– छोटे से बड़ी वारदातों को मिलाकर कुल 40 मुकदमें दर्ज
– छोटा राजन गिरोह का शार्प शूटर था खान मुबारक
लखनऊ, (हि.स.)। हरदोई जेल में बंद कुख्यात अपराधी खान मुबारक की जिला अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई है। उस पर चालीस मुकदमें दर्ज थे। राज्य सरकार ने उसके और करीबियों के नाम दर्ज करोड़ों की अवैध सम्पत्ति को जब्त किया था। वह छोटा राजन गिरोह का शार्प शूटर था। इलाहबाद विश्वविद्यालय में पढ़ाई के दौरान क्रिकेट मैच में अंपायर द्वारा आउट करार दिए जाने पर उसकी गोली मारकर हत्या कर दी थी। इसके बाद उसने जुर्म की दुनिया में कदम रखा।
मूलरूप से जनपद अम्बेडकर नगर के गांव हरसम्हार का रहने वाला खान मुबारक का बड़ा भाई जफर सुपारी अंडरवर्ल्ड का नामी बदमाशों की सूची में रहा। पुलिस के अनुसार अंपायर की हत्या करने के बाद साल 2006 में खान मुबारक का नाम कथित तौर पर एक डाकखाने की डकैती में सामने आया। हालांकि खान मुबारक उन दिनों अपने बड़े भाई जफ़र सुपारी के साथ जुड़ चुका था। साल 2006 में ही जब मुम्बई में काला घोड़ा हत्याकांड हुआ तो उसमे भी उसका नाम तेजी से उछला था।
इस हत्या को अंजाम छोटा राजन गिरोह के लोगों ने दिया था। जिसमें खान मुबारक ने अपने साथियों के साथ मिलकर एक पुलिस वैन में बंद दो आरोपितो को गोलियों से भूना था। साल 2007 में एक कैश वैन लूटकांड में एसटीएफ ने जब खान मुबारक को गिरफ्तार किया और पूछताछ शुरू हुई तो उसने काला घोड़ा हत्याकांड का खुलासा किया था। कैश वैन लूटकांड में खान मुबारक पांच साल नैनी जेल में बंद रहा।
जब 2012 में बाहर आया तो फिर से अंबेडकर नगर में रंगदारी और जबरन वसूली का काम शुरू किया। शूटर ओसामा की हत्या में भी उसका नाम सामने आया था। जिले के भट्ठा कारोबारी एनुद्दीन की मौत मामले में खान मुबारक को जेल हो गई थी, लेकिन सबूत और गवाह न मिलने पर साल 2016 में बाहर आ गया था।
इसके बाद उसने साल 2017 में बसपा नेता जुरगाम मेहंदी पर जानलेवा हमला कराया, जिसमें वे बच गए। यूपी एसटीएफ ने खान मुबारक को 2018 में लखनऊ से गिरफ्तार किया। एक साल बाद 2018 में हुए हमले में जुरगाम मेहंदी की मौत हो गई। कथित तौर पर खान मुबारक को इस हत्या का जिम्मेदार ठहाराया गया।फैजाबाद जेल में रहने के बाद उसे हरदोई जेल में शिफ्ट किया गया था, जहां सोमवार को उसकी अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई। डॉक्टरों ने बताया निमोनिया की शिकायत थी।
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