आजादी के बाद पहली बार महज 37.60 फीसद मतदान से कम फीसद का टूटा रिकॉर्ड…

उपचुनाव का ‘सिकंदर’ कौन होगा? यह तो मतगणना के बाद 24 को ही तय होगा लेकिन, कम मतदान फीसद ने सभी को हैरान कर दिया है। आजादी के बाद पहली बार महज 37.60 फीसद मतदान से कम फीसद का रिकॉर्ड टूट गया है। इसके लिए फसलों का बर्बाद करने वाले अनगिनत गोवंश हैं। इसी कारण लोगों ने पहले ही मतदान न करने का मन लिया। इसी से अधिकतम बूथों पर पूरे दिन सन्नाटा पसरा रहा। 20 से अधिक गांव में बहिष्कार हुआ। यहां के लोगों को समझाने में अफसरों के पसीने छूट गए। रही बची कसर त्योहार व आलू बुवाई व धान की पिटाई ने पूरी कर दी।

प्रशासन का अनुमान फेल

इगलास विधानसभा में 2017 में 64.88 व 2019 लोकसभा में 62.31 फीसद वोट पड़े थे। ऐसे में प्रशासन इस बार भी 60 फीसद से ऊपर मतदान की उम्मीद लगा कर चला रहा था। सोमवार को सुबह सात बजे वोटिंग की शुरुआत हुई। लेकिन, शुरुआत से सुस्त रफ्तार ने सारी उम्मीदों पर पानी फेर दिया। पहले दो घंटे में महज नौ फीसद ही वोट पड़े। शुरुआत से ही एक दर्जन से अधिक गांव में मतदान का बहिष्कार हो गया। गांव के गांव के छुट्टा गोवंश व विकास कार्यों से नाराज थे। इससे प्रशासनिक अफसरों के भी हाथ-पैर फूल गए। डीएम व एसएसपी ने खुद लोगों को समझाने का मोर्चा संभाला। वह कई गांव में गए। लोगों को विकास कार्यों का आश्वासन दिया। इनकी वजह से वोटिंग तो शुरू हो गई, लेकिन मतदान फीसद रफ्तार नहीं पकड़ सके। आला अफसरों की दौंड़-भाग के बाद भी महज दोपहर एक बजे तक महज 18 फीसद ही मतदान हुआ था। अमूमन हर गांव में अफसरों के सामने गोवंश का मुद्दा उठा। कई जगह विरोध व हंगामा हुआ। कई जगह तो ग्रामीणों ने अफसरों का घेराव तक कर लिया। जैसे-तैसे अफसर जान बचाकर भागे। यह गुस्सा शाम तक रहा और पूरे दिन में महज 37 फीसद ही वोट पड़े। ऐसे दर्जनों बूथ हैं, जहां 15 फीसद से कम मतदान हुआ है।

1947 में था सबसे कम मतदान

इगलास विधानसभा में अब तक सबसे कम मतदान का रिकॉर्ड 1947 के नाम दर्ज है। तब यहां महज 47 फीसद ही वोट पड़े थे।

इन जगह हुआ मतदान का बहिष्कार

मांती, बसई, हसनगढ़, नबलपुर, महुआ, पींजरी, रुस्तमपुर गौतना, कैमथल का मजरा, नगला देव, करेलिया, मनोहरपुर, कलुआ, बैलोठ, गदाखेड़ा, धारागढ़ी, पचावरी, उडम्बरा, गोदिलपुर,्र कपूरखेड़ा, दासगढ़ी, पिलखुनिया,  अहलदा, कलुआ, सरकोरिया आदि शामिल हैं। क्षेत्रीय लोगों की मानें तो इन गांव में पहले ही मतदान बहिष्कार को बैठक हो गई थी।

यह हैं बहिष्कार व कम फीसद की वजह

-छुट्टा गोवंश की समस्या का समाधान न होना

-नाली, खड़ंजा, सड़क व जलभराव की समस्या

-त्योहार के चलते महिलाएं कम निकली घर से

-खेतों में आलू बुवाई व धान की पिटाई

-जीत के बाद जनप्रतिनिधियों का दोबारा न आना

-मतदान को लेकर प्रशासन का कोई जागरुकता नहीं

उपचुनाव में इस तरह पड़े वोट

समय, फीसद

सात से नौ, 9

नौ से 11, 15.2

11 से एक, 18.9

एक से तीन, 24

तीन से पांच, 33.2

पांच से छह, 37.60

इस तरह रहा है अब तक मतदान फीसद

साल, फीसद

1951, 47.21

1957, 58.47

1962, 53.75

1967, 63.23

1969, 66.91

1974, 65.44

1977, 47.16

1980, 49.32

1885, 48.42

1989, 51.77

1991, 52.22

1996, 54.60

2002, 59.56

2007, 60.33

2012, 61.56

2017, 64.96

नोट : सभी आंकड़े चुनाव कार्यालय से हैं।

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