इजराइल-हमास की जंग में नरकीय जिदंगी जीन को मजबूर हुए सैकड़ों फलस्तीनी नागरिक

खचाखच भरे शिविरों में खुजली, दस्त के संक्रमण से जूझ रहे

गाजा (ईएमएस)। इजराइल और फलस्तीन के चरमपंथी संगठन हमास के बीच जारी युद्ध के मध्य हालात ये हैं कि लोग रोटी लेने के लिए कतारों में झगड़ रहे हैं, खारे पानी की एक-एक बाल्टी लेने के लिए घंटों इंतजार कर रहे हैं। साथ ही खचाखच भरे शिविरों में खुजली, दस्त और सांस संबंधी संक्रमण से जूझ रहे हैं।दीर अल-बलाह शहर में संयुक्त राष्ट्र के शिविर में राहत कार्यों में लगी एक महिला और पांच बच्चों की मां सुजैन वाहिदी ने कहा, मेरे बच्चे भूख से रो रहे हैं और थक चुके हैं। यहां तक की वे शौचालय का इस्तेमाल नहीं कर सकते। दीर अल-बलाह शिविर में सैकड़ों लोगों को एक ही शौचालय का प्रयोग करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा, मेरे पास उनके लिए कुछ नहीं है। इजराइल-हमास के बीच युद्ध के दूसरे महीने में अब तक गाजा में 10,000 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है साथ ही यहां फंसे हुए लोगों को बिना बिजली और पानी के जीवित रहने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है।

उत्तरी गाजा में इजराइल के जमीनी हमले से बच निकले फलस्तीनी लोगों को अब दक्षिण क्षेत्र में भोजन और दवा की कमी का सामना करना पड़ रहा है।

पांच लाख से ज्यादा लोग दक्षिण के अस्पतालों और संयुक्त राष्ट्र के स्कूलों से शिविरों में तब्दील हुए इमारतों में खचाखच भरे हुए हैं। कूड़े के ढेर और उनपर मंडराते हुए मच्छर-मक्खियों ने इन स्कूलों को संक्रमाक बीमारियों का स्थल बना दिया। युद्ध की शुरुआत से ही मदद के लिए सैकड़ों की संख्या में ट्रकों ने दक्षिणी रफा के माध्यम से गाजा में प्रवेश किया लेकिन राहत संगठनों का कहना है कि यह मदद समुद्र में एक बूंद के बराबर है। रोटी और पानी की तलाश में घंटों-घंटों कतारों में खड़े रहना अब रोजाना का किस्सा हो गया है।

गाजा का सामाजिक ताना-बाना छिन्न-भिन्न हो गया है, जिसने दशकों तक संघर्ष, इजराइल के साथ चार युद्ध और फलस्तीनी बलों से सत्ता छीनने वाले हमास के बाद 16 साल तक प्रतिबंधों को झेला है। दक्षिणी शहर खान यूनुस में नॉर्वे रिफ्यूजी काउंसिल में राहत कार्यों से जुड़े शख्स यूसुफ हम्माश ने कहा, आप जहां भी जाएंगे आपको सिर्फ लोगों की आंखों में पीड़ा ही दिखाई देगी। उन्होंने कहा,‘‘ आप कह सकते हैं कि वे अपने जीवन के सबसे मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं।’’ सुपरमार्केट जैसी बड़ी दुकानें लगभग खाली हो चुकी हैं। आटा और ओवन के लिए ईंधन की कमी की वजह से बेकरी बंद हो गई हैं। गाजा के खेतों तक पहुंचना लगभग असंभव हो गया है और प्याज व संतरे के अलावा ज्यादातर चीजें बाजारों से नदारद हैं। बहुत से परिवार सड़कों पर ही आग जलाकर दाल पका रहे हैं।

बहुत से लोगों का कहना है कि उन्हें मांस, अंडे खाए और दूध पिए हफ्तों गुजर चुके हैं और नौबत यह है कि अब दिन में सिर्फ एक बार खाने को ही मिलता है। संयुक्त राष्ट्र के विश्व खाद्य कार्यक्रम की प्रवक्ता आलिया जकी ने कहा, लोगों पर कुपोषण और भूख से मरने का वास्तविक खतरा मंडरा रहा है। उन्होंने कहा कि राहत कार्यों से जुड़े लोग जिस खाद्य असुरक्षा की बात करते हैं, गाजा के 23 लाख लोगों पर उसका खतरा मंडरा रहा है।

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