बन्दोईया गांव में पांचवे दिन भी रहा पुलिस का पहरा, कहानी जनता के गले नहीं उतर रही



अमेठी। बीते शुक्रवार को मुशीगंज थाना क्षेत्र के बन्दोईया गांव में प्रधान पति की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत से परिजनों में शोक की लहर है । स्थानीय प्रशासन के आदेश से  किसी अप्रिय स्थिति के उतपन्न होने की आशंका को देखते हुए पुलिस व राजस्व टीम घटना के पांचवें दिन भी सक्रियता से मुस्तैद है।

बीते  शुक्रवार को बन्दोईया के प्रधान पति की गांव की ही एक चारदीवारी के अंदर संदिग्ध परिस्थितियों में जलकर इलाज के दौरान मौत हो गयी थी। शनिवार को मृतक का अंतिम संस्कार प्रशासन की मौजूदगी में हो गया था। प्रधानपति की मृत्यु के दिन से ही उच्चाधिकारियों सहित बड़ी संख्या में लोगों की मौजूदगी रही। शुक्रवार से अब तक भीम आर्मी पार्टी सहित बसपा के पदाधिकारियों ने जहां मृतक के परिवार से मिलकर न्याय दिलाने की बात की वही घटना में एक नाबालिग सहित नामजद पांचो के परिवारीजनों का एक स्वर से कहना है कि उनके परिवार के सदस्यों को झूठा फँसाया गया है।

इन लोगों में आरोपी बनाए गए राजेश मिश्रा के बड़े पुत्र अंकित मिश्रा का कहना है कि उनके पिता का मात्र इतना ही दोष था कि वे ग्राम प्रधान द्वारा विकास कार्यों में हुई अनियमितता की जांच के लिए उच्चाधिकारियों को प्रार्थना पत्र दे रहे थे जिसकी प्रतियां उनके पास आज भी मौजूद है। अंकित ने बताया कि जागरूकता और सरकारी धन की बंदरबांट होने से रोकना ही पिता को भारी पड़ गया। कृष्ण कुमार तिवारी के पिता सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य राममूर्ति तिवारी ने बताया कि वित्तीय अनियमितता को रोकना प्रत्येक व्यक्ति का दायित्व है। इन्होंने कहा कि इनका पूरा परिवार शिक्षित है ऐसे में इतना घृणित कार्य कोई सोच भी नही सकता है, सक्रियता ही भारी पड़ी। गांव में किसी अप्रिय घटना के अंदेशा के चलते मुंशीगंज पुलिस, पी ए सी, क्विक रिस्पांस टीम, राजस्व टीम मौके पर मौजूद है। क्षेत्र में राजनीति के चलते निर्दोषों की नामजदगी और जेल भेजना किसी के भी गले नहीं उतर रहा है। हर चौराहों पर एक ही चर्चा है कि निर्दोष फंस गए और दोषी खुले आम घूम रहे। कृष्ण कुमार त्रिपाठी के अहाते में जहां रात 10-30 घटना हुई है वहां की सीसीटीवी फुटेज परीक्षण का पुलिस ने नहीं किया।

जिस चैराहे से अपहरण की बात कही गई है वहां एक भी व्यक्ति अपहरण की पुष्टि करने के बजाय अर्जुन केा अपने साथी के साथ एक स्कार्पियो में जाने की बात बतायी जाती है । पुलिस मृतक के मोबाईल की लोकेशन, सीडीआर व बीटीएस निकाल कर सच्चाई तक पहुंच सकती है। मोबाइल की इसी डिटेल से यह भी पता चल सकता है कि क्या ये पांचो नामजद आरोपी मृतक के इर्दगिर्द थे? घटना के दिन मृतक ने किस किस से बात किया उनसे भी यह पूछताछ किया जाना चाहिए कि क्या बात हुई, लेकिन पुलिस इस दिशा में कोई विवेचना नहीं कर रही ।

क्या कोई व्यक्ति किसी को अपहरण करने के बाद अपने अहाते में लाकर जला सकता है? घटना की सूचना भी पुलिस को कृष्ण कुमार तिवारी के परिवार के लोगों ने दिया, क्या मारने वाले लोगों के द्वारा ही पुलिस को सूचना दी जाएगी? क्या कोई पिता किसी के अपहरण और हत्या के लिए अपने 16 साल के  मेधावी पुत्र को लेकर जा सकता है जबकि उसके पास पहले से तीन अन्य साथी मौजूद हैं? जिस प्रधान के खिलाफ गांव के 30 से अधिक लोग शिकायत कर जेल भिजवाने में लगे हों उसे जलायेंगे क्यों वह भी अपने घर पर लाकर? एफआईआर के दो अन्य नामजद आरोपियों जो प्रधान के परिवार के साथ साये की तरह घूम नहीं उनसे पूछतांछ व चालान क्यो नहीं किया जा रहा ? ऐसा तो नहीं कि जिन लोगों ने गाँव सभा की प्रधानी की पूरे पैसे में गोलमाल किये,  अब अपने फंसने की डर में उसे उकसा कर आत्महत्या करा एक तीर से दो निशाने साध लिए?  फिलहाल इन सभी सवालों के जबाब पुलिस की निष्पक्ष विवेचना से ही निकल सकते हैं जो बढ़ते राजनीतिक दबाव में संभव नहीं दिख रहा और एक बार फिर राजनीति की बलि वेदी पर पांच निर्दोषों की बलि चढ़ रही है।

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