आखिर क्यों  प्रशांत किशोर ने अपनी सियासी लॉन्चिंग के लिए जेडीयू को ही चुना?

बीजेपी को फर्श से अर्श तक पहुंचाने वाले चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर इन दिनों सुर्खियों में है। सुर्खियों में रहने की वजह है उनकी राजनीतिक सुझबुझ और बेहतरीन रणनीति। पिछले कुछ सालों में अपनी रणनीति से उन्होंने बड़ी-बड़ी पार्टियों को सत्ता की कुर्सी तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई है। प्रशांत किशोर राजनीति के वो चाणक्य है। जिन्होंने 2014 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी को केंद्र की सत्ता तक पहुंचाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा दिया था। जिसका नतीजा था कि बीजेपी ने पहली बार पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में वापसी की। बीजेपी ने भी इस जीत का श्रेय प्रशांत किशोर को पूरी ईमानदारी के साथ दिया था।

इससे पहले प्रशांत किशोर ने 2012 में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रचार अभियान का जिम्मा संभाला था। जिसमें भी बीजेपी ने गुजरात में बड़ी जीत दर्ज की थी। बावजूद इसके एक सवाल हर इंसान के जहन में आज भी हिचकोले खा रहा है कि आखिर प्रशांत किशोर ने बीजेपी का दामन छोड़ जेडीयू का दामन क्यूं थामा और आखिर क्यूं पीके ने जेडीयू से अपनी राजनीतिक पारी का आगाज किया। अगर आपके मन में भी यही सवाल है तो इसका जबाव भी आज हम आपको बताने वाले हैं।

प्रशांत किशोर ने जेडीयू को ही क्यूं चुना ?

दरअसल प्रशांत किशोर शुरुआत से ही बहुत महत्वाकांक्षी थे। 2012 के गुजरात विधानसभा चुनावों से लेकर 2014 के आम चुनावों तक बीजेपी के प्रचार का अहम हिस्सा रहे प्रशांत किशोर अपनी सियासी पारी का आगाज बीजेपी के साथ करना चाहते थे। बीजेपी को केंद्र की सत्ता में बैठाने के बाद प्रशांत किशोर की महत्वाकांक्षा थी कि मोदी सरकार के नीतिगत फैसलों में उनकी अहम भूमिका हो। लेकिन बीजेपी के चाणक्य अमित शाह को ये बात रास नहीं आई। जिसके चलते ऐसा हो न सका। उस दौरान बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और प्रशांत किशोर के बीच विवादों की ख़बरें भी सामने आ रही थी। इसी बीच प्रशांत किशोर ने बीजेपी से किनारा करते हुए वो बीजेपी से अलग हो गए और उन्होंने उस समय प्रधानमंत्री मोदी के धुर विरोधी नीतीश कुमार के जेडीयू का दामन थामा और उनके लिए काम करना शुरु कर दिया।

बिहार में नीतीश को दिलाई जीत

नीतीश के साथ प्रशांत की जुगलबंदी भी खूब चली। बिहार में 2015 में हुए विधानसभा चुनावों में नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनाने में प्रशांत किशोर ने अहम भूमिका निभाई। इस चुनाव में जेडीयू-आरजेडी-कांग्रेस के महागठबंधन ने बीजेपी को करारी शिकस्त दी थी। ये प्रशांत किशोर का ही जादू था कि 2015 के विधानसभा चुनावों में बिहार के हर चौराहे पर बिहार में बहार है, नीतीशे कुमार है जैसे नारे सुनाई दे रहे थे। इसके अलावा प्रशांत किशोर को जो आजादी नीतीश कुमार ने दे रखी थी उस वजह से भी दोनों में नजदीकियां बहुत जल्द बढ़ गई थी। जिसके चलते नीतीश ने प्रशांत किशोर को बिहार का भविष्य भी बताया था।

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