थोड़ा इंतजार का मजा लीजिए : अब चुनावी मुद्दा बनने जा रहा कोरोना और लाँकडाउन

बिहार में इसी साल और पश्चिम बंगाल में अगले साल चुनाव
-दक्षिण के तीन राज्यों में महामारी बनने जा रहा चुनावी मुद्दा
-श्रमिकों की घर वापसी पर घिरेगी ममता और नीतीश
-तूणमूल कांग्रेस से हिसाब चुकता करने की तैयारी भाजपा
-कीलकांटे के साथ तैयारी में कांग्रेस भी पीछे नहीं

-योगेश श्रीवास्तव

\लखनऊ। कोरोना, लाँकडाउन और जमातियों के साथ प्रवासियों मजदूरों की घर वापसी, यह सभी मु्द्दे अभी लोगों के बीच बहस का बायस बने हुए है। आने वाले दिनों से लेकर अगले दो सालों तक यही वैश्विक महामारी,पूर्णबंदी और जमाती विधानसभा चुनावों में राजनीतिकदलों के लिए चुनावी मुद्दे बनेगे। लाँकडाउन की अवधि में इन मुद्दों को लेकर राज्यों से लेकर केन्द्र तक में कांग्रेस भाजपा सहित क्षेत्रीय दलों ने एक दूसरे को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ी। अभी तक इन मुद्दों को लेकर टीवी चैनलों पर बहस छिड़ी हुयी है आरोपों-प्रत्यारोपों को लेकर सारे दल और उसके नेता एक दूसरे पर हमलावर है। यह वैश्विक महामारी कब तक खत्म होगी यह तो पता नहीं लेकिन इसकों लेकर लगाया लाँकडाउन और के साथ प्रवासी श्रमिको की घरवापसी,जमातियों खिलाफ हुई कार्रवाई इस साल बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव से लेकर अगले साल पश्चिम बंगाल सहित चार राज्यों में होने वालें चुनावों में यह मुद्दा बनेगा इससे राजनीति प्रेक्षकों को इंकार नहीं है। इसी साल के अंत तक बिहार के विधानसभा चुनाव होने है।

इन दो राज्यों के अलावा दक्षिण के जिन तीन राज्यों में चुनाव होने में उनमें केरल,तामिलनाडु और पुडचेरी शामिल है। बिहार में जेडीयू और भाजपा का गठबंधन है जिसके मुखिया वहां के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार है उनके सामने यूपीए के नाम पर राष्टï्रीय जनता दल और उसके सहयोगी दल है। नीतीश सरकार के कार्यकाल के साथ ही राजद गठबंधन बिहार में प्रवासी श्रमिकों की घरवापसी के साथ जमातियों के खिलाफ हुई कार्रवाई को लेकर काफी लालपीला है। जबकि सुशासन बाबू के नाम पर अपना तीसरा कार्यकाल पूरा करने जा रहे जेडीयू प्रमुख और मुख्यमंत्री नीतीश कु मार को लगता है कि कोरोना को लेकर लाँकडाउन की अवधि में उनकी सरकार द्वारा जो भी राहत कार्य या लाँकडाउन का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की गयी है इसी को भाजपा गठबंधन मुद्दा बनायेगी और बिहार के एक बार फिर भाजपा गठबंधन को सरकार बनाने का अवसर मिलेगा। २०१५ के हुए विधानसभा चुनाव यहां जेडीयू और भाजपा ने मिलकर लड़ा था और इन्हीं दोनो ने मिलकर सरकार बनाई थी लेकिन इन दोनों के बीच यह गठबंधन ज्यादा दिन नहीं चला तो नीतीश कुमार ने एक बार फिर भाजपा का साथ लिया और सरकार चला रहे है। २०१९ का लोकसभा चुनाव भी नीतीश ने भाजपा के साथ मिलकर लड़ा था।

इस बार राजद गठबंधन सत्ता में अपनी सरकार बनाने को लेकर जहां पूरी जीजान लगाए हुए है तो नीतीश कुमार को लगता है कि भाजपा के साथ का उसे पूरा लाभ मिलेगा और बिहार में एक बार फिर एनडीए के नाम पर भाजपा जेडीयू गठबंधन का कमल खिलेगा।
बिहार की ही तरह अगले साल पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव होने है जहां सारे दलों का मुकाबला तूणमूल कांग्रेस की प्रमुख और वहां की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से होगा। इस बार भाजपा वहां बेहतर प्रदर्शन के लिए आश्वस्त है। एक वर्ग विशेष के तुष्टïीकरण के नाम पर ममता बनर्जी द्वारा बहुसंख्यकों पर किए जा रहे उत्पीडऩ को भाजपा समेत बाकी दल मुद्दा बनाने जा रहे है। जबकि ममता लाँकडाउन और जमातियों के खिलाफ हुई कार्रवाई के नाम पर एक वर्ग विशेष को फिर अपने पाले में लाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रही है। अपना दूसरा कार्यकाल पूरा करने जा रही ममता बनर्जी को वहां के चुनाव में अपने दल के बागियों के साथ भाजपा और वामदलों से भी दोचार होना है।

लाकडाउन के दौरान पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी और केन्द्र के बीच कोरोना को लेकर आरोप प्रत्यारोपों का जो दौर चला वह चुनाव में भी मुद्दा बनेगा इस संभावना से राजनीतिक प्रेक्षकों को इंकार नहीं है। गृह मंत्री अमित ने ममता बनर्जी को पत्र लिखकर पूछा था कि प्रवासी मजदूरों पर वे चुप क्यों हैं दूसरे राज्यों में फ ंसे बंगाल के मजदूरों की ट्रेन से वापसी क्यों नहीं हो रही है। ममता सरकार ने प्रवासी मजदूरों के लिए कदम उठाएं। अपने पलटवार में ममता बनर्जी केन्द्र में भेदभाव करने का आरोप लगा चुकी है।

दक्षिण के राज्य

अगले साल पश्चिम बंगाल के साथ दक्षिण के जिन तीन राज्यों में चुनाव होने है उनमें केरल,पुडुचेरी और तामिलनाडु है। इन राज्यों में अगले साल के शुरूआत में ही विधानसभा चुनाव होने है। अगले माह ही चुनाव आयोग की टीम और तामिलनाडु में सर्वदलीय बैठक होने वाली है। इन तीनों राज्यों में विपक्ष काफी मजबूत स्थिति में है। तामिलनाडु में जहां अन्नाद्रमुक सत्तारूढ़ है तो केरल में माकपा की सरकार है पुडुचेरी में कांग्रेस की सरकार है। तामिलनाडु में द्रुमुक काफी मजबूत स्थिति में है तो केरल में कांग्रेस की स्थिति पहले काफी बेहतर है। इस संभावना से लोगों को इंकार नहीं है कि विधानसभा चुनावों में इन राज्यों में कोरोना महामारी एक मुद्दा बनेगी।

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