‘‘कर्बला ऐसी जगह है जहाॅ पर आकर, जिन्दगी मौत को सूली पर चढ़ा देती है’’

बहराइच। बयादे शहादते इमाम-ए-ज़ैनुलआब्दीन के मौके पर इमाम बारगाह अकबरपुरा बहराइच में शुक्रवार की देर रात मजलिस का आयोजन किया गया। जिसके बाद चैथे ईमाम बीमार-ए-कर्बला की याद में शबीहे ताबूत बरामद हुआ जिसमें शहर की नामचीन अन्जुमनों ने नौहाख्वानी व मातम किया। बीमार-कर्बला की याद में आयोजित मजलिस का आगाज़ कारी हसन अब्बास ने तिलावते कुरान-ए-पाक से किया। इस अवसर पर सै. ज़ीशान हैदर रिज़वी, फिदा अब्बास व समर अब्बास ने सोज़ख्वानी की।
मजलिस के दौरान शायरेे अहलेबैत अंजुम जै़दी व मज़हर सईद ने अपनी रचनाएं प्रस्तुत की। अंजुम ज़ैदी के शेर ‘‘आज भी सैय्यद-ए-सज्जाद अलालत तेरी, सेहत-ए-दीन-मोहम्मद का पता देती है’’ को खूब सराहा गया जबकि मज़हर सईद के शेर ‘‘आबिद हैं अज़ादारिये शब्बीर के कायद, मैं कायदे मातम की कयादत में रहॅूगा’’ व ‘‘आबिद से बड़ा हो नहीं सकता कोई मुफ्ती, मैं ताज़ियादारी की हिमायत में रहूॅगा’’ को दाद-व-तहसीन से नवाज़ा गया।
मजलिस को खिताब करते हुए ज़ाकिरे अहलेबैत सै. सगीर आबिद रिज़वी एडवोकेट ने लोगों को आहवान्ह किया कि हम सभी को ईमाम की जिन्दगी से सबक लेते हुए समाज के काम आना चाहिए। उन्होंने कहा कि कर्बला की जंग को अपनी आॅखों के सामने देखने के बावजूद अपने जवान भाई के कातिल नमीर की तीन दिन तक मेहमान रखने की शायद कोई दूसरी मिसाल ज़माने में नहीं मिलेगी। उन्होंने कहा कि ज़रूरतमन्द की हर मुमकिन मदद कर हम ईमाम को सच्ची श्रद्धांजलि दे सकते हैं। मजलिस के बाद अन्जुमन फनाफिल हुसैन व कासिमयाॅ कदीम व अन्य दिगर लोगों ने नौहाख्वानी की। आखिर में दुआएॅ खैर के साथ कार्यक्रम का समापन किया गया।

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