इस्लामिक कट्टरपंथियों पर फ्रांस ने लगाई लगाम, मस्जिदों की फंडिंग और मदरसों पर कसा शिकंजा

आज पूरी दुनिया इस्लामी कट्टरपंथियों से लड़ रही है. इन पर लगाम कसने के लिए कानून बनाए जा रहे हैं. इसके बावजूद भी मजहब के नाम पर आतंक की पौध तैयार की जा रही है. पाकिस्तान इस्लाम के नाम पर जेहादियों के कैंप चला रहा हैं, आतंकवादी तैयार किए जा रहे हैं. तुर्की मुस्लिमों का नया ठेकेदार बना है. यह देश कट्टरपंथियों का सबसे बड़ा गढ़ है. यहां की एर्दोगन सरकार चर्चों को मस्जिदों में तब्दील कर रही है. ऐसे में फैलते इस्लामी कट्टरपंथ को रोकने के कई देश लगातार प्रयास कर रहे हैं. इसी कड़ी में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि फ्रांस अपनी धर्म निरपेक्षता को ध्यान में रखते हुए कट्टरपंथी इस्लामियों का सामना करेगा. इसके पहले भी इमैनुएल इस्लाम को कट्टरता और नफरत फैलाने वाला मज़हब बता चुके हैं. 

विदेशी इमामों के प्रवेश पर प्रतिबंध का फ्रांस पहले ही ऐलान कर चुका है. मैक्रों ने इस साल की शुरुआत में कहा था कि हमने 2020 के बाद अपने देश में किसी भी अन्य देश से इमामों के आने पर रोक लगा दी है. उन्होंने कहा था कि इस फैसले से फ्रांस में आतंकी गतिविधियों पर लगाम लगेगी.

अब मैक्रों ने कहा है कि उनकी सरकार दिसंबर में एक विधेयक (बिल) लेकर आएगी जो साल 1905 के एक क़ानून को और मज़बूत करेगा. यह क़ानून चर्च और स्टेट को अलग करता है. जिससे देश में धर्म के प्रति उदासीनता बनी रहे. उन्होंने अपने भाषण में यहां तक कहा कि आगामी कुछ समय में इस बात को सुनिश्चित किया जाएगा कि मज़हब, फ्रांस की शिक्षा व्यवस्था और सार्वजनिक क्षेत्र (पब्लिक सेक्टर) से दूर रहे. मैक्रों के मुताबिक़ यह सभी निर्णय कट्टरपंथ और अलगाववाद को रोकने के लिए लिए जा रहे हैं. इतना ही नहीं फ्रांस के इमामों को फ्रांसीसी भाषा भी सीखनी होगी. उन्होंने कहा कि इस्लाम को विदेशी प्रभाव से मुक्ति पानी होगी. 

मैक्रों ने कहा कि इस्लाम एक ऐसा मज़हब है जिस पर पूरी दुनिया में संकट है, ऐसा सिर्फ हम अपने देश में नहीं देख रहे हैं. इसके बाद उन्होंने युवाओं की शिक्षा पर भी ज़ोर दिया जिससे उन्हें धर्मनिरपेक्ष आदर्शों वाला बनाया जा सके. इसकी शिक्षा बच्चों को शुरूआती स्तर से या उनके स्कूल के समय से ही देनी होगी. उन्होंने इस बात के भी संकेत दिए कि फ्रांस इस्लाम को विदेशियों के प्रभाव से भी आज़ाद करेगा, इसके लिए मस्जिदों को मिलने वाली फंडिंग में सुधार किया जाएगा. इसके अलावा ऐसे स्कूल और संगठन जो समुदायों के लिए काम करते हैं उन पर भी बराबर नज़र रखी जाएगी. .

बता दें कि राष्ट्रपति मैक्रों ने यह बातें उस घटना के ठीक कुछ दिन बाद कही हैं जिसमें एक आदमी ने धारदार हथियार से दो लोगों पर हमला कर दिया था. घटना ठीक उस जगह पर हुई थी जहां कट्टरपंथी इस्लामियों ने साल 2015 में शार्ली हेब्दो के कर्मचारियों का नरसंहार किया था. फ्रांस की सरकार ने इस हरकत को भी इस्लामी आतंकवाद का नतीजा बताया था. साल 2015 में इस्लामी कट्टरपंथियों ने शार्ली हेब्दो के कार्यालय पर आतंकवादी हमला किया था जिसमें कई मशहूर कार्टूनिस्ट समेत कुल 12 लोगों की मौत हो गई थी.

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