स्वामी नित्यानंद आश्रम में बच्चों और महिलाओं से ढाई साल से हो रहा था शोषण, दो संचालिकाएं गिरफ्तार

अहमदाबाद । स्वामी नित्यानंद आश्रम विवादों के घेरे में है जबकि पुलिस ने नाबालिगों से दुर्व्यवहार करने के आरोप में दो संचालिकाओं प्राणप्रिया और पियतत्वा को गिरफ्तार किया है। हाईकोर्ट के निर्देश पर पुलिस में शिकायत दर्ज होने के बाद यह गिरफ्तारियां की गई हैं।

कर्नाटक के एक दंपत्ति ने नित्‍यानंद आश्रम में श्रद्धा होने के चलते 6 माह पहले अपनी 3 बेटियों और 1 बच्चे का बेंगलुरू के आश्रम में प्रवेश कराया था। बाद में उन्हें दंपत्ति की स्वीकृति पर अहमदाबाद आश्रम ले जाया गया।ये लोग पिछले दस दिनों से अपने दो नाबालिग बच्चों और दो वयस्क बेटियों को मठ के चंगुल से मुक्त करने की मांग कर रहे थे। जब इनकी कहीं सुनवाई नहीं हुई तो दम्पति ने हाईकोर्ट में याचिका दायर करके अपने बच्चों को गायब करने का आरोप लगाया।

विवेकानंद नगर पुलिस ने प्राणप्रिया और प्रियतत्वा की धरपकड़ की।

हाईकोर्ट के निर्देश पर 2 नवम्बर को दम्पति की शिकायत पर पुलिस ने स्‍वामी नित्‍यानंद और दो सेविकाओं प्राणप्रिया व पियतत्वा पर बच्चों से मारपीट करने, अपहरण, बंधक बनाने एवं चाइल्‍ड लेबर एक्‍ट के तहत केस दर्ज करके जांच शुरू की। पुलिस ने जांच-पड़ताल के दौरान मंगलवार को एक बेटी और एक बेटे को आश्रम से निकाल लिया लेकिन 2 लड़कियां आश्रम ने नहीं मिलीं।

इनमें से एक युवती को नित्‍यानंद के कर्मियों द्वारा कैरीबियन देश त्रिनिनाद पहुंचाने की जानकारी मिली क्योंकि वहां से उस युवती ने स्काइप के जरिए परिजनों को मैसेज किए। आश्रम से निकाले गए बच्चों को रायपुर के एक अनाथालय में सुरक्षित रखा गया और आश्रम के 20 अनुयायियों के बयान भी दर्ज किए गए। अनुयायियों के बयानों से पता चला कि इस मठ में बच्चों और महिलाओं का पिछले ढाई साल से शोषण किया जा रहा है।

आश्रम से रिहा हुए बच्चों ने बताया कि उन्हें 21 अक्टूबर से 1 नवम्बर तक आश्रम से दूर पुष्पक सिटी के मकान नंबर B-107 में रखा गया। आश्रम की गतिविधियों के बारे में किसी को भी बताने से मना किया गया था।आश्रम में किसी भी समय नृत्य करने के लिए तैयार रखा जाता था। यह सारी गतिविधि आश्रम की संचालिका प्राणप्रिया द्वारा करवाई जाती थी। बच्चों को आश्रम की योगिनी सर्वज्ञपीठम की गतिविधियों के बारे में दिन-रात जानकारी दी जाती थी और मेज़बानों से एक से सात करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य दिया जाता था। आश्रम से जाने के बाद किसी को इन गतिविधियों के बारे में बताने पर जान से मारने की धमकी दी जाती थी।

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