अमेजन और फ्लि‍पकार्ट पर वाणि‍ज्‍य मंत्रालय ने कसा शिंकजा, मांगे सेलर्स के नाम

नई दिल्‍ली । वाणिज्‍य मंत्रालय ने ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा भारी डिस्काउंट और ऑफर्स देने के मामले में अमेजन और फ्लिपकार्ट के प्‍लेटफॉर्म के पांच शीर्ष सेलर्स के नाम,पसंदीदा वेंडर्स के उत्पादों का मूल्य और सेलर्स को दिए जाने वाले सपोर्ट के बारे में जानकारी मांगी है।

दरअसल डिपार्टमेंट फॉर प्रमोशन ऑफ इंडस्ट्री एंड इंटरनल ट्रेड (डीपीआईआईटी) ने दोनों कंपनियों को कुछ सवाल भेजे गए हैं, जिसमें उनसे उनका कैपीटल स्ट्रक्चर, बिजनेस मॉडल और इन्वेंट्री मैनेजमेंट सिस्टम शेयर करने काे कहा गया है।उल्‍लेखनीय है कि कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) लगातार शिकायत दर्ज करा रहा है कि ये कंपनियां फेस्टिव सेल के बहाने विदेशी निवेश की नीतियों (एफडीआई) का सीधे तौर पर उल्लंघन कर रही हैं। इन शिकायतों को ध्यान में रखते हुए ही डीपीआईआईटी ने कंपनियों से जवाब मांगा है।

इसमें कंपनियों से पूछा गया है कि, उनके प्लेटफॉर्म पर कुल कितने सेलर्स लिस्टेड हैं। कंपनी के कंट्रोल में कितने सेलर्स आते हैं। इसके साथ ही कितने कंट्रोल ये बाहर हैं और उनका शेयर क्या है, प्राथमिकता वाले वेंडर्स के लिए डिस्ट्रीब्यूटर। यदि रिटेलर प्राइस लिस्ट क्या है और शीर्ष 5 सेलर्स से होने वाली कुल सेल में किस सेलर की कितनी हिस्सेदारी है। इसके अलावा पेमेंट गेटवेज से संबंध के बारे में भी अमेजन और फ्लिपकार्ट से जवाब मांगा गया है।

ई-कॉमर्स के नियम

देश में लागू मौजूदा एफडीआई पॉलिसी के अनुसार ई-कॉमर्स के मार्केटप्लेस मॉडल में 100 फीसदी विदेशी निवेश की अनुमति है, लेकिन यह अनुमति इन्वेट्री आधारित मॉडल के लिए नहीं है। ऑनलाइन कंपनियां किसी भी तरीके से अपने प्लेटफॉर्म पर बिकने वाले उत्पादों की कीमतों को प्रभावित नहीं कर सकती हैं। कैट की शिकायत के बाद नियमों का उल्लंघन करके डिस्काउंट देने के मामले में दोनों कंपनियों का कहना है कि वे अपनी तरफ से यह डिस्काउंट नहीं देती हैं, बल्कि ब्रांड्स यह डिस्काउंट ऑफर करते हैं।

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