जब भी हम किसी महिला पर हुए एसिड हमले की बात सुनते या देखते हैं तो हमारा रोम रोम काँप उठता हैं. अब जरा सोचिए जिस महिला के साथ ये घटना असल में हुई हैं उसके जीवन पर क्या बिताती होगी? यहाँ हमारे चेहरे पर एक पिम्पल आ जाए या हमारे चेहरे पर जरा सी खरोच आ जाए तो हम अपने लुक को लेकर टेंशन में आ जाते हैं. ऐसे में उस महिला के बारे में सोचिए जिसकी पूरी त्वचा ही झुलस चुकी हैं.
सत्य तो ये हैं कि आपकी बाहरी सुन्दरता से ज्यादा आपके अन्दर की सुन्दरता मायने रखती हैं. लेकिन ये जो हमारा समाज हैं वो बड़ा कमीना किस्म का हैं. ये हमें बार बार हमारी कमियों को खुरेदता रहता हैं. यही कारण हैं कि एसिड अटैक से पीड़ित महिलाओं का जीवन किसी नर्क से कम नहीं होता हैं.
लेकिन एसिड विक्टिम प्रमोदिनी राउल की कहानी इससे बिलकुल अपोजिट हैं. उसे अपने अँधेरे जीवन में एक ऐसा चिराग मिल गया हैं जिसने उसकी नर्क जैसी जिंदगी को स्वर्ग में तब्दील कर दिया हैं. तो चलिए विस्तार से जाने इस एसिड विक्टिम महिला की दिल छू लेने वाली लव स्टोरी…
प्रमोदिनी की कहानी की शुरुआत काफी दर्दनाक हैं. जब वो 15 साल की थी तब एक आदमी ने उन्हें प्रपोज किया था. प्रमोदिनी ने उस आदमी का प्रपोज ठुकरा दिया था. लेकिन उस आदमी से ये बर्दास्त नहीं हुआ और उसने प्रमोदिनी के मुंह पर तेज़ाब की बोतल उड़ेल दी.तेजाब से प्रमोदिनी की दोनों आँखों की ओर्शनी चली गई और उनकी स्किन से मांस झुलस कर लटकने लगा.
इसके बाद गंभीर रूप से घायल प्रमोदिनी को अस्पताल ले जाया गया. इस दौरान प्रमोदिनी के मन में कई सवाल चल रहे थे. इस हाल में उनका जीवन नर्क बन जाएगा. कौन उन्हें प्यार करेगा? प्यार तो दूर क्या कोई लड़का अब उनकी ओर कुछ पल देखेगा भी या घृणा के भाव दे वहां से चला जाएगा?
खैर प्रमोदिनी ये सारी बातें सोच ही रही थी तभी डॉक्टर ने उनकी फेस सर्जरी शुरू की. इसके अन्दर उन्होंने प्रमोदिनी के पांव के मांस को काट कर चेहरे पर लगाया. उस दौरान उनका इलाज ठीक से नहीं हो पाया और उनके पैर में इन्फेक्शन हो गया. अब प्रमोदिनी को दुबारा इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती होना पड़ा. प्रमोदिनी के पैर की हालत खराब होने के कारण वो ठीक से चल फिर भी नहीं पा रही थी. अपनी बेटी की ये हालत देख प्रमोदिनी की माँ रोने लग गई.
तभी प्रमोदिनी के जीवन में एक शख्स की एंट्री हुई. यह शख्स था सरोज साहू. सरोज अस्पताल की नर्स का दोस्त हैं और उस दिन वो अपनी दोस्त से मिलने अस्पताल आया हुआ था. सरोज ने जब प्रमोदिनी की माँ को रोता देखा तो उन्हें दिलासा दिया. इसके बाद वो रोज प्रमोदिनी के हाल चाल लेने अस्पताल आने लगा और प्रमोदिनी की माँ को दिलासा देने के साथ उनकी मदद भी करने लगा. इस दौरान प्रमोदिनी और सरोज के बीच कोई बातचीत नहीं होती थी लेकिन फिर भी दोनों के बीच कुछ कनेक्शन सा हो गया था.
कुछ दिनों बाद प्रमोदिनी और सरोज की बातचीत शुरू हुई और दोनों धीरे धीरे एक दुसरे के करीब आने लगे. आलम ये था कि सरोज ने अपनी नौकरी छोड़ दी और वो प्रमोदिनी की सेवा में पूरा दिन उसके साथ रहने लगा. चुकी प्रमोदिनी अपनी शारीरिक स्थिति से वाकिफ थी इसलिए वो इस रिश्ते को आगे बढाकर किसी का भी दिल नहीं दुखाना चाहती थी. हालाँकि सरोज ने जब प्रमोदिनी को समझाया और फिर शादी के लिए प्रपोज किया तो वो ना नहीं कह पाई.
प्रमोदिनी कहती हैं कि “सरोज मुझे किसी राजकुमारी की तरह रखता हैं. वो मुझे जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करता हैं. वो मेरे जीवन का अहम हिस्सा बन गया हैं. मैं उसके बिना अपनी जिंदगी की कल्पना भी नहीं कर सकती हूँ.”
बताते चले कि सरोज और प्रमोदिनी दोनों 2016 से दिल्ली में साथ रह रहे हैं और जल्द ही प्रमोदिनी की एक और फेस सर्जरी के बाद शादी के बंधन में बंध जाएंगे. इन दोनों की लव स्टोरी ने एक बात तो साबित कर दी कि प्यार दो जिस्मो का नहीं बल्कि दो दिलों का संगम होता हैं. हमारी ओर से सरोज और प्रमोदिनी को एक खुशहाल जीवन की ढेर सारी बधाईयाँ.