव्हार के उपजिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। इलाज के दौरान दुर्गा की अस्पताल में मौत हो गई। इसी तरह रेणुका मुकने (3 महीने की) कुपोषण से मौत हो गई। रेणुका के परिजन कुछ महीनों से भिवंडी में रहकर मजदूरी करते थे। सावर्डे के एक ही आंगनबाड़ी क्षेत्र में दस दिन के अंदर दो कुपोषित बच्चों की मौत से हड़कंप मच गया है। एक मृतक बच्चे को लेकर चौंकाने वाली

जानकारी सामने आई है किमृतिका दुर्गा निंबारे की दिसंबर माह में आंगनबाड़ी में उपस्थिति के दौरान बच्ची का वजन 9 किलो 100 ग्राम लिखा गया। जिससे यह साबित होता था कि बच्ची कुपोषित नही है। जबकि जब दुर्गा को अस्पताल में भर्ती कराया गया तो उनका वजन सिर्फ 6 किलो ही था। आरोप है, कि उन्हें बच्ची के कुपोषित और पोषाहार देने संबंधी उन्हे कोई सूचना नहीं दी गई। उपसरपंच हनुमंत पादिर ने कहा कि पोषण आहार कुपोषित बच्चों तक पहुंचे इसकी व्यवस्था की जाए। मृतकों की मौत की जांच कर दोषियों पर सख्त कार्यवाही की जाए। जिला परिषद के सीईओ भानूदास पालवे ने कहा कि दोनो बच्चे बीमार थे उनकी मौत की जांच के आदेश दिए गए है। कुपोषण के खात्मे के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे है।

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