अलीगढ समेत कई जिलों में माफियाओं पर हुई कार्रवाई की रिपोर्ट तलब

राजीव शर्मा

अलीगढ। अलीगढ समेत कई जिलों में अवैध कब्जा हटाने और माफियाओं पर शिकंजा सिर्फ कागजों तक ही कसा गया है। षासन को पहुंची रिपोर्ट किसी अधिकारी के गले नहीं उतर रही है। शासन ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए फिर से अवैध कग्जों की रिपोर्ट तलब की हैैै। षासन ने भी यह कार्रवाई विधानसभा में किये गए सवाल पर की है।
सरकार को पूरा फोकस भूमापिफयाओं के खिलापफ चल रहा है। षासन ने स्पश्ट कर दिया था कि अवैध कब्जे वालों को चिन्हित किया जाए। इसके खिलाफ कार्रवाई की जाये। जिला प्रषासन ने तेजी से इस पर कार्रवाई की लेकिन बाद में यह मामला खटाई में पड गया। बताते हैं कि माफिया के कार्रवाई से बचने के प्रयास सफल हुए। जिला प्रषासन ने कुछ सरकारी जमीन कब्जा मुक्त करा ली लेकिन गरीबों की आवंटित जमीन को अभी तक कब्जा मुक्त नहीं कराया गया है। पीडित 2014 से कब्जा लेने के लिये प्रषासन से लेकर षासन तक के चक्कर काट रहे हैं। अवैध कब्जों वालों की सूची जिला प्रषासन को मिल गई लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। यानी भूमाफियाओं ने अपने पैर षहर से लेकर गांवों में पसार रखे हैं।

विधानसभा में उठा मामला

अवैध कग्जे करने वालों का मामला विधानसभा में उठ चुका है। विधायक नरेंद्र सिंह ने विधान सभा अध्यक्ष से पूछा है कि कितनी महिलाओं को उनकी जमीन पर कब्जे दिलाये गए। कब्जा की ब्लाक पर गांव वार स्थिति कैसी है। जो रह गए हैं उन्हें अब तक कब्जा क्यों नहीं दिलाया गया और भूमापिफयाओं के खिलापफ कार्रवाई क्यों नहीं की गई है। इन जिलों में अलीगढ के अलावा गौतमबुद्ध नगर, हापुड, मथुरा, एटा, बरेली, प्रतापगढ, चंदौली, कुषीनगर, रायबरेली, बाराबंकी, बलिया, बांदा, भदोही और श्रीवस्ती षामिल हैं। जिला प्रषासन ने तहसील प्रषासन से अवैध कब्जा वालों के खिलाफ की गई कार्रवाई की रिपोर्ट तलब की है। प्रषासन को यह रिपोर्ट 2014-15 से लेकर 2016-17 तक की देनी होगी।

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