यूपी में लड़खड़ाई स्वास्थ्य सेवाएं, स्टाफ की कमी के चलते 50% ALS एंबुलेंस ठप

फाइल

लखनऊ : एएलएस एंबुलेंस सेवा अभी लड़खड़ाई हुई है. ऐसे में अति गंभीर मरीजों को एंबुलेस नहीं मिल पा रही हैं. यहां की वेंटीलेटर युक्त एडवांस लाइफ सपोर्ट (एएलएस) एंबुलेंस सेवा के 50 फीसद वाहन कर्मियों की हड़ताल की वजह से खड़े हैं.

राज्य में तीन तरह की एंबुलेंस सेवा संचालित हैं. इसमें 108 एंबुलेंस सेवा के 2200 वाहन हैं, जिससे रोजना करीब 9500 मरीज अस्पतालों में शिफ्ट किए जाते हैं. गर्भवती महिलाओं और जच्चा-बच्चा के लिए 102 एंबुलेंस सेवा हैं. इसके बेड़े में 2270 वाहन हैं. इनसे रोजाना 9500 मरीज शिफ्ट किए जाते हैं, लेकिन यह सभी बेसिक लाइफ सपोर्ट (बीएलएस) एंबुलेंस हैं. इनमें वेंटीलेटर सुविधा न होने से अति गंभीर मरीजों की शिफ्टिंग नहीं हो पाती है. वहीं वेंटीलेटर वाली 250 एएलएस एंबुलेंस में से 50 फीसद वाहन अभी स्टाफ के अभाव में खड़े हैं. इससे प्रदेश के जिलों से हायर सेंटर में अति गंभीर मरीजों की शफ्टिंग आफत बनी हुई है. आस-पास के जिलों से राजधानी आ रहे मरीजों को 15 से 20 हजार रुपये खर्च करना पड़ रहा है.  

एंबुलेंस सेवा प्रदाता एजेंसी के स्टेट हेड टीवीएस रेड्डी के मुतबिक 108-102 की कुल 4470 एंबुलेंस हैं. इनमें से 4200 एंबुलेंस ऑन रोड हो गई हैं. यह मरीजों को अस्पताल पहुंचाने लगी हैं. कर्मियों की भर्ती हो रही है, शीघ्र ही अन्य एंबुलेंस भी रन होने लगेंगी. वहीं एएलएस के सभी वाहन के लिए भी स्टाफ भर्ती भी चल रही है. एंबुलेंस सेवा में 14000 के करीब कर्मी थे. इसमें से 4200 निकाल दिए गए थे. स्टेट हेड टीवीएस रेड्डी के मुताबिक 1600 कर्मियों की भर्ती हुई है. इनको ट्रेनिंग दी जा रही है. वहीं 3500 वापस आ गए हैं. उधर, निष्कासित पदाधिकारियों का धरना जारी है.

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