स्वास्थ्य विभाग की बढ़ी टेंशन, जलाशयों से लिए गए सेंपलों में हुई पुष्टि
बेंगलुरु (ईएमएस)। कर्नाटक में मच्छरों द्वारा जीका वायरस फैलाने का मामला सामने आया है। अब मनुष्यों में ही नहीं बल्कि मच्छरों में जीका वायरस मिलने के बाद स्वास्थ्य विभाग की टेंशन बढ़ गई है। दरअसल, कुछ महीने पहले राज्य स्तर पर एक अभियान चलाया गया था। अभियान के अंतर्गत जलाशयों के सैंपल लिए गए थे। इन लाशयों में पाए जाने वाले मच्छरों में जीका वायरस की पुष्टि होने से हड़कंप मच गया है। हालांकि राज्य सरकार ने लोगों से अपील की है कि घबराने की बात नहीं है। क्योंकि अभी तक किसी मानव में ये वायरस नहीं पाया गया है। मिली जानकारी के अनुसार चिक्काबल्लापुरा के तलकायालाबेट्टा गांव में मच्छरों के सैंपल जीका वायरस से संक्रमित पाए जाने के बाद राज्य स्वास्थ्य विभाग ने अलर्ट जारी किया है। ये सैंपल अगस्त में बेंगलुरु से लगभग 60 किमी दूर तलकायालाबेट्टा क्षेत्र से एकत्र किए गए थे। मामले में अधिकारियों ने कहा कि एहतियात के तौर पर बुखार के मामलों का व्यापक विश्लेषण चल रहा है। मीडिया में आई एक रिपोर्ट के अनुसार स्वास्थ्य अधिकारियों ने तेज बुखार वाले व्यक्तियों के ब्लड सैंपल को टेस्टिंग के लिए एनआईवी भेजा है।
बताया जा रहा है कि अगस्त के अंत में चिक्काबल्लापुरा में छह अलग-अलग जल निकायों की सैंपल की जांच की थी, जिसमें जीका वायरस की पुष्टि हुई थी। जीका वायरस शुरू में एडीज एजिप्टी मच्छरों में पाया गया था। इस संबंध में स्वास्थ्य विभाग ने हालांकि यह भी स्पष्ट किया है कि तालाकायालाबेट्टा के मच्छरों के सैंपल में जीका वायरस पाया गया है, लेकिन मनुष्यों में अब तक कोई मामला सामने नहीं आया है। एहतियात के तौर पर अधिकारियों ने मच्छरों के प्रजनन को रोकने के लिए प्रभावित क्षेत्र के पांच किलोमीटर के दायरे में अलर्ट जारी किया है। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री दिनेश गुंडू राव ने जनता को आश्वस्त किया कि किसी भी व्यक्ति में जीका वायरस की पुष्टि नहीं हुई है।
उन्होंने कहा कि वायरस एक मच्छर में पाया गया है। ये रिपोर्ट 10 दिन पहले आई थी। जीका वायरस से डरें नहीं। हम स्थिति पर नजर रखेंगे। कुछ लोगों में बुखार और चकत्ते के कुछ लक्षण दिख रहे थे। उन्हें अस्पताल में रखकर जांच की गई है। उनके नमूने आगे की जांच के लिए भेज दिए गए हैं। इनमें से कुछ को अस्पताल से छुट्टी भी मिल चुकी है। वे ठीक हैं। इसके अलावा केवल गर्भवती महिलाओं को ही सावधानी बरतने की जरूरत है, जहां इसका असर बच्चे पर पड़ सकता है।