कैसरगंज में धड़ल्ले से हो रही है खाद्यान्न की कालाबाजारी

क़ुतुब अन्सारी / ताजुल हुसैन
कैसरगंज/बहराइच- कैसरगंज मुख्यालय के ग्राम पंचायत वैरी महेशपुर का कोटेदार दीप कुमार जिसने माह नवंबर 2019 का खाद्यान्न वितरण ही नहीं किया बल्कि पूरे खाद्यान्न की कालाबाजारी कर दी।  ग्राम पंचायत वैरी महेशपुर के अंत्योदय एवं पात्र गृहस्थी  कार्ड धारको का कहना है कि कोटेदार द्वारा लगभग पन्द्रह दिन पहले हम लोगों से अंगूठा लगवा लिया गया है लेकिन खाद्यान्न आज दिनांक सत्ताइस नवंबर तक नहीं दिया गया है।  कोटेदार की इस तानाशाही के पीछे खाद्यान्न विभाग के अधिकारियों का भी मिलाजुला खेल नजर आ रहा है इसीलिए कोटेदार द्वारा गरीबों के मुंह का निवाला अधिकारियों की मिलीभगत से कालाबाजारी कर लिया जाता है।  कैसरगंज के खाद्यान्न विभाग में भ्रष्टाचार सिर्फ इसीलिए समाप्त नहीं हो रहा है क्योंकि यहां भ्रष्ट कोटेदार की जांच स्वयं भ्रष्ट अधिकारी ही करते हैं।
कोटेदार और अधिकारियों के दिल में मोदी और योगी का खौफ खत्म हो चुका है। इसीलिए आए दिन कोटेदार द्वारा खाद्यान्न की कालाबाजारी कर ली जाती है। आपको बताते चलें कि यहां कैसरगंज में मजदूरों की मजदूरी दो सौ पचास रुपए है और महंगाई चरम पर है ऐसी स्थिति में यदि आप सब्जी लेने जाएंगे तो दो सौ पचास रुपए की आप की सब्जी ही बन जाएगी, ऐसे में यदि  गरीबों के राशन की कालाबाजारी कर ली जाएगी तो वह खाएंगे क्या? इसीलिए अधिकारी कार से घूमते हैं और गरीब किसान मजदूर दर-दर भटकते रहते हैं। सरकार के इतनी शक्तियों के बाद भी अधिकारी सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं और कोटेदार राजा महाराजा की तरह रहते हैं।
पहले कार्ड धारकों का अंगूठा लगवा लेना और फिर मन माने ढंग से राशन वितरण करना यह कहां तक उचित है सरकार को इस पर ध्यान देने की विशेष आवश्यकता है।  भ्रष्ट अधिकारी सरकार के नियमों का पालन नहीं करवाते हैं। इसीलिए भ्रष्ट कोटेदार मालामाल होते जा रहे हैं और गरीब राशन कार्ड धारक दो वक्त की रोटी के लिए तरस रहे हैं। भ्रष्ट कोटेदारों के विरुद्ध ईमानदार अधिकारियों की टीम बनाकर उचित कार्रवाई होना अति आवश्यक है।
क्या कहते है अधिकारी
इस संबंध में जब पूर्ति निरीक्षक कैसरगंज संतोष कुमार श्रीवास्तव से फोन पर बात की गई तो उन्होंने बताया कि हमारे पास कोई लिखित शिकायत नहीं आई है जिस जिस को गल्ला नहीं मिला है आप बताइए हम उसको गल्ला दिलवा दें।
जबकि ग्रामीणों का कहना है कि माह नवंबर में खाद्यान्न का वितरण ही नहीं हुआ है।

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