राज्यसभा चुनाव से पहले बसपा में फूट, अखिलेश से मिले 5 विधायक, माया का बिगड़ सकता है गणित

  • उत्तर प्रदेश में हैं राज्यसभा की दस सीटें, 8 पर बीजेपी ने उतारे हैं प्रत्याशी
  • नौ सीट जीत सकती थी बीजेपी लेकिन आठ प्रत्याशी उतारने पर उठे थे सवाल
  • बीएसपी प्रत्याशी को बैकडोर से समर्थन करने की हो रही थी चर्चा
  • सपा ने अपने समर्थन वाला उतारा निर्दलीय प्रत्याशी प्रकाश बजाज
  • अब बसपा में बगावत से सपा समर्थित प्रत्याशी की जात मानी जा रही तय

लखनऊ
उत्तर प्रदेश में राज्यसभा चुनाव अब और दिलचस्प होता नजर आ रहा है। बीजेपी के 9 सीटों में से आठ पर प्रत्याशी खड़ा करने के बाद चर्चा हो रही थी कि बीएसपी का प्रत्याशी 9वीं सीट जीत सकता है। पार्टी ने भी अपने प्रत्याशी रामजी गौतम की जीत का गणित ठीक होने का दावा किया था लेकिन अब समीकरण बिगड़ता नजर आ रहा है। बसपा प्रत्याशी के दस प्रस्तावकों में से पांच ने अपना नाम वापस ले लिया है। कहा जा रहा है कि पांचों विधायकों ने पार्टी से बगावत कर दी है। इसके अलावा दो और विधायकों को लेकर चर्चा है कि वे मायावती के खिलाफ जा सकते हैं।

बसपा ने रामजी गौतम को अपना राज्यसभा प्रत्याशी बनाया है। कहा जा रहा था कि बीजेपी मायावती की पार्टी को अंदर ही अंदर सपॉर्ट कर रही है और इसलिए अपना 9वां प्रत्याशी मैदान में नहीं उतारा है। रामजी गौतम की जीत पक्की मानी जा रही थी। इधर सपा ने प्रकाश बजाज को निर्दलीय प्रत्याशी बनाया। 

इन विधायकों ने की बगावत
बसपा के दस विधायक मंगलवार को रामजी गौतम के प्रस्तावक बने। बुधवार सुबह पांच विधायक असलम चौधरी, असलम राईनी, मुज्तबा सिद्दीकी, हाकम लाल बिंद, हरि गोविंद जाटव समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव से मिलने पहुंचे।

बंद कमरे में हुई अखिलेश यादव से बात
बताया जा रहा है कि विधायकों और अखिलेश यादव के बीच काफी देर तक बंद कमरे में वार्ता चली। मुलाकात करके बाहर आए विधायक सीधा विधानसभा पहुंचे और यहां प्रस्तावक से अपना प्रस्ताव वापस ले लिया।

राज्यसभा चुनाव का गणित
वर्तमान विधानसभा सदस्यों की संख्या के हिसाब से देखें तो बीजेपी के पास 304 विधायक हैं। राज्यसभा की एक सीट जीतने के लिए 37 विधायकों के वोटों की जरूरत होती है। यानी 296 विधायकों के बल पर बीजेपी के आठ प्रत्याशियों की जीत तय है। आठ सीटें जिताने के बाद बीजेपी के पास अपने आठ विधायक बच रहे हैं। जबकि, नौ विधायक बीजेपी के सहयोगी अपना दल (सोनेलाल) के पास हैं। इसके अलावा एसपी के नितिन अग्रवाल, कांग्रेस के राकेश सिंह, अदिति सिंह और बीएसपी के अनिल सिंह भी बीजेपी के साथ माने जा रहे हैं।

बीजेपी के बैकडोर से समर्थन की थी चर्चाएं
श्रावस्ती से एक बीएसपी विधायक, निर्दलीय राजा भैया और उनके सहयोगी विनोद सरोज और निर्दलीय विधायक अमनमणि त्रिपाठी के भी बीजेपी के ही साथ रहने की संभावना थी। इस हिसाब से बीजेपी को अपना नौवां प्रत्याशी जिताने के लिए महज 13 वोटों की और दरकार थी, फिर भी बीजेपी ने आठ प्रत्याशी उतारे। इसे लेकर राजनीतिक गलियारों में बीएसपी प्रत्याशी को बीजेपी के बैकडोर से समर्थन देने की चर्चाएं तेज हो गईं।

…लेकिन विपक्ष ने ऐसे बिगाड़ा गणित
बीएसपी के बाद बचा विपक्ष पहले ही मान रहा था कि बीएसपी के पास पर्याप्त वोट बल न होने के बाद भी उसने प्रत्याशी उतारा। ऐसे में उसका कुछ न कुछ तो गणित होगा ही। बीजेपी की ओर से केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी, राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह, पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के पुत्र नीजर शेखर, यूपी के पूर्व डीजीपी बृजलाल, समाज कल्याण निर्माण निगम के अध्यक्ष बीएल वर्मा, पूर्व मंत्री हरिद्वार दुबे, पूर्व विधायक सीमा द्विवेदी और गीता शाक्य ने पर्चा दाखिल किया। इससे बीएसपी को वॉकओवर देने का खेल सामने आ गया।निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में आगे आए कॉरपोरेट अधिवक्ता प्रकाश बजाज

इसके बाद एसपी, कांग्रेस, रालोद और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी एकजुट हुए और दोपहर तीन बजे कॉरपोरेट अधिवक्ता प्रकाश बजाज को निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में आगे कर दिया। एक सीट पर मतदान के बाद एसपी के पास 10, सुभाएसपी के पास 4, कांग्रेस के पास 5, रालोद के पास एक विधायक बच रहा है।

10 सीटों के लिए हुए 11 नामांकन
एसपी, कांग्रेस, रालोद और सुभाएसपी के 20 विधायकों के वोट के साथ ही विपक्ष नितिन अग्रवाल, निर्दलीय और बीएसपी के साथ जाने वाले बीजेपी के विधायकों में भी सेंधमारी की तैयारी कर रहा है। उसे उम्मीद है कि वह 37 का गणित वह पूरा कर लेगा। 10 सीटों के लिए 11 नामांकन होने से जहां चुनावी समर रोचक हो गया है। वहीं, छोटे दलों के साथ निर्दलीय विधायकों की किस्मत के सितारें बुलंद नजर आने लगे हैं।

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