राम के बाद अब सियायत परशुराम के नाम

-समाजवादी पार्टी का एलान १०८ ऊंची लगायेगें परशुराम की प्रतिमा
-बसपा ने कहा कि सरकार बनी तो परशुराम के नाम से हास्पिटल बनायेंगे
-सपा के सिद्वांत हमेशा ब्राम्हणों के खिलाफ रहे-बेसिक शिक्षा मंत्री
-सपा का ब्राम्हण प्रेम लोगों की समझ से परे-सुब्रत पाठक

योगेश श्रीवास्तव

लखनऊ। यूपी की राजनीति में मर्यादा पुरूषोत्तम राम के बाद अब भगवान परशुराम यकायक काफी महत्वपूर्ण और प्रांसगिक हो गए है। विकरू कांड और उसके बाद विकास दुबे सहित कई ब्राम्हण अपराधियों को इनकांउटर में मार गिराए जाने के बाद राजनीतिक दलों में जो ब्राम्हणप्र्रेम जागा है वह देखते बन रहा है। विकास दुबे के इनकांउटर के बाद जिस तरह यूपी पुलिस ने ताबड़तोड़ इनामी बदमाशों को ढेर करना शुरू किया उसके बाद से भाजपा सहित दूसरे दलों के ब्राम्हण नेताओं में अपने समाज की सहानुभूति बटोरने की गलाकाट स्पर्धा देखते बन रही है। विपक्षी दलों को लगता है कि कानून व्यवस्था सुधारने के नाम पर ब्राम्हणों को ही गोली का निशाना बनाया जा रहा है।

यही नहीं विपक्ष के एक नेता ने तो यहां तक कहा कि सारे इनामी और मुठभेड़ में मारे जाने वाले बदमाश ब्राम्हण ही क्यों निकल रहे है। कानपुर के बिकरू कांड के बाद जिस तरह एक के बाद एक ताबड़तोड़ इनकांउटर हुए उसने विभिन्न दलों के ब्राम्हण नेताओं की चिंता बढ़ाने के साथ इस मुद्दे पर उन्हे अपनी सियासत चमकाने का मौका भी दे दिया है। सत्तारूढ़ भाजपा के नेता तो चाह कर भी कुछ नहीं कह पा रहे है लेकिन अन्य दलों के नेता इसके लिए खुलकर सामने आ रहे है। बसपा के राष्टï्रीय महासचिव और सांसद सतीश चन्द्र मिश्र ने तो विकास दुबे के इन कांउटर के बाद दलित ब्राम्हण भाई-भाई,अब कऊनों अत्याचार नहीं कर पाई की चौपाई के साथ कमेंट किया था और भरोसा दिलाया था कि बसपा सरकार बनने के बाद ब्राम्हणों का कोई उत्पीडऩ नहीं कर पाएगा। इसके बाद पार्टी प्रमुख मायावती ने संगठन मे ंबड़ा फेरबदल करते हुए पदाधिक ारियों के पद पर ब्राम्हणों को जिम्मेदारी सौंपी है।

अयोध्या में बीती पांच अगस्त को पीएम नरेन्द्र मोदी द्वारा राम मंदिर के भूमि पूजन के बाद पर देश भर में उठी हिन्दुत्व की लहर को भांपते हुये बसपा सुप्रीमो मायावती ने रविवार को घोषणा की कि उनकी पार्टी की सरकार बनने पर उत्तर प्रदेश में भगवान परशुराम समेत सभी जातियों के महान संतों के नाम पर अस्पतालों का निर्माण कराया जायेगा। सुश्री मायावती ने कहा कि यदि उनकी सरकार बनी तो ब्राह्मण समाज की आस्था के प्रतीक परशुराम नाम पर अस्पताल और सुविधा युक्त ठहरने के स्थानों का निर्माण किया जाएगा। उन्होने कहा कि यदि उनकी सरकार सत्ता में आयी तो समाजवादी पार्टी से भी भव्य परशुराम की मूर्ति उनकी सरकार लगवाएगी। उल्लेखनीय है कि मायावती ने सत्तारूढ़ होने से पहले अपने मंत्रिमंडल में जहां कई ब्राम्हण चेहरों को मौका दिया था तथा ब्राम्हणों को संगठन से जोडऩे की गरज से जो भाईचारा कमेटियां बनाई थी उनमें ब्राम्हण भाईचारा कमेटी बनाई थी।

इससे पहले सपा के राष्ट्रीय सचिव अभिषेक मिश्रा ने एलान किया था कि सामाजिक संस्था परशुराम चेतना पीठ लखनऊ में भगवान परशुराम की 108 फि ट ऊंची कांस्य प्रतिमा स्थापित करेगी। इसके साथ भगवान परशुराम शोध संस्थान और गुरूकुल की स्थापना की जायेगी जिसमें ब्राहृमण समाज के गरीब बच्चों की शिक्षा का प्रबंध किया जायेगा। पूर्व मंत्री अभिषेक मिश्र का दावा है कि अखिलेश सरकार ने सदैव ब्राहृमणों का सम्मान किया है। लखनऊ में लोहियावादी जनेश्वर मिश्रा पार्क की स्थापना इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है।

बता दे सपा में अखिलेश यादव की सरकार में पहली बार परशुराम जयंती पर सार्वजनिक अवकाश की घोषणा की गयी थी। इन सबके बावजूद सपा के मूर्ति स्थापना के फैसले का उपहास उड़ाते हुये भाजपा सांसद सुब्रत पाठक ने कहा कि सपा का नया नया ब्राहृमण प्रेम लोगों की समझ से परे है। सपा के सिद्धांत हमेशा से ब्राहृमणों के खिलाफ रहे है। योगी सरकार में बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी ने ट्वीट कर कहा ब्राम्हणों को बुद्धू मत न समझे सपा प्रमुख अखिलेश यादव। ब्राह्मण राष्ट्रभक्त होता है। राम मंदिर का विरोध और भगवान परशुराम का वोट के लिए इस्तेमाल करने का विपक्षी दलों का सपना पूरा नहीं होगा।

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