उन्नाव(भास्कर)। फैक्ट्री श्रमिक की मौत पर जब परिजन व वही कार्यरत अन्य मजदूरों ने मुआवजें को लेकर प्रदर्शन किया तो मौके पर लेबर कमिश्नर को आना पड़ा। मुआवजें के मामले में बात करने के लिए फैक्ट्री के विधिक सलाहकार तो थे लेकिन फैक्ट्री मालिक और फैक्ट्री के नाम की जानकारी में कमिश्नर भी माथापच्ची करते नजर आए। ऐसे में साफ तौर पर कहा जा सकता है कि फैक्ट्री शायद अवैध रूप से ही संचालित थी हांलाकि फैक्ट्री की ओर से मुआवजे के तौर पर श्रमिक की बीवी को पैसे दे दिए गए पर उक्त घटना ने यह भी साबित कर दिया कि भ्रष्टाचार की आंड में अवैध रूप से भी फैक्ट्री संचालित हो सकती है।
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