शनिवार को यूपी में डेंगू (Dengue) से पीड़ित 92 नए मरीज मिले. इसमें से 15 मरीज राजधानी लखनऊ के शामिल हैं. इस प्रकार से प्रदेश में कुल डेंगू के एक्टिव केस की संख्या 3,032 हो गई है.
लखनऊ: प्रदेश में डेंगू और वायरल बुखार (Dengue and viral fever) का प्रकोप जारी है. यहां, जलभराव और गंदगी से स्क्रब टाइफस, लेप्टोस्पायरोसिस व डेंगू-मलेरिया भयावह होता जा रहा है. शनिवार को राज्य में इस बीमारी से पीड़ित 92 नए मरीज मिले. इसमें लखनऊ में 15 लोगों पर डेंगू ने हमला बोला. संचारी रोग निदेशक मेजर डॉ. जीएस बाजपेयी के मुताबिक, स्क्रब टाइफस व लेप्टोस्पायरोसिस बैक्टीरिया है. इसका बुखार ज्यादा दिन रहने पर ब्रेन पर असर पड़ता है. ऐसे में वयस्कों को डॉक्सीसाइक्लिन (Doxycycline) और बच्चों को एजिथ्रोमाइसिन (Azithromycin) एंटीबायोटिक डॉक्टर से परामर्श लें. बारिश की समाप्ति के एक माह बाद तक डेंगू का खतरा रहता है.
हालांकि, राज्यभर में डेंगू की जांच की जा रही है. स्थिति यह है कि प्रदेश में 1 जनवरी से 12 सितम्बर तक 58 जिलों में कुल 2,073 केस रिपोर्ट किए गए हैं. वहीं गुरुवार को मरीजों की संख्या 279 बढ़ी. इसके बाद शुक्रवार को 219 नए मरीज मिले. अब शनिवार को 92 डेंगू के और मरीज मिले. ऐसे में कुल संख्या 3,032 हो गई है. इसके अलावा स्क्रब टाइफस के 32 और लेप्टोस्पायरोसिस के 34 नए मरीज पाए गए. आशंका है कि नवंबर के पहले सप्ताह तक सतर्क ज्यादा रहना होगा. उधर, पैर पसार रहे डेंगू को लेकर सभी जिलों को अलर्ट जारी कर दिया गया है. अस्पतालों में इलाज की मुफ्त व्यवस्था की गई है. बुखार के मरीजों का घर-घर सर्वे किया जा रहा है.
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (Indian Council of Medical Research आईसीएमआर) ने यूपी के फिरोजाबाद जिले में अधिकांश मौतें डेंगू बुखार के डी-टू स्ट्रेन के कारण होने का दावा किया है. उन्होंने बताया कि यह स्ट्रेन बहुत घातक होता है और जानलेवा है. यह अक्सर ब्लीडिंग का कारण बनता है. इसके अलावा यह प्लेटलेट्स काउंट को भी तेजी से प्रभावित करता है. यह स्ट्रेन मथुरा और आगरा में भी पाया गया है. डॉक्टरों ने चेताया है कि किसी भी बुखार को हल्के में न लें. चाहे वह मलेरिया हो, डेंगू हो या कोविड के लक्षण. इस समय कोविड व डेंगू दोनों का खतरा है. यह दोनों घातक भी हो सकते हैं.
डेंगू के प्रकार
टाइप 1 -सामान्य डेंगू – इसमें तेज बुखार के साथ शरीर, जोड़ों और सिर में दर्द होता है. दवाएं लेने से 5 से 7 दिन में ठीक हो जाता है.
टाइप-2-डेंगू हेमेरेजिक फीवर- इसमें मरीज के शरीर में प्लेटलेट्स तेजी से कम होते हैं और ब्लीडिंग शुरू हो जाती है. खून शरीर के विभिन्न हिस्से में जमा होने लगता है. यह फेफड़ों, पेट, किडनी या दिमाग में भी पहुंच सकता है. वहीं, शरीर पर चकत्ते पड़ जाते हैं, जिनसे खून रिसता रहता है. यह बुखार जानलेवा हो जाता है.
टाइप -3 – डेंगू शॉक सिंड्रोम – इसमें मरीज को बुखार के साथ अचानक ब्लड प्रेशर कम हो जाता है. इंटरनल ब्लीडिंग का खतरा ज्यादा होता है. वह शॉक में चला जाता है. मल्टी ऑर्गन फेल्योर हो जाता है, जिससे मरीज की मृत्यु हो जाती है. इस बुखार में मरीज को काफी कमजोरी भी आती है.
खानपान का रखें ध्यान
बुखार में आहार का ध्यान रखें. हरी सब्जियां, फलों के साथ सुपाच्य भोजन करें. तरल चीजें खूब पिएं. पानी सूप, दूध, छाछ, नारियल पानी, ओआरएस का घोल, जूस, शिकंजी आदि लें. बासी व तैलीय खाना न खाएं.