डीपीओ के पद पर नियम विरूद्ध हुई तैनाती

विकासनगर। सामाजिक कार्यकर्ता और आरटीआई एक्टिविस्ट रामेश्वर प्रसाद मिश्रा ने जिला कार्यक्रम अधिकारी (डीपीओ) बाल विकास एवं महिला सशक्तिकरण विभाग के पद पर तैनात अखिलेश मिश्र की नियुक्ति पर सवाल उठाते हुए इसकी शिकायत प्रधानमंत्री कार्यालय से की है।
उनका आरोप है कि प्रदेश स्तर पर उन्होंने इस प्रकरण की शिकायत मुख्य सचिव से लेकर विभागीय सचिव से कर चुके हैं, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। उनका आरोप है कि वरिष्ठता और अंतिम आवंटन को ताक पर रखकर अखिलेश मिश्रा को प्रभारी सीडीपीओ से डीपीओ के पद पर नियम विरुद्ध पदोन्नति दे दी गई। उनका तर्क है कि वर्ष 1998-1999 में उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग इलाहाबाद द्वारा पर्वतीय संवर्ग की वरिष्ठता सूची में राधा कृष्ण त्रिपाठी का नाम अंकिता था, जो कि अखिलेश मिश्र से वरिष्ठ थे।
इस तथ्य को छुपाकर अखिलेश मिश्र की डीपीसी कराकर पदोन्नति के लिए आयोग के समक्ष प्रस्तुत किया गया। आरोप लगाया कि विभाग व शासन ने राजनीतिक दबाव के चलते सारे नियमों को ताक पर रखकर अखिलेश मिश्र की डीपीसी कराई।
कहा कि शासन व विभागीय अधिकारियों की सांठगांठ के चलते राधा कृष्ण त्रिपाठी की वरिष्ठता की उपेक्षा करते हुए अखिलेश की डीपीसी- पदोन्नति संबंधित पत्रावली राज्य लोक सेवा आयोग के समक्ष प्रस्तुत की गई। उन्होंने कहा कि पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच की जानी चाहिए।

 

आरोप को बताया निराधार
डीपीओ अखिलेश मिश्र का कहना है कि कोई भी पदोन्नति और डीपीसी शासन स्तर पर होती है, जो कि निष्पक्ष और सभी जांच पड़ताल पूरी होने के बाद होती है। जिस अधिकारी को वरिष्ठ बताया जा रहा है, वह यूपी कैडर में जा चुके हैं।

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