गोविंद राधा के बस में और मनुष्य धारा के बस : डॉ रजनीकांत द्विवेदी

जौनपुर श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ -गोकुल घाट, पुरानी बाजार, राधा शब्द का तात्पर्य मन की अंतर्मुखी वृत्ति और धारा शब्द का तात्पर्य मन की बहिर मुखी वृत्ति से है, गोविंद राधा के बस में और मनुष्य धारा के बस में इसीलिए तो परमात्मा की प्राप्ति सहज नहीं हो पाती क्योंकि परमात्मा को वही प्राप्त कर सकते हैं जिनके अंदर सरलता व सहता होती है। यह विचार डॉ रजनी कांत द्विवेदी जी महाराज ने श्रीमद् भागवत कथा के षष्टम दिवस पर रास के प्रसंग पर चर्चा करते हुए व्यक्त कर रहे थे।

उन्होंने नवधा भक्ति का वर्णन भी विस्तार पूर्वक व्यक्त किया, तथा रास के प्रसंग की बड़ी ही मनोरम झांकी की भी प्रस्तुति बस्ती से आए पंडित संतोष शर्मा द्वारा प्रस्तुत की गई, जिसमें दुर्गा गुप्ता और बाल कलाकार के रूप में आशी गुप्ता, शेफाली गुप्ता, विधि गुप्ता, स्नेहा, अनन्या आंचल आदि ने अपना सहयोग दिया। कथा व्यास डॉ द्विवेदी जी महाराज ने कंस वध वा द्वारिकाधीश कृष्ण तथा महारानी रुक्मणी के विवाह के प्रसंग पर बड़ी ही मार्मिक व विस्तार पूर्वक वर्णन किया। कथा से पूर्व जनपद के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ रजनीश श्रीवास्तव, श्रीमती डॉ स्मिता श्रीवास्तव, डॉ रामेश्वर त्रिपाठी, भजन गायक अभिषेक मयंक आजमगढ़ के वरिष्ठ लेखपाल सत्येंद्र दिक्षित, श्याम मोहन अग्रवाल, ब्रह्म शुक्ला, श्रीमती इंदिरा दीक्षित, मैहनगर से प्रधान मुकुटधारी यादव, सुभाष चंद्र जयसवाल, श्री श्याम त्रिपाठी- महामंत्री पू. वी. वी. कर्मचारी संघ आदि ने कथा व्यास डॉ द्विवेदी का माल्यार्पण किया। मुख्य यजमान ठाकुर प्रताप सिंह, सर्वेश गुप्ता, श्रीमती गीता गुप्ता, आदि ने व्यासपीठ का पूजन किया। कथा में डॉ मनीष गुप्ता, अमरनाथ उपाध्याय, दिनेश गुप्ता (प्रबंधक सेंट मैरी स्कूल ), सुनी शौर्य सरस्वती, चंदन साहू, अरविंद्र तिवारी, आशीष यादव, डॉक्टर गंगाधर शुक्ला, शशांक सिंह रानू, अखिलेश पांडे, छोटे लाल माली, भास्कर पाठक, आशा शुक्ला, लीला उपाध्याय आदि अनेकों गणमान्य नागरिक हजारों की संख्या में उपस्थित रहे।

कार्यक्रम के संचालन की भूमिका को अनिल अस्थाना, पंडित आनंद मिश्रा, पंडित निशा कांत द्विवेदी, बड़ी कुशलतापूर्वक निभा रहे थे।

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