भारत विरोध ही ओली सरकार का राष्ट्रवाद , अब हिन्दी भाषा पर प्रतिबंध लगाने की सरकार की योजना

रूपईडीहा/बहराइच। एकीकृत माक्र्सवादी लेनिनवादी (एमाले) के राष्ट्रीय अध्यक्ष व वर्तमान नेपाली प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली चीन के इसारे पर एक के बाद एक भारत विरोध के कदम उठाते जा रहे है। इस बार उन्होने नेपाल मे हिन्दी भाषा पर प्रतिबंध लगाने की वकालत कर दी है। केपी शर्मा ओली ने संसद मे भारत का विरोध करते हुए कालापानी, लिम्पियाधुरा व लिपुलेक को नेपाली नक्शे मे दर्शाकर भारत का विरोध किया। इसके पश्चात उन्होने नागरिकता संशोधन बिल नेपाली संसद मे पास कराया। इस संशोधित बिल के अनुसार भारत से व्याह कर नेपाल गयी लड़की को सात साल तक नागरिकता के अधिकारों से ही वंचित कर दिया गया। अब कई क्षेत्रों मे एमाले व उसके कार्यकर्ता भारत विरोध का स्वर अलाप रहे है। माओवादी पार्टी के अध्यक्ष पुष्प कमल दहल प्रचण्ड के सांसदो की सहमति से ही ओली की सरकार चल रही है। ओली व प्रचण्ड मे आधे आधे समय के लिए प्रधानमंत्री पद हेतु समझौता हुआ था। ओली इसका उल्लघन करते जा रहे है। ओली ने नेपाली मीडिया मे बयान भी दिया है कि भारत सरकार उनकी सरकार को गिराने हेतु षडयंत्र रच रही है। अब नेपाल के प्रधानमंत्री ओली ने नेपाल की 35 प्रतिशत आबादी वाले जनसमुदाय की आकांछाओं के विपरित हिन्दी भाषा पर प्रतिबंध लगाने का बयान दिया है। भारतीय सीमा से सटी पूरी नेपाली पट्टी पर पूरब से लेकर पश्चिम तक मधेशी समुदायों का निवास है। इस समुदाय की भाषा मैथिली, भोजपुरी, अवधी व हिन्दी है। इस पट्टी पर आबाद मधेशी समुदाय के लोग नेपाली सहित इन सभी भाषाओं का प्रयोग करते है। यही नही काठमांडू से हिमालिनी नामक वार्षिक पत्रिका भी हिन्दी मे ही प्रकाशित हो रही है।

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